गर्व है श्री राम मंदिर निर्माण को लेकर हुए संघर्ष का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला
कार सेवक के रूप में काटी 15 दिन की जेल, 33 वर्षों बाद सपना होने जा रहा साकार
असंख्य राम भक्तों के संघर्ष व बलिदान से प्रशस्त हुआ राम मंदिर बनने का मार्ग
दीनानगर,(राजदार टाइम्स): आखिर वो घड़ी आ ही गई, जिसका इंतजार हर देशवासी पिछले पाँच सौ वर्षों से पलकें बिछाए कर रहा था। आज अवध नगरी अयोध्या में बने भव्य मंदिर में प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है और हर हिंदोस्तानी खुशकिस्मत है कि वह इस गौरवमई व ऐतिहासिक पल का गवाह बने। देश-दुनियां अयोध्या नगरी बना हुआ है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रभु राम 14 वर्षों के बनवास के बाद अयोध्या पधार रहे हैं, हर घर में प्रभु राम की पताका फहरा रही है। शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने बताया कि उन्हें भी इस बात का गर्व है कि श्री राम मंदिर के निर्माण को लेकर हुए संघर्ष का वह भी हिस्सा बने और 33 वर्षों बाद राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने से दिल को सुकून मिला और जिस आनंद की अनुभूति हो रही है। उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। जिले के गांव सैदी पुर निवासी कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने बताया कि उन्होंने 23 अक्तूबर 1990 को अपने गांव के तीन अन्य साथियों के साथ तारागढ़ से रवाना हुए कार सेवकों के जत्थे के साथ रात बारह बजे चक्की बैंक रेलवे स्टेशन पठानकोट से ट्रेन पर सवार हो अयोध्या के लिए कूच किया। स्टेशन पर सभी कार सेवकों का बहनों ने तिलक कर व केसरी पटके पहना विदा किया। सुबह ट्रेन जब सहारनपुर पहुंची तो देखा पूरा रेलवे स्टेशन पुलिस छावनी में तबदील हो चुका था। एक-एक कार सेवक को पुलिस ने ट्रेन से उतार कर गिरफ्तार कर लिया। जब स्टेशन के बाहर निकले तो पास की मस्जिद से कार सेवकों पर पथराव किया गया जिससे कुछ कार सेवक घायल हो गए। बड़ी मुश्किल से पुलिस ने स्थिति को संभाला और सबको जेल ले गए मगर हम अपने कुछ साथियों के साथ चोरी छिपे वहां से भाग निकले और रात को दूसरी ट्रेन लेकर अयोध्या के लिए रवाना हुए। दूसरे दिन जब रात को ट्रेन रुडक़ी पहुंची तो पुलिस को ट्रेन में कार सेवक होने की भनक लग गई। काफी संख्या में पुलिस के जवान रेलगाड़ी की एक-एक बोगी को चेक करने लगे तथा जो भी कार सेवक हाथ लगा उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने बताया कि दिल में रामलला के दर्शन करने का जनून लिए वो हर हाल में अयोध्या पहुंचना चाहते थे। इसलिए पुलिस से बचने के लिए वो ट्रेन के शौचालय में छिप गए मगर पुलिस की नजरों से नहीं बच पाए उन्हें भी अन्य कार सेवकों के साथ गिरफ्तार कर पुलिस ने उन्हें कुछ समय के लिए स्टेशन पर बने प्रतीक्षालय कक्ष में बंद कर दिया गया। उसके बाद सबको गाडिय़ों में भरकर बिजनौर ले जाया गया और एक कॉलेज में सभी कार सेवकों को रखा गया। बिजनौर में कफ्र्यू होने के बावजूद भी वहां की स्थिति बेहद तनावपूर्ण थी। पुलिस को सूचना मिली कि कुछ उपद्रवी कॉलेज पर हमला करना चाहते हैं तो दो दिनों बाद मध्यरात्रि पुलिस ने सभी कार सेवकों को बिजनौर की केंद्रीय जेल भेज दिया गया। जहां वह 15 दिन बंद रहे इन दिनों के दौरान उपद्रवियों ने जेल पर भी हमला करने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उसे विफल कर दिया। कुंवर विक्की ने बताया की 15 दिन जेल काटने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया और पुलिस की बसों में बैठाकर सभी कार सेवकों को हरिद्वार छोड़ दिया गया, जहां से हम वापिस लौट आए। कुंवर विक्की ने कहा कि बेशक आज राम मंदिर बनने से हर देशवासी का मन गद-गद है लेकिन इस संघर्ष के पीछे असंख्य राम भक्तों के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। जिन्होंने उस विवादित ढांचे तो तोड़ते हुए अपना बलिदान देकर राम मंदिर की नींव रखी। उन्होंने बताया आज उनके लिए गौरव का पल है। इस संघर्ष रूपी यज्ञ में उनके द्वारा भी छोटी से आहुति डाली गई और आखिर में यही कहूंगा कि प्रभु राम सबके हैं और सब पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें।