छात्रों ने देखा हैंडले द्वारा एकत्र की गई 19 हजार वस्तुओं का संग्रह भी
मुकेरियां,(राजदार टाइम्स): दसमेश गल्र्स महाविद्यालय चक्क अल्लाह बख्श ने छात्राओं के लिए प्राचार्या डॉ.करमजीत कौर बराड़ के नेतृत्व में भारत के प्रसिद्ध शहर जयपुर (गुलाबी शहर) के लिए एक शैक्षणिक दौरे का आयोजन किया। इस बीच छात्राओं ने जंतर-मंतर का दौरा किया। जहां उन्हें 19 खगोलीय संग्रहों के बारे में जानकारी मिली। इस इमारत का निर्माण राजपूत राजा जय सिंह ने करवाया था। इसके बाद छात्राओं ने हवा महल का दौरा किया और हवा महल के बारे में जाना। इस महल का निर्माण 1799 में महाराजा जय सिंह के पोते व राजस्थान राज्य के झुंझनू शहर के संस्थापक महाराजा प्रताप सिंह ने करवाया था। लाल एवं गुलाबी बलुआ पत्थर से बनी यह इमारत जयपुर के सिटी पैलेस के किनारे पर हैं। महिलाओं के कक्षों तक फैली हुई है। छात्राओं ने जयपुर के बिड़ला मंदिर का दौरा किया। इस मंदिर का निर्माण भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति बी.एम ने करवाया था। बिड़ला फाउंडेशन ने इस बिल्डिंग को वर्ष 1988 में तैयार किया था। वर्ष 1988 में बिड़ला फाउंडेशन द्वारा निर्मित यह इमारत सफेद संगमरमर से बनी है। यह हिंदू देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु (नारायण) को समर्पित है, जिनकी मूर्तियाँ अंदर दिखाई देती हैं। टूर के दूसरे दिन छात्राओं ने आमेर किले का भ्रमण किया। यह किला 4 वर्ग कि.मी क्षेत्रफल वाला एक शहर है और जयपुर से 11 कि.मी की दूरी पर एक पहाड़ी पर स्थित है। आमेर किले का दौरा करने के बाद, छात्र जल महल देखने आए और उस महल के बारे में जाना, जो भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर शहर में मान सागर झील में स्थित है। छात्राओं को पता चला कि जल महल मूल रूप से 1699 के आसपास बनाया गया था। इमारत और इसके आसपास की झील को बाद में 18वीं शताब्दी की शुरुआत में अंबर के महाराजा जय सिंह द्वारा नवीनीकरण के माध्यम से बढ़ाया गया था। इसके बाद कपड़ा उद्योग से जुड़ी जानकारी द्वारा नवीकरण के माध्यम से विस्तार किया गया था। कपड़ा उद्योग से संबंधित ज्ञान प्राप्त करने के लिए, छात्र जयपुर हाट गए, जहां उन्होंने ब्लॉक प्रिंटिंग प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले राजस्थान के कुछ पारंपरिक वस्त्रों जैसे बंधेज़, सांगानेरी और लाहिरिया के बारे में सीखा। विद्यार्थियों को प्राकृतिक एवं कृत्रिम रंगों से भी अवगत कराया गया। इसके बाद छात्र वल्र्ड ट्रेड पार्क (शॉपिंग मॉल) पहुंचे। जहां छात्रों को पार्क की अनूठी विशेषता के बारे में पता चला कि इसमें डिस्प्ले सिस्टम है। जहां 24 प्रोजेक्टर इसकी छत पर एक छवि बनाते हैं। छात्राओं को यह भी बताया गया कि इसे भारत के बी.सी.आई द्वारा ‘‘मॉल ऑफ द ईयर’’ और ‘‘सर्वश्रेष्ठ वास्तुकला’’ से सम्मानित किया गया है। छात्राओं ने देखा कि इमारत में दो अलग-अलग ब्लॉक हैं, उत्तर और दक्षिण में, यह इमारत एक शहर की सडक़ से अलग हो गई थी। यात्रा के तीसरे दिन छात्राओं ने अल्बर्ट हॉल संग्रहालय का दौरा किया। जहां छात्राओं ने प्राचीन पेंटिंग, आभूषण, कालीन व हाथी दांत, पत्थर सहित कलाकृतियों का एक समृद्ध संग्रह देखा। हाथी दांत, पत्थर, धातु की मूर्तियां देखीं, संग्रहालय में गुप्त, कुषाण, दिल्ली सल्तनत, मुग़ल और ब्रिटिश काल के सिक्के शामिल थे। उन्होंने हैंडले द्वारा एकत्र की गई 19 हजार वस्तुओं का संग्रह भी देखा। जिनमें हथियार और कवच, मूर्तिकला, जापान, श्रीलंका, म्यांमार, हंगरी, जर्मनी, ऑस्ट्रिया आदि की अंतर्राष्ट्रीय कला, मिट्टी के बर्तन, कालीन, गहने, संगीत वाद्ययंत्र, आदि शामिल थे। हाथी दांत, लकड़ी का काम और पत्थर का काम। इसके बाद छात्राएं फिर से बापू बाज़ार पहुंचीं। छात्राओं को पता चला कि यह बाज़ार अपने चमड़े के उत्पादों और जूतों के लिए प्रसिद्ध है। छात्राओं ने बापू बाज़ार में विशेष हस्तशिल्प, इत्र, परफ्यूम, लहंगा, रंगीन साडिय़ों और अद्वितीय बलुआ पत्थर की कलाकृतियों की भी खरीदारी की, जो ऊंट के चमड़े से बने हैं। उसके बाद छात्राओं ने डोमिनोज़ में पिज़्ज़ा खाया, फिर राज मंदिर में ‘क्रू’ नामक फि़ल्म देखी और फिर खाना खाकर घर के लिए रवाना हो गए। इस दौरान महाविद्यालय के प्राचार्या समेत छ: शिक्षक, दो कार्यालय कर्मी भी मौजूद थे।