ब्रह्मज्ञान की जानकारी से प्रभु परमात्मा का किया जा सकता है अहसास : निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज
बालागढ़/होशियारपुर,(मनप्रीत सिंह): सृष्टि के सृजनहार व कण कण में वास करने वाले प्रभु परमात्मा को प्राथमिकता व जीवन में आधार बनाकर पूर्णता से जीते हुए सभी फर्जों को अदा करना है। इंसान को यह जीवन इस प्रभु परमात्मा की जानकारी के लिए मिला है तथा जीते जी इस परमात्मा की जानकारी हो सकती है। ब्रह्मज्ञान को हासिल करने के बाद ही सही मायनों में भक्ति शुरु होती है। उक्त विचार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने बालागढ़ में आयोजित विशाल निरंकारी संत समागम के दौरान प्रकट किए। उन्होंने कहा कि परमात्मा हमारे सबसे करीब है सिर्फ जानने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वस्तु कहीं ढूंढे कही.. कही विधि आये हाथ..? कहे कबीर वस्तु तब पाईये.. भेदी लीजे साथ.. व मोको कहां ढूँढे रे बन्दे, मैं तो तेरे पास में, ना तीरथ मे ना मूरत में, ना एकान्त निवास में। कहने का भाव कि प्रभु परमात्मा का वास घट घट में है,लेकिन जानकारी ना होने से मनुष्य इसकी खोज में लगा हुआ है। प्रभु की प्राप्ति तभी होगी जब समय के सतगुरु का साथ मिलेगा व ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करने के बाद प्रभु परमात्मा का अहसास किया जा सकता है, जिसका जिक्र सभी धार्मिक ग्रंथो में लिखा हुआ है।