बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ साजिश, सख्त नोटिस ले सरकार : महंत राज गिरी महाराज
कहा, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के खिलाफ विचारधारा वाले महापुरुषों को किया जा सकता है महिमामंडित
कमाही देवी,(एसपी शर्मा): यदि भारतीय सेना ने तत्कालीन मुक्ति वाहिनी के आंदोलन की सशस्त्र मदद न की होती, तो शायद बांग्लादेश ही न बनता। शायद आज के कट्टरपंथी कठमुल्लाओं को यह तथ्य ध्यान में नहीं होगा। पत्रकारों से चर्चा करते हुए माँ कामाक्षी देवी दरबार, कमाही देवी के तपोमूर्ति महंत राज गिरी महाराज, तपोमूर्ति महंत वैंकटेश्वर पुरी महाराज तथा संत अविनाश दास ने कहा कि बांग्लादेश के मौजूदा शासक बांग्ला अस्मिता को भी भुला चुके हैं। लिहाजा आज इस्लामी देश की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के अस्तित्व में आने के एक साल बाद 1972 में जो संविधान पारित किया गया था। उसमें धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, लोकतंत्र, राष्ट्रवाद को बुनियादी सिद्धांतों के रूप में शामिल किया गया था। आज न केवल संवैधानिक मूल्यों को बदलने की मानसिकता सामने आई है, बल्कि शेख मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश के ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि को भी समाप्त करने का प्रस्ताव है। महंत राज गिरी, महंत वैंकटेश्वर पुरी तथा संत अविनाश दास के विचार में बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल का कहना है कि संविधान में राष्ट्रपिता के तौर पर शेख मुजीब का नाम जबरन शामिल किया गया था और उसे चुनौती देना ‘राष्ट्रद्रोह’ माना जाता है। इसे संविधान से हटाना जरूरी है। अटॉर्नी जनरल का प्रस्ताव है कि देश में ‘महापुरुष’ की उपाधि जैसी कोई व्यवस्था होनी चाहिए। इस जमात में देश के कुछ महान नायकों को शामिल किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में यह आशंका जताई जा रही है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी ‘अवामी लीग’ के खिलाफ विचारधारा वाले महापुरुषों को महिमामंडित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश भारत का पड़ोसी देश है व हमारे देश में बांग्ला घुसपैठियों की समस्या बेहद संवेदनशील है। संघ का अनुमान है कि देश में 2 करोड़ बांग्ला घुसपैठिए हैं और यह सिलसिला जारी रहा है। चूंकि अब बांग्ला हिंदुओं का उत्पीडऩ किया जा रहा है, लिहाजा पश्चिम बंगाल से सटे उस देश से अवैध घुसपैठिए आ सकते हैं। उस स्थिति में भारत क्या करेगा? सभी अवैध शरणार्थियों को नागरिकता नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को नकारा भी नहीं जा सकता। सवाल है कि बांग्लादेश के संविधान में बदलाव कहीं हिंदुओं के खिलाफ कोई साजिश तो नहीं? लिहाजा भारत की नरेन्द्र मोदी सरकार को तटस्थ चुप बैठने से समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। प्रधानमंत्री को वहां के अंतरिम मुखिया से ‘चेतावनी’ के अंदाज में बात करनी चाहिए। यदि फिर भी बांग्लादेश ‘इस्लामी देश’ बन गया, तो उसके मुताबिक भी भारत की तैयारी होनी चाहिए। इस अवसर पर अजय शास्त्री, बनबारी लाल तथा अन्य उपस्थित थे।