मक्खन सिंह जैसे जांबाजों का बलिदान युवा पीढ़ी में भरता है राष्ट्र पर मर मिटने का जज्बा : कैप्टन गुप्ता
22वें बलिदान दिवस पर स्मरण किए गए जांबाज मक्खन सिंह
पठानकोट,(बिट्टा काटल): जम्मू-कश्मीर के नौगांव सैक्टर में आतंकियों से लड़ते हुए बलिदान देने वाले भारतीय सेना की चार सिख एल.आई रैजीमेंट के सिपाही मक्खन सिंह का 22वां बलिदान दिवस उनके नाम पर बने सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल में प्रिंसीपल मीनम शिखा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। जिसमें पंजाब एक्स सर्विसमैन कार्पोरेशन (पेस्को) के चेयरमैन कैप्टन सुनील गुप्ता बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की माता लाज कौर, पिता हंसराज, भाई महिन्द्र सिंह, बहन सोनिया, 21 सब एरिया से मेजर अनुशा, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष कर्नल सागर सिंह सलारिया, महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की, एयर वाईस मार्शल पी.एस मल्ही, पूर्व कैबिनेट मंत्री मास्टर मोहन लाल, जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार, सीनियर डिप्टी मेयर विक्रम महाजन, स्कूल सीएमसी के चेयरमैन विनोद महाजन, रिटायर्ड डिप्टी डीईओ राजेश्वर सलारिया, शहीद की यूनिट के सूबेदार कर्मजीत सिंह, शहीद नायक अजय सलारिया के पिता कैप्टन रछपाल सिंह व माता किरण सलारिया, कीर्ति चक्र विजेता शहीद हवलदार अजय पठानिया की पत्नी पूनम पठानिया, शहीद सिपाही मोहन सिंह चिब सेना मेडल के भाई ठाकुर जीवन सिंह चिब,आम आदमी पार्टी के जिला इवेंट इंचार्ज ठाकुर प्रबोध काटल, एसडीओ नरेश त्रिपाठी, ओल्ड स्टूडेंट एसोसिएशन के प्रधान कमल पंत, डॉ.राज ठुकराल आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर बलिदानी को श्रद्घासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम मुख्यातिथि चेयरमैन कैप्टन सुनील गुप्ता व अन्य मेहमानों द्वारा बलिदानी सिपाही मक्खन सिंह के चित्र समक्ष ज्योति प्रज्वलित व उनकी प्रतिमा को सैल्यूट करके कार्यक्रम का आगाज किया। श्रद्घांजलि समारोह को संबोधित करते हुए कैप्टन सुनील गुप्ता ने कहा कि शहीद मक्खन सिंह जैसे जांबाज सैनिक देश की अमूल्य धरोहर हैं। जिनका बलिदान युवा पीढ़ी में राष्ट्र पर मर मिटने का जज्बा भरता रहेगा। उन्होंने कहा कि 23 वर्ष की अल्पायु में शहीद मक्खन सिंह ने अपना नाम शहीदों की श्रृखलां में स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर अपना सैन्य धर्म निभा दिया। ऐसे शूरवीर के माता-पिता को वह शत-शत नमन करते हैं। जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को देश की बलिवेदी पर कुर्बान कर बलिदानी परिवार कहलाने का गौरव प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि शहीद कहना आसान है, मगर सरहद की रखवाली करते हुए अपना बलिदान देना बहुत मुश्किल है। इसलिए देश की भावी पीढ़ी को चाहिए कि सिपाही मक्खन सिंह जैसे शौर्य वीरों को अपना रोल मॉडल बनाते हुए अपने अंदर राष्ट्र पर मर मिटने का जज्बा पैदा करें यही इन अमर वीरों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित 12 अन्य शहीद परिवारों को शाल एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मंच संचालन का दायित्व लेक्चरर राकेश पठानिया ने बाखूबी निभाया। इस मौके पर सूबेदार मेजर अवतार सैनी, सूबेदार अमृत लाल, लेक्चरर राजीव मेहता, बृज राज, राजेश कुमार, सलविंदर कुमार, मोहिंदर सिंह, मैडम कंचन, पूनम, नीरू, ममता, नलिनी, रंजना, सीमा महाजन, मनोज कुमार, प्रीत कौर आदि उपस्थित थे।
खुशकिस्मत है वो जवान जिसका जीवन काम आता देश के : मेजर अनुशा
मेजर अनुशा ने कहा कि सरहद पर तैनात देश का वीर सैनिक पूरी तनदेही से ड्यूटी निभाता है ताकि देश सुरक्षित रह सके क्योंकि सैनिक अपनी ड्यूटी तथा वर्दी को अपना ईमान व धर्म समझता है और वो यह नहीं सोचता कि उसके जाने के बाद उसके परिवार का क्या होगा। उन्होंने कहा कि वो सैनिक खुशकिस्मत है, जिसका जीवन देश के काम आता है। मेजर अनुशा ने कहा यह जरूरी नहीं कि आप सेना में भर्ती होकर ही देशभक्ति दिखा सकते हो। जिस भी क्षेत्र में आप को अपना काम ईमानदारी से करते हुए अपनी देशभक्ति का सबूत दे सकते हो।
ईमानदारी व सिर उठाकर जीना सिखाती है फौज : एयर वाईस मार्शल मल्ही
एयर वाईस मार्शल पी.एस मल्ही ने कहा फौज में भर्ती होना देश सेवा का सर्वोत्तम माध्यम है जो हमें ईमानदारी, देशभक्ति व सिर उठाकर जीना सिखाती है। जिगर के टुकड़े देश पर कुर्बान करने वाले इन शहीद परिवारों के दर्शन करने से जीवन जीने की स्ट्रेंथ मिलती है।
स्कूल में निभाई सैन्य भूमिका को असल जिंदगी में सच कर दिखाया सिपाही मक्खन ने : कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने कहा कि शहीद सिपाही मक्खन सिंह जो स्कूल में आयोजित कार्यक्रमों में हमेशा सैनिक की भूमिका निभाता था। असल जिंदगी में भी वो अपना बलिदान देकर अपनी उस भूमिका को साकार कर गया। वो अक्सर अपनी माँ लाज कौर से कहा करता था कि वो जिदंगी में ऐसा काम कर जाएगा। जिस पर तुझे हमेशा गर्व रहेगा तथा कभी ऐसा काम नहीं करेगा। जिससे तेरे दूध को लाज लगे। कुंवर विक्की ने कहा कि लोग कहते हैं कि समय हर घाव को भर देता है, मगर शहादत का दर्द एक ऐसा असहनीय जख्म होता है जो समय के साथ-साथ और भी नासूर बन जाता है, अगर सरकारें व समाज के लोग उनके जख्म पर सहानुभूति की मरहम लगाएं तो उस परिवार का दर्द जरूर कुछ हलका होगा तथा उन्हें अपने लाडले के बलिदान पर गर्व होगा कि समाज इस दु:ख की घड़ी में उनके साथ खड़ा है। कुंवर विक्की ने कहा कि एक सैनिक रोटी के लिये नहीं नाम, नमक और निशान के लिये लड़ता है और पूरी निष्ठा के साथ अपना सैन्य धर्म निभाते हुए अपने आप को कुर्बान कर देता है।
त्याग व बलिदान का दूसरा नाम है देश का सैनिक : कर्नल सलारिया
परिषद के अध्यक्ष व शहीद लेफ्टिनेंट गुरदीप सलारिया शौर्य चक्र के पिता कर्नल सागर सिंह सलारिया ने कहा त्याग व बलिदान का दूसरा नाम हैं देश का वीर सैनिक, जो अपने परिवारिक सदस्यों का परित्याग करते हुए राष्ट्रहित में प्राणों की आहुति देकर देशवासियों के अंदर देशभक्ति की अलख जगा जाता है। उन्होंने कहा कि शहादत की कीमत क्या होती है यह उन शहीद परिवारों से पूछो जिन्होंने अपने घरों के चिराग देश की बलिवेदी पर कुर्बान कर दिये हैं। जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि देशभक्ति से ओतप्रोत आयोजित इस तरह के कार्यक्रमों से समाज में देशभक्ति की लौ प्रज्जवलित होती है और इसका श्रेय शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद को जाता है जो आए दिन इस तरह के श्रद्धांजलि समारोह करवाती रहती है। प्रिंसीपल मीनम शिखा ने आए मेहमानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्हें इस बात का फर्ख है कि जिस स्कूल में वो अपनी सेवाएं दे रही हैं वो स्कूल एक बलिदानी सैनिक को समर्पित है।