मिशन हैज बीन कंप्लीटेड सर… कह वतन पर कुर्बान हो गया लेफ्टीनेंट त्रिवेणी
डेढ़ हजार तीर्थ यात्रियों को बचाते हुए पिया था शहादत का जाम
श्रद्धांजलि समारोह मंलवार को
पठानकोट,(बिट्टा काटल): मिशन हैज बीन कंप्लीटेड सर… और इतना कहते ही देश का वीर सपूत लेफ्टिनेंट त्रिवेणी सिंह 2 जनवरी 2004 को जम्मू रेलवे स्टेशन पर हुए फिदायीन हमले को नाकाम कर डेढ़ हजार तीर्थ यात्रियों को बचाते हुए शहादत का जाम पी गया। अद्भुत शौर्य और अदम्य साहस का जो परिचय 25 वर्षीय शहीद लेफ्टिनेंट त्रिवेणी सिंह ने दिया, उसकी मिसाल पूरे देश में बहुत कम देखने को मिलती है। इस वीर योद्धा के जीवन वृत्तांतो संबंधी जानकारी देते हुए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने बताया कि लेफ्टीनेंट त्रिवेणी का जन्म 1 फरवरी 1978 को पिता कैप्टन जनमेज सिंह, जोकि उस समय झारखंड की राजधानी रांची के पास नामकुमे में तैनात थे, के घर शादी के नौ वर्षों के बाद माता पुष्पलता की कोख से काफी मन्नतें मांगने के बाद हुआ। दो बहनों के इकलौते भाई लेफ्टीनेंट त्रिवेणी सिंह ने प्रारंभिक शिक्षा सेंट जोसफ कान्वेंट स्कूल पठानकोट से प्राप्त की। इसके बाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना से बीएससी की। उन्होंने खेलों में भी अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए मार्शलआट्र्स में गोल्ड मैडल प्राप्त किया। इसके बाद सेना में कमिशन हासिल कर सैन्य अधिकारी के रुप में प्रशिक्षण प्राप्त करने आई.एम.ए देहरादून चले गये। प्रशिक्षण के दौरान त्रिवेणी बेस्ट कैडेट से नवाजे गये। ट्रेनिंग के बाद वह पांच जम्मू कश्मीर लाइट इनफैंटरी में बतौर लेफ्टीनेंट तैनात हुए और अपने सेवाकाल के समय वह अधिकतर आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्रों में ही रहे। 2 जनवरी 2004 को जब उनकी यूनिट जम्मू क्षेत्र के सुजवां में तैनात थी, तो इनकी यूनिट को सूचना मिली कि जम्मू रेलवे स्टेशन पर आतंकियों ने फिदायीन हमला कर दिया है। युनिट में टाइगर के नाम से जाने जाते त्रिवेणी सिंह जब रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो चीते की तरह फुर्ती दिखाते हुए आतंकियों पर टूट पड़े और दो आतंकियों को मार गिराया। इसी बीच उनकी नजर तीसरे आतंकी पर पड़ी, जो हाथ में ग्रेनेड लिये पार्सल रूम यहां पर डेढ़ हजार के करीब वैष्णो देवी जाने वाले तीर्थ यात्री मौजूद थे, की ओर बढ़ रहा था तथा वीर त्रिवेणी काफी ऊंचाई से उस आतंकी पर कूद पड़े और उसे भी मार गिराया। इसी बीच हुई मुठभेड़ में एक गोली लेफ्टीनेंट त्रिवेणी के सीने को भेदते हुए निकल गई। घायल अवस्था में भी त्रिवेणी ने खड़े होकर अपने कमाडिंग अफसर को अंतिम सैल्यूट करते हुए कहा कि मिशन हैज बीन कंप्लीटेड सर… और देश वासियों को अपना अंतिम सैल्यूट करते हुए यह वीर योद्धा शहादत की चादर ओढ़ अमर हो गया। ज्ञात रहे शहीद लेफ्टीनेंट त्रिवेणी की एक महीने के बाद शादी थी, घर पर मां सेहरे की लड़ीयां बुन रही थी, लेकिन इस जांबाज ने देश के लिए वीरगति को अपनी दुल्हन के रुप में स्वीकार करते हुए अपना बलिदान दे दिया। इनके अदम्य साहस को देखते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति ने इन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया। कुंवर विक्की ने बताया कि इस जांबाज सैनिक की शहादत को नमन करने के लिए 2 जनवरी को 21 सब एरिया द्वारा स्थानीय त्रिवेणी द्वार जहां इस शूरवीर की प्रतिमा लगी है पर एक श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें शहीद लेफ्टीनेंट त्रिवेणी सिंह के परिजन, सैन्य अधिकारी व जवान शामिल होकर इन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे।