पानी की बचत फसल विविधीकरण के कारण दूसरों के लिए मार्ग दर्शक बना हंदोवाल का दलवीर सिंह 

2020 से सफलतापूर्वक कर रहा है धान की सीधी बुआई 

होशियारपुर,(राजदार टाइम्स): गांव  हंदोवाल कलां में धान की सीधी बिजाई  व मक्की की फसल को मुख्य रखते हुए पानी बचाने के लिए गांव के किसान दलवीर सिंह और उनके साथ जुड़े अन्य किसानों से धान की सीधी बिजाई और मक्के की खेती पर चर्चा की गई।  गांव के किसान दलवीर सिंह पुत्र हरभजन ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2020 के दौरान लगभग 3 एकड़ में धान की सीधी बिजाई शुरू की थी, लेकिन अनुभव की कमी के कारण वर्ष 2020 के दौरान उनका प्रयोग विफल हो गया। फिर भी इस किसान ने हिम्मत नहीं हारी और साल 2021 में फिर से 3 से 5 एकड़ रकबा बढ़ाकर बुआई की।  इस वर्ष कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के विशेषज्ञों की मदद से उन्होंने धान की फसल में खरपतवारों का उचित प्रबंधन कर धान की सीधी बुआई करने में सफलता प्राप्त की और 25 क्विंटल से 27 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज प्राप्त की। इसके बाद साल 2023 तक किसान ने सफलतापूर्वक धान की खेती की। किसान ने बताया कि पहली बार धान की सीधी बुआई करने पर कुछ समस्याएं आती हैं जैसे खरपतवार की समस्या, आयरन की कमी आदि लेकिन अगर किसानों को धान की सीधी बुआई के बारे में पूरी जानकारी हो तो वे इस विधि से धान का अच्छा झाड़ प्राप्त कर सकते है। इसके लिए धान की सीधी बिजाई  संबंधी तकनीकी जानकारी नजदीकी कृषि कार्यालय से प्राप्त करने के बाद ही धान की सीधी बुआई करनी चाहिए, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की हानि का सामना न करना पड़े। किसान ने अपने अनुभव के अनुसार बताया कि धान की सीधी बुआई में खरपतवार की गंभीर समस्या है, लेकिन कृषि विभाग द्वारा अनुशंसित खरपतवार नाशकों के समय पर एवं उचित प्रयोग से इसका उचित प्रबंधन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि धान की सीधी बुआई तर वतर विधि से 1 से 15 जून के बीच करना अधिक लाभदायक होता है। खेत तैयार करने के लिए खेत की अच्छी तरह जुताई कर खरपतवार निकाल देना चाहिए।  इसके बाद दोहरी रौणी करनी चाहिए। इसके बाद जब खेत तर वतर में आ जाए तो खेत को टिल्लरो के साथ जुताई कर, तीन बार सुहागा चलाने के तुरंत बाद शाम या सुबह के समय 8-10 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज प्रयोग कर डी.एस.आर ड्रिल मशीन के माध्यम से बिजाई कर देनी चाहिए। बुआई से एक दिन पहले बीजों को 6 से 8 घंटे तक पानी में डुबाकर रखना चाहिए, उसके बाद बीजों को दवा से उपचारित करना चाहिए। इससे फसल की पैदावार अच्छी हो जाती है। इस विधि से बुआई करने पर पहला पानी 21 दिन बाद लगाना चाहिए तथा उसके बाद आवश्यकतानुसार साप्ताहिक अंतराल पर पानी देना चाहिए। इसके साथ ही कृषि विभाग के भी संपर्क में रहना चाहिए, ताकि फसल में किसी भी तरह की बीमारी और कीट जैसी समस्या का समय रहते समाधान किया जा सके। इसके अलावा किसान ने बताया कि वह पानी बचाने और फसल विविधीकरण के उद्देश्य से छाबड़ा साइलेज कंपनी की मदद से साइलेज के लिए मक्के की खेती कर रहे हैं। इससे आसपास के 25 गांवों के करीब 800 किसानो को जोड़ा गया है। इससे किसानों को उनकी मक्के की फसल का बेहतर मूल्य मिलता है। इस मौके पर दलवीर सिंह से जुड़े किसान संतोख सिंह, बलवीर सिंह, तरलोचन सिंह, गुरदीप सिंह, हरीश और गुरमुख सिंह और अन्य किसान भी मौजूद थे।