राष्ट्र के सिरमौर हैं राइफलमैन अक्षय पठानिया जैसे जांबाज सीमा प्रहरी: मंत्री कटारूचक्क
दूसरे बलिदान दिवस पर स्मरण किए गए वीर अक्षय पठानिया
पठानकोट,(बिट्टा काटल): भारतीय सेना की 19 जैक राइफल्स यूनिट के शहीद राइफलमैन अक्षय पठानिया का दूसरा बलिदान दिवस शहीद के नाम पर बने सरकारी हाई स्कूल गांव चक्कड़ में प्रिंसिपल किरण बाला की अध्यक्षता में आयोजित किया गया जिसमें कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक्क बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा व्हाइट मेडिकल कालेज व हॉस्पिटल के चेयरमैन स्वर्ण सलारिया, शहीद की माता ऋतु पठानिया, पिता रिटायर्ड हवलदार सागर सिंह पठानिया, दादी सत्या देवी, भाई अमित पठानिया, बहन रीना पठानिया, भाभी अलका पठानिया, चाचा ठाकुर स्वर्ण सिंह पठानिया, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की, 9 एफओडी यूनिट के कैप्टन सायन मुखर्जी, शहीद मेजर विवेक भंदराल के पिता कर्नल पी.एस भंदराल, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही कुलदीप कुमार के पिता बंत राम, रिटायर्ड डिप्टी डीईओ राजेश्वर सलारिया, शहीद की यूनिट के नायब सूबेदार हरदीप सिंह, ठाकुर भूपिंदर सिंह मुन्ना, ब्लॉक प्रधान पवन कुमार, राजन ओबराए, प्रवीण मन्हास, पुष्पिंदर पठानिया, राकेश महाजन आदि ने विशेष मेहमान के रूप में शामिल होकर इस शौर्यवीर को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम मुख्यातिथि व अन्य मेहमानों ने बलिदानी अक्षय पठानिया की प्रतिमा के समक्ष ज्योति प्रज्जवलित व रीथ चढ़ा कर इस अमर वीर को सैल्यूट किया तथा 19 जैक राइफल्स के जवानों ने शस्त्र उल्टे कर बिगुल की गौरवशाली धुन के साथ शहीद को सलामी दी। श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने कहा कि शहीद राइफलमैन अक्षय पठानिया जैसे जांबाज सीमा प्रहरी राष्ट्र के सिरमौर हैं जो देशहित में प्राणों की आहुति देकर भावी पीढ़ी में देशभक्ति की चेतना जागृत कर उनमें राष्ट्र पर मर मिटने का जज्बा पैदा कर जाते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा में सरहद पर खड़ा सैनिक रात भर जागते हुए तनदेही से ड्यूटी निभाता है तभी देश चैन से सोता है। इसलिए देशवासियों का यह फर्ज बनता है कि जहां हमें वीर सैनिकों के बलिदान को अपने दिलों में संजो कर रखना है वहीं अपने सीमा प्रहरियों को भी उचित मान-सम्मान देते हुए उनके मनोबल को टूटने नहीं देना है। उन्होंने कहा कि राइफलमैन अक्षय पठानिया जैसे शूरवीरों की शहादत को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता इनके महान बलिदान के समक्ष सभी शब्द बौने हैं। उन्होंने कहा कि वह इस वीर सैनिक के माता-पिता को भी शत-शत नमन करते हैं, जिन्होंने अपना 24 साल का लाल देश की बलिवेदी पर कुर्बान कर अपना कद आसमान से भी ऊंचा कर लिया। मंत्री कटारूचक्क ने कहा कि अक्षय जैसे शूरवीरों के बलिदान को पैसे के पैमाने से नहीं तोला जा सकता लेकिन फिर भी उनकी सरकार ने एक सैनिक के शहीद होने पर मुख्यमंत्री द्वारा खुद उसके घर जाकर परिवार को एक करोड़ रुपए की राशी देने का सिलसिला शुरू कर इन वीर परिवारों के जख्मों पर मरहम लगाने का छोटा सा प्रयास किया है। इस अवसर पर उन्होंने स्कूल में इंटरलॉक लगाने के लिए अपनी तरफ से 2 लाख रुपए की ग्रांट देने की घोषणा की।
असहनीय होता है अपने जिगर के टुकड़े को खोने का दर्द: सलारिया
स्वर्ण सलारिय ने कहा कि शहीद कहना आसान है मगर देश पर कुर्बान होना बहुत मुश्किल है उन्होंने कहा अपने जिगर के टुकड़े को खोने का दर्द असहनीय होता है मगर शहीद परिवारों को इस दर्द के साथ जीना सीखना होगा ताकि वह त्याग की मूर्त बन समाज के लिए प्रेरणा बन सकें। उन्होंने कहा अक्षय पठानिया ने अपना बलिदान देकर इस गांव का नाम सारे देश में रोशन किया है मगर उन्हें इस बात का गहरा दुख है कि इस अमर वीर के गांव को आती सड़क की हालत बहुत खस्ता है सरकार को इस और ध्यान देना चाहिए। सलारिया ने कहा शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने देश पर कुर्बान होने वाले वीर सपूतों की याद में जगह-जगह इस तरह के श्रद्धांजलि समारोह आयोजन करने का जो बीड़ा उठाया है उससे समाज में देशभक्ति की चेतना पैदा होती है। इस अवसर पर उन्होंने कार्यक्रम में भाग लेने वाले छात्रों को अपनी तरफ से दस हजार रुपए देने की घोषणा की।
अक्षय कहता था जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए: कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि 24 वर्ष की अल्पायु में देश पर मर मिटने वाले राइफलमैन अक्षय पठानिया अक्सर कहा करते थे कि जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए और अपना बलिदान देकर उन्होंने अपनी कही बात को शाश्वत कर दिखाया ऐसे अमर वीर की कुर्बानी के समक्ष समूचा राष्ट्र नतमस्तक है। उन्होंने कहा कि वह इस मां की कोख को नमन करते हैं जिसने अक्षय जैसे वीर सपूत को जन्म देकर एक शहीद की मां कहलाने का गौरव प्राप्त किया। कुंवर विक्की ने कहा कि वह अक्षय पठानिया के परिजनों को शत-शत नमन करते हैं जिन्होंने सरकारों की तरफ नहीं देखा बल्कि अपने लाडले की शहादत को इबादत मानते हुए अपने खर्चे पर बलिदानी बेटे की याद में यादगिरी गेट उस पर बनी प्रतिमा तथा इस स्कूल में भी अक्षय की आदमकद प्रतिमा बनवा कर सही मायनों में अपने बेटे को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है, उनके इस जज्बे को वह दिल से सैल्यूट करते हैं। उन्होंने कहा कि शहीद कभी नहीं मरते हमेशा अमर रहते हैं मगर एक शहीद की मौत तब होती है जब देशवासी व सरकारें उसके बलिदान को भुला देती हैं।
इस अवसर पर छात्रों द्वारा देशभक्ति पर आधारित कार्यक्रम पेश कर सबकी आंखें नम कर दीं। मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित पांच अन्य शहीद परिवारों को शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मास्टर संजीव कुमार, पंकज जोशी, युगवीर पठानिया, कुशल पठानिया, अंकुश पठानिया, मास्टर मंजीत मनकोटिया, मैडम ममता जसरोटिया, प्राइमरी विंग की इंचार्ज गीता काटल आदि उपस्थित थे।