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अंतिम अरदास पर नम आंखों से स्मरण किए गए लांसनायक गुरप्रीत

दस दिन पहले कश्मीर में देश की बलिवेदी पर हुए थे कुर्बान

गुरदासपुर,(राजदार टाइम्स): भारतीय सेना की 19 राष्ट्रीय राइफल्स (242 मीडियम रेजीमेंट) युनिट के शहीद लांसनायक गुरप्रीत सिंह की अंतिम अरदास व श्रद्धांजलि समारोह गांव भैणी सरावां के गुरुद्वारा साहब में शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की की अध्यक्षता में आयोजित हुआ।जिसमें पंजाब हेल्थ सिस्टम कार्पोरेशन के चेयरमैन रमन बहल, हलका विधायक बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा, शहीद की माता लखबीर कौर, पिता लखविंदर सिंह, पत्नी गुरविंदर कौर, भाई जगदीप सिंह, बहन अमनदीप कौर, बेटे गुरबाज सिंह व सहबाज सिंह, नगर कैंसल गुरदासपुर के प्रधान बलजीत पाहड़ा, जिला रक्षा सेवाएं भलाई विभाग के फील्ड अफसर सुबेदार जगदीश सिंह, शहीद की यूनिट के सूबेदार मेजर गुरचरण सिंह, शहीद लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह, ‘आप’ नेता कश्मीर सिंह वाहला आदि ने विशेष तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम श्री अखंड पाठ साहब जी का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा बैरागमय कीर्तन कर शहीद को नमन

बलिदानी सैनिकों के पदचिन्हों पर चल कर आदर्श समाज की सृजना में दें योगदान : बहल

श्रद्घांजलि समारोह को संबोधित करते चेयरमैन रमन बहल ने कहा कि गुरप्रीत सिंह जैसे जांबाजों का बलिदान देश की भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है।जिन्होंने 32 वर्ष की अल्पायु में अपना बलिदान देकर देशवासियों को यह संदेश दिया कि एक सैनिक के लिए राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरी होती है। इसलिए उन्हें चाहिए कि बलिदानी सैनिकों के पदचिन्हों पर चलते हुए आदर्श समाज की सृजना में अपना बहुमूल्य योगदान देकर शहीदों के सपनों को साकार करें। उन्होंने कहा कि मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लगा होने के कारण वो कोई भी घोषणा नहीं कर सकते लेकिन, उन्होंने परिवार के सामने ही मुख्यमंत्री भगवंत मान से फोन पर बात की है और चुनावों के बाद इस परिवार को सरकार द्वारा बनता मान-सम्मान देकर इनके मनोबल को ऊंचा रखा जायेगा। उन्होंने कहा शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने जिस तरह इन शहीद परिवारों को संभाला हुआ है। इससे समाज में देशभक्ति की चेतना पैदा होती है।

अगर सैनिक बॉर्डर छोड़ दे तो देश नहीं बचेगा: विधायक पाहड़ा

विधायक बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा ने कहा की गुरप्रीत सिंह जैसे जांबाजों के शौर्य की बदौलत ही देश की सरहदें महफूज हैं अगर देश का वीर सैनिक बॉर्डर से पीछे हट जाए तो देश नहीं बचेगा। विधायक पाहड़ा ने कहा कि किसान देश का अन्नदाता है वहीं उनके बेटे सीमाओं की सुरक्षा करते हुए अपने बलिदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि सबका पेट पालने वाले किसानों को आतंकवादी कहा जाता है जिससे सरहदों पर तैनात उनके सैनिक बच्चों के मनोबल को ठेस पहुंचती है। उन्होंने कहा केंद्र व राज्य में कोई भी सरकार हो उन्हें राजनीति से ऊपर उठकर शहीदों का सम्मान करना चाहिए।

शहीद परिवार के हौंसले को परास्त नहीं होने देगी परिषद: कुंवर विक्की

परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर विक्की ने कहा कि देश की आजादी का प्रतीक तिरंगा रुपी कफन किस्मत वालों को नसीब होता है तथा वो सैनिक धन्य है, जो राष्ट्र को सर्वोपरि मानकर इस तिरंगे की शान को बरकरार रखते हुए अपना बलिदान दे जाता है। उन्होंने शहीद परिवार को होंसला देते हुए कहा कि सैंकड़ों लोग रोज मरते हैं। उन्हें कोई याद नहीं करता मगर एक शहीद की मौत पर देवता भी फूल अर्पित करते हैं और वो भूमि तीर्थ स्थान तुल्य बन जाती है जहां शहीदों की शौर्यगाथा गाई जाती है। कुंवर विक्की ने कहा कि अभी इस परिवार का जख्म ताजा है। इससे उभरने के लिए समय लगेगा मगर, उनकी परिषद इनके होंसले को परास्त नहीं होने देगी। हमेशा चट्टान की तरह इनके साथ खड़ी रहेगी।

गुरप्रीत के रूप में यूनिट ने खोया अनमोल हीरा: सुबेदार मेजर गुरचरण

शहीद की यूनिट के सुबेदार मेजर गुरचरण सिंह ने कहा कि गुरप्रीत यूनिट में सबके लाडले थे और अपनी ड्यूटी को तनदेही से निभाते हुए हर ऑपरेशन में वालंटियर होकर हिस्सा लेते थे। उसके शहीद होने से यूनिट ने अपना अनमोल हीरा खो दिया है।उन्होंने कहा इस दुख की घड़ी में यूनिट शहीद परिवार के साथ खड़ी है। उन्होंने यूनिट की तरफ से शहीद परिवार को 5 लाख 22 हजार रुपए की राशि का चेक भेंट किया।वहीं परिषद द्वारा शहीद के माता-पिता व पत्नी को शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर शहीद लांसनायक संदीप सिंह शौर्य चक्र के पिता जगदेव सिंह व माता कुलविंदर कौर, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही मनदीप कुमार के पिता नानक चंद, शहीद सिपाही निशान सिंह शौर्य चक्र के भाई कैप्टन तरलोक सिंह, शहीद नायक राजिंदर सिंह के भाई बलविंदर सिंह, सुबेदार सुखविंदर सिंह, नायब सुबेदार सर्वजीत सिंह, कैप्टन दीदार सिंह, सुबेदार हरपाल सिंह, लांसनायक राजिंदर सिंह, नायक सुखपाल सिंह, लांसनायक भारत भूषण आदि उपस्थित थे।

 

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