पंजाब पुलिस ने साल बाद ही भुलाया अपने जांबाज के बलिदान को
श्रद्धासुमन अर्पित करने नहीं पहुंचा कोई पुलिस अधिकारी, परिवार में रोष
प्रथम बलिदान दिवस नम आंखों से स्मरण किए गए कांस्टेबल कुलदीप बाजवा
गुरदासपुर,(राजदार टाइम्स): पिछले वर्ष गैंगस्टरों का बहादुरी से मुकाबला करते हुए शहादत का जाम पीने वाले पंजाब पुलिस के कांस्टेबल कुलदीप सिंह बाजवा का प्रथम बलिदान दिवस एक्सियन बलदेव सिंह बाजवा की अध्यक्षता में गांव शाहपुर अमरगढ़ के शहीद की याद में बने स्टेडियम में आयोजित किया गया। जिसमें एसडीएम राजपाल सिंह शेखों बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। सर्वप्रथम श्री आखण्ड पाठ साहब का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा बैरागमय कीर्तन कर शहीद को नमन किया। उसके बाद आए मेहमानों ने बलिदानी की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का आगाज किया। श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए एसडीएम राजपाल सिंह शेखों ने कहा कि शहीद देश का सरमाया होते हैं जिनकी बदौलत इस देश की एकता व आखंडता बरकरार है। उन्होंने कहा कि वो बलिदानी कांस्टेबल कुलदीप सिंह बाजवा के परिजनों के जज्बे को सैल्यूट करते हैं। जिन्होंने इस बहादुर योद्धे की याद में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित करने के साथ-साथ उसकी स्मृति में कबड्डी टूर्नामेंट का आयोजन भी किया है जैसे युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी। इनके अलावा शहीद की माता हरजीत कौर, दादा रिटायर्ड सूबेदार हरभजन सिंह, बहन गुरप्रीत कौर, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की, बलिदानी लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह, शहीद सिपाही सुखविंदर सिंह के पिता हवलदार सीता राम, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही प्रगट सिंह के पिता प्रीतम सिंह भाई गुरशरण सिंह, नायब तहसीलदार सुखविंदर सिंह, कानूगो कुलबीर सिंह रंधावा, पटवारी सतविंदर सिंह आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर शहीद के परिजनों सहित चार अन्य शहीद परिवारों को सिरोपे व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
मां बोली, गर्व है बेटे की शहादत पर मगर आहत हूं पुलिस विभाग की अपेक्षा से
शहीद की माता हरजीत कौर ने नम आंखों से कहा कि कुलदीप उनका इकलौता बेटा था, उनके बुढ़ापे का सहारा था। अपने 6 साल के कार्यकाल के दौरान उसने कई समग्लरों, नशे के सौदागरों को सलाखों के पीछे पहुंचाया था। उन्होंने कहा कि आज जहां उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। वहीं पुलिस प्रशासन पर इस बात को लेकर गहरा रोष है कि उनके बेटे ने गैंगस्टरों से लड़ते हुए अपना बलिदान देकर पंजाब पुलिस का नाम रोशन किया मगर आज उनके पहले बलिदान दिवस पर पुलिस प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने इस श्रद्धांजलि समारोह में शामिल न होकर उनके बेटे की शहादत का अपमान किया है क्योंकि वो खुद जिला पुलिस मुख्यालय जाकर इस श्रद्धांजलि समारोह का निमंत्रण देकर आई थी।
बलिदानों से भरा है पंजाब पुलिस का गौरवशाली इतिहास : कुंवर विक्की
कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि पंजाब पुलिस का गौरवशाली इतिहास बलिदानों से भरा है। आतंकवाद के काले दौर के दौरान भी पंजाब पुलिस के हमारे कई वीर जवानों ने अपना बलिदान देकर राज्य में अमन व शांति स्थापित की थी तथा एक साल पहले गैंगस्टरों से मुकाबला करते हुए कांस्टेबल कुलदीप सिंह बाजवा ने अपना बलिदान देकर कुर्बानियों की इस गौरवमयी परंपरा को कायम रखा। कुंवर विक्की ने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि एक सैनिक के शहीद होने पर उसके अंतिम संस्कार व अंतिम अरदास के दिन शहीद के घर मेला लगता है मगर उसके बाद उनकी परिषद के अलावा इन शहीद परिवारों की कोई सुध नहीं लेता। पिछले वर्ष इस शहीद जवान की अंतिम अरदास के दिन एडीजीपी नरेश अरोड़ा सहित कई पुलिस अधिकारी और क्षेत्र के गणमान्य लोग सैंकड़ों की संख्या में शामिल हुए थे। जहां तक कि कांस्टेबल कुलदीप बाजवा के अंतिम संस्कार के तीन दिनों बाद ही मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान भी इनके परिजनों से संवेदना व्यक्त करके गए थे, मगर अफसोस एक साल बाद ही क्षेत्र के लोगों ने इस बहादुर जवान के बलिदान को भुला दिया गया। कुंवर विक्की ने कहा शहीद कभी नहीं मरता हमेशा अमर रहता है मगर एक शहीद की मौत तब होती है। जब देश व सरकारें उनके बलिदान को भुला देती हैं।
मुख्यमंत्री की घोषणाओं को शीघ्र अमली जामा पहनाया जाए : बाजवा
एक्सियन बलदेव सिंह बाजवा ने कहा कि कांस्टेबल कुलदीप बाजवा की शहादत के बाद मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इस शहीद की याद में स्टेडियम, शहीद की प्रतिमा, यादगिरी गेट, गांव की सडक़ को चौड़ा कर शहीद के नाम पर रखने की घोषणा की थी। लेकिन स्टेडियम के पास शहीद की प्रतिमा तो लगा दी गई। स्टेडियम का काम अभी अधूरा है तथा न ही गांव को जाती सडक़ को चौड़ा किया गया है। इसलिए वह सरकार से अपील करते हैं कि शीघ्र ही मुख्यमंत्री की घोषणाओं को अमली जामा पहना शहीद परिवार व क्षेत्र के लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जाए।