वेद तथा आगमों में भगवान शिव बताया गया है को विशुद्ध ज्ञानस्वरूप : महंत राज गिरी
कहा, औढरदानी है आशुतोष शिव जी
दातारपुर,(एसपी शर्मा राजदार टाइम्स): श्री बिल्वेश्वर महादेव मन्दिर रकड़ी हार में वार्षिक मूर्ति प्रतिष्ठापना दिवस के अवसर पर भव्य भंडारा लगाया गया। समाज सेवी हरजीत सिंह बिहाल तथा कविता बिहाल की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में सुबह शिव पूजा के बाद वैदिक मंत्रों द्वारा हवन यज्ञ किया गया। ध्वजारोहण के बाद सत्संग प्रवचन एवं संकीर्तन का आयोजन किया गया। समारोह में माँ कामाक्षी दरबार कमाही के तपोमूर्ति महंत राज गिरी महाराज ने प्रवचनों द्वारा उपस्थिति को धर्म का मर्म समझाया। महंत जी ने कहा कि वेद तथा आगमों में भगवान शिव को विशुद्ध ज्ञानस्वरूप बताया गया है। समस्त विद्याओं के मूल स्थान भी भगवान शिव ही हैं। उनका यह दिव्य ज्ञान स्वत: सम्भूत है। ज्ञान, बल, इच्छा और क्रिया-शक्ति में भगवान शिव के समान कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि वह सबके मूल कारण, रक्षक, पालक तथा नियंता होने के कारण महेश्वर कहे जाते हैं। उनका आदि और अंत न होने से वह अनन्त हैं। महन्त राज गिरी महाराज ने कहा कि भगवान शंकर दिग्वसन होते हुए भी भक्तों को अतुल ऐश्वर्य प्रदान करने वाले, अनंत राशियों के अधिपति होने पर भी भस्म-विभूषण, श्मशानवासी होने पर भी त्रैलोक्याधिपति, योगिराज होने पर भी अर्ध नारीश्वर, पार्वती जी के साथ रहने पर भी कामाजित तथा सबके कारण होते हुए भी अकारण हैं। आशुतोष और औढरदानी होने के कारण वह शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों के संपूर्ण दोषों को क्षमा कर देते हैं तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, ज्ञान-विज्ञान के साथ अपने आपको भी दे देते हैं। महंत जी ने कहा कि भगवान शिव याचक के लिए कल्पतरु हैं। जैसे कल्पवृक्ष अपनी छाया में आए हुए व्यक्ति को अभीष्ट वस्तु प्रदान करता है, वैसे ही शिव के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता, वे उपासकों के समस्त अभाव दूर कर देते हैं और देते-देते अघाते भी नहीं हैं। शिवजी को याचक सदा ही अच्छे लगते हैं। शिवजी एक ही बार में इतना दे देते हैं कि फिर कभी किसी को मांगने की आवश्यकता ही नहीं रह जाती। शिव से दान पाने वाला हमेशा के लिए अयाचक हो जाता है। यहां तक कि वे भक्तों को अपना शिवपद भी प्रदान कर देते हैं। इसी से भगवान शिव ‘औढरदानी, हैं और सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस अवसर पर भंडारे में सैकड़ों लोगों ने शिरकत की व प्रसाद ग्रहण किया। इस समय पर अध्यक्ष हरजीत बिहाल, कविता बिहाल, बलराम सिंह, अजय शास्त्री, रमेश डडवाल, बनबारी लाल, कैप्टन रविंद्र शर्मा, अजय शास्त्री, अजय कुमार तथा अन्य उपस्थित थे।

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