पंजाब सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों के साथ घोर भेदभाव: लद्दड़
चंडीगढ़,(राजदार टाइम्स): भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष एसआर लद्दड़ ने पंजाब सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों के साथ किए जा रहे घोर भेदभाव के लिए पंजाब की भगवंत मान सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पंजाब सरकार ने आज 28 निगमों के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष/निदेशक और सदस्यों को मनोनीत किया है, जिसमें एक भी निगम में पंजाब की 35% आबादी को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सफाई कर्मचारी आयोग को छोड़कर लगभग 150 नियुक्तियों में अनुसूचित जाति की 35 प्रतिशत आबादी को ठेंगा दिखाया है। यहां तक कि अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष की भी नियुक्ति नहीं की गयी है और ना ही सदस्यों का चयन किया गया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि पंजाब सरकार अनुसूचित जाति के लोगों से नफरत करती है। ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी एक तिहाई जमीन की बोली के संबंध में पंजाब सरकार ने मार्च 2022 में दलितों के खिलाफ निर्णय लेते हुए उन्हें जमीन का तीसरा हिस्सा पाने से वंचित करने के कदम उठाए है। राज्यसभा के सात सदस्यों को नामांकित किया गया, लेकिन कोई भी अनुसूचित जाति से संबंधित नहीं है। अनुसूचित जाति आयोग के सदस्यों को पन्द्रह से घटाकर पाँच कर दिया गया है। 158 लॉ अधिकारी नियुक्त किये गये, लेकिन एक भी अनुसूचित जाति का नहीं। जजों की भर्ती में 45% अंकों की शर्त लगा दी गई है कि अगर लिखित परीक्षा में 45% से कम अंक होंगे तो उन्हें इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया जाएगा। एसआर लद्दड़ ने कहा कि पंजाब की खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी और गडवासु में एक जाति का राज चल रहा है और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण शून्य है, जबकि देश की हर यूनिवर्सिटी आरक्षण दे रही है, लेकिन पंजाब नहीं। संविधान का 85वां संशोधन पंजाब में लागू नहीं है, जबकि केंद्र में यह संशोधन बीस साल पहले वाजपेयी सरकार ने लागू किया था। क्या ये बाबा नानक की विचारधारा वाली सरकार है? क्या ये बाबा साहेब अम्बेडकर की विचारधारा वाली सरकार है? केजरीवाल और भगवंत मान जातिगत मानसिकता से बुरी तरह प्रभावित हैं। क्या पंजाब की एक तिहाई आबादी के साथ ऐसा भेदभाव सहनीय है? पंजाब के 34 विधायक साहिबान की अंतरात्मा को क्या हो गया है? क्या बाबा साहब ने ऐसे नेताओं की कल्पना की थी?