कहा, सरकारों की गल्त नीतियों के कारण अपनी फसल के साथ मण्डिय़ों में धक्के खाने को मजबूर है देश का अन्न दाता
मांगे ना मानी तो रोकेंगे रेल यातायात को भी
दसूहा,(राजदार टाइम्स): देखो किसानों की कैसी बदकिस्मती है कि अन्नदाता कहे जाने वाला किसान आज सरकारों की गल्त नीतियों के कारण अपनी फसल के साथ मण्डिय़ों में धक्के खाने को मजबूर हुआ पड़ा है और सरकारे हैं कि उनके काणों पर जूँ तक नही रेंगती। यह शब्द किसान मजदूर सघर्ष कमेटी के जिलाध्यक्ष परमजीत सिंह भुल्ला ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्र नरेन्द्र मोदी ने वादा किया था कि वह किसानों के पक्ष में स्वामी नाथ्न की आई रिपोर्ट को लागू करेंगे उन्होंने ने भी अभी तक किसानों के हक्क में कुछ नहीं किया। अपने आप को बदलाव वाली पार्टी कही जाने वाली आम आदमी पर्टी को पंजाब के लोगों ने भारी बहुमत से समर्थन दे कर 92 विधयों के साथ सत्ता सौंपी मगर दु:ख की बात है कि आप सरकार ने किसानों की भलाई तो क्या करनी थी उल्टे पंजाब के सर लाखों करोड़ रूपए का कर्ज और चढ़ा दिया हां उन्होंने अपनी शादियां जरूर करवा ली है। भूल्ला ने कहा कि दसूहा मंडिय़ों में किसानों के साथ आढ़तियों द्वारा ठगीं की जा रही है कि उनके धान में ड़ेढ सौ से ले कर दो सौ तक का कट लगाया जा रहा है। इतनी बड़ी ठगी की बात सारे पंजाब में से कही सामने नहीं आई, जितनी दसूहा में आ रही हैं। टांड़ा आनाज मंड़ी सहित अन्य आस-पास की मण्डियों में खरीद होती थी मगर यहां के सत्ताधारी लोगों ने आपसी मिलीभुगत से वह भी बंद करवा दी है। किसान मजदूर सघर्ष कमेटी के जिलाध्यक्ष परमजीत सिंह भुल्ला ने कहा कि उनकी एसडीएम दसूहा से इस संबंध में बात हुई है और उन्होंने भरोसा दिलाया है कि मण्डिय़ों में धान की खरीद शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वह किसानों के एक-एक दाने को तुलवाने को बचनबद्व हैं। यदि पंजाब सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो वह मंगलवार को सुबह हाजीपुर चौंक पर 11 बजे राष्ट्रीय मार्ग जाम करेंगे, यदि फिर भी कोई हल नहीं निकला तो रेल भी रोकी जाएंगी। इस समय पर जगदीप सिंह गिल, वकीत अमनदीप सिंह घुम्मन, मक्खन सिंह, सत्तू झिंगड़, सुखविन्द्र सिंह गालोवाल, गुरप्रीत सिंह, मनराज संधू, कुलबीर सिंह चीमा, सरपंच मलकीत सिंह, कश्मीर सिंह, लवप्रीत सिंह साही,रणवीर सिंह, रछपाल सिंह, सुखदेव सिंह, भजन सिंह, विक्रम सिंह, पिंदर पवें, दिलबाग सिंह,दविन्द्र काहलों के अलावा अन्य किसान नेता भी उपस्थित थे।