सैकड़ों ने नम आंखों से किया शौर्य चक्र विजेता के बलिदान को नमन
पठानकोट,(बिट्टा काटल): शौर्य चक्र विजेता सिपाही सुरिंदर पाल का 17वां बलिदान दिवस शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की की अध्यक्षता में गांव जैनी के सरकारी एलिमेंट्री स्कूल में आयोजित किया गया जिसमें सीमा सुरक्षा बल की 109 बटालियन के कमांडेंट सुरेश सिंह बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए इनके अलावा टूआईसी दिलीप कुमार, शहीद की माता लाजो देवी, पत्नी कमलेश कुमारी, बेटा पारस व दिनेश, भाई सोहन लाल, परिषद के प्रेस सचिव बिट्टा काटल, शहीद लांसनायक दिलीप सिंह सेना मेडल के भतीजे वरिंदर सिंह, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज, शहीद कांस्टेबल मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्री, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही अरुण सिंह के पिता नेक राम आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

सर्वप्रथम मुख्यातिथि व अन्य मेहमानों ने शहीद की तस्वीर को सैल्यूट करते हुए कार्यक्रम का आगाज किया। श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि कमांडेंट सुरेश सिंह ने कहा कि सिपाही सुरिंदर पाल जैसे जांबाज सीमा प्रहरी देश व भारतीय सेना के गौरव हैं तथा धन्य है इस गांव की वीर भूमि जिसने ऐसे वीर सपूत को जन्म देकर देश पर कुर्बान कर दिया। उन्होंने कहा देश में चाहे कैसी भी परिस्थितियां हों हमारे वीर जवान ऊंचे मनोबल के साथ हमेशा सीमा पर अडिग खड़े रहते हैं ताकि कोई भी दुश्मन हमारे देश की सीमाओं को पार करने की जुर्रत न कर सके। कमांडेंट सुरेश सिंह ने कहा कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान कभी-कभी हमें आँखें दिखाने की कोशिश करता है लेकिन सुरिंदर पाल जैसे रणबांकुरों के शौर्य के समक्ष उसे हमेशा मुंह की खानी पड़ी है जिसका सबूत भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर ‘ के दौरान पाकिस्तान को हर मोर्चे पर धूल चटाकर सभी देशवासियों को दे दिया है। उन्होंने कहा शहीदों की याद में आयोजित इस तरह के समारोह देश की भावी पीढ़ी में देशभक्ति की अलख जगाते हुए उनमें राष्ट्र पर मर मिटने का जज्बा भरते हैं और ऐसे समारोह आयोजित करने के लिए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के सदस्यों की जितनी सराहना की जाए वो कम है।

युद्ध के दौरान नहीं, हर रोज करे सेना का सम्मान: कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र विक्की ने कहा कि जब भी देश पर कोई विपत्ति आती है तो सारा देश अपने सैनिकों की तरफ देखता है लेकिन युद्ध के बादल छंटते ही देशवासी अपने सैनिकों के शौर्य को भुला देते हैं जहां तक कि ट्रेन में सफर के दौरान अपने सैनिकों को कोई सीट भी देने को राजी नहीं होता यही देश का वीर सैनिक ट्रेन के शौचालय के पास अपना विस्तर लगा कर रात गुजारता है लेकिन ‘आपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय सेना ने तीन दिनों के अंदर ही पाकिस्तान को घुटनों पर लाकर सारे देश में अपनी वीरता का जिस तरह लोहा मनवाया आज सारा देश अपने वीर सैनिकों के शौर्य के समक्ष नतमस्तक होकर उनके सम्मान में ‘तिरंगा यात्राएं’ निकाल सेना के शौर्य को सैल्यूट कर रहा है। कुंवर विक्की ने कहा कि युद्ध के दौरान ही नहीं हर दिन देश के सैनिकों का सम्मान होना चाहिए इससे उनका हौंसला बुलंद होता है।

शहादत के 17 वर्षों बाद भी शहीद के नाम पर नहीं हुआ स्कूल का नाम-
कुंवर विक्की ने कहा कि जब एक सैनिक तिरंगे में लिपटा हुआ घर पहुंचता है तो उसके अंतिम संस्कार पर राजनेताओं द्वारा शहीद के सम्मान में कई तरह की घोषणाएं की जाती हैं लेकिन समय के साथ वही घोषणाएं सरकारी फाइलों में दफन होकर रह जाती हैं। शहीद सिपाही सुरिंदर पाल के अंतिम संस्कार पर भी सरकार द्वारा शहीद की याद में गांव के सरकारी स्कूल का नाम उनके नाम पर रखने व एक यादगिरी गेट बनाने की घोषणा की थी कुछ वर्षों बाद यादगिरी गेट तो बन गया मगर सिपाही सुरिंदर पाल के बलिदान के 17 वर्षों बाद भी गांव के सरकारी स्कूल का नाम उनके नाम पर नहीं रखा गया जिससे शहीद परिवार व क्षेत्र के लोगों की भावनाएं आहत हैं।

इस अवसर पर मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित आठ अन्य शहीद परिवारों को सिरोपे व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। स्कूल इंचार्ज जतिंदर कुमार ने आए मेहमानों का आभार व्यक्त किया वहीं छात्रों द्वारा देशभक्ति से ओत-प्रोत कार्यक्रम प्रस्तुत कर सबकी आँखें नम कर दीं। इस मौके पर सरपंच अक्षय शर्मा, सरपंच गुरदीप सिंह, पूर्व सरपंच तरसेम लाल, सरकारी मिडिल स्कूल की इंचार्ज दीपाली, कैप्टन कर्म सिंह, राज कुमार शर्मा, ठाकुर गगन सिंह, हवलदार कर्म सिंह आदि उपस्थित थे।