संविधान में समान अधिकार के बावजूद सम्मान के लिये संघर्षरत हैं महिलाएं : संतोष चौधरी
फगवाड़ा,(शिव कौड़ा): महिलाओं को राजनीति में समान अवसर मिले तो वे लोकतंत्र की रक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। क्योंकि महिलाओं को ईश्वर ने दया व करुणा का जो विशेष गुण दिया है, वही लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा के लिये सबसे जरूरी चीज है। यह विचार पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमति संतोष चौधरी ने अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज यहां वार्तालाप में प्रकट किये। उन्होंने कहा कि महिलाओं ने बार-बार यह सिद्ध करके दिखाया है कि यदि उन्हें अवसर मिले तो वे घर और बाहर दोनों जगह का प्रबंधन एक साथ बड़ी कुशलता के साथ कर सकती हैं। लेकिन वर्ष भर में मात्र एक दिन महिलाओं के नाम कर देने से महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य हासिल नहीं होगा बल्कि इसके लिये सरकारों को ईमानदारी से सारा साल लगातार प्रयास करते रहना होगा। उन्होंने कहा कि बाबा साहिब डा. अंबेडकर द्वारा रचित आजाद भारत के संविधान में समान अधिकार प्राप्त होने के बाद भी महिलाएं अभी तक वह सम्मान हासिल नहीं कर सकीं जिसकी वे हकदार हैं। जिसके लिये समाज की पुरुष प्रधान मानसिकता उत्तरदायी है। उन्होंने बताया कि श्रीमति सोनिया गांधी के प्रयास से महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण का बिल लोकसभा में पेश तो हुआ लेकिन संसद में पुरुषों का वर्चस्व होने के चलते पास नहीं हो सका। श्रीमति चौधरी ने कहा कि वह खुद तीन बार की लोकसभा सांसद हैं और पंजाब की पहली दलित महिला हैं। जिसने तीन बार हलका फिलौर व होशियारपुर से लोकसभा सीट जीत कर पार्टी की झोली में डाली लेकिन पिछले दो चुनाव में उन्हें महिला होने की कीमत चुकानी पड़ी और टिकट के लिये उनकी मजबूत दावेदारी की अन्देखी की गई। हालांकि दोनों बार होशियारपुर सीट से पार्टी को हार कर इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा। उन्होंने विश्वास जताया कि इस बार कांग्रेस पार्टी अपनी भूल का सुधार करेगी ताकि होशियारपुर लोकसभा सीट पर एक बार फिर कांग्रेस पार्टी का कब्जा हो सके।