गुरप्रीत जैसे जांबाजों का बलिदान लंबे समय तक याद रखेगा हिंदुस्तान: शेखवां
कहा, बलिदानी की याद में बनेगा स्टेडियम व यादगिरी गेट
प्रथम बलिदान दिवस पर नम आंखों से स्मरण किए गए गुरप्रीत
गुरदासपुर,(राजदार टाइम्स): भारतीय सेना की 18 राष्ट्रीय राइफल्स (73 फील्ड रेजीमेंट) युनिट के सिपाही गुरप्रीत सिंह का प्रथम श्रद्धांजलि समारोह गांव भैणी खादर में उनके निवास स्थान पर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। जिसमें जिला योजना बोर्ड के चेयरमैन व आम आदमी पार्टी पंजाब के महासचिव एडवोकेट जगरूप सिंह शेखवां ने बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की माता लखविंदर कौर, पिता नरेंद्र सिंह, भाई हरप्रीत सिंह व सर्वजीत सिंह, ताया कश्मीर सिंह, बलबीर सिंह व बलविंदर सिंह, कर्नल जी.एस सैनी, शहीद की यूनिट के सूबेदार हरदीप सिंह, नायक अरविंदर सिंह व लवप्रीत सिंह, बलिदानी लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह,बलिदानी लांसनायक डिप्टी सिंह सेना मेडल के भतीजे वरिंदर सिंह, पठानकोट एयरबेस हमले के शहीद कैप्टन फतेह सिंह की पत्नी शोभा ठाकुर, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज, पुलवामा हमले के शहीद कांस्टेबल मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्री, शहीद सिपाही सुरिंदर सिंह की माता अयोध्या देवी, मार्किट कमेटी कादीयां के चेयरमैन मोहन सिंह आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

सर्वप्रथम श्री अखंड पाठ साहब जी का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा बैरागमय कीर्तन कर शहीद को नमन किया गया। श्रद्घांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि चेयरमैन जगरूप सिंह शेखवां ने कहा कि मौत एक अटल सच्चाई है, जो इंसान पैदा होता है एक दिन उसे मृत्यु अवश्य आएगी, मगर देश सेवा, परोपकार व राष्ट्रहित में प्राणों की आहुति देने वाले मरते नहीं बल्कि अमर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि एक साल पहले इस गांव के वीर सपूत ने राष्ट्र की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति देकर अपना और इस गांव का नाम सारे देश में रोशन किया। उन्होंने कहा कि सैकड़ों लोग रोज मरते हैं। उन्हें कोई याद नहीं करता मगर एक सैनिक की शहादत पर सारा देश नतमस्तक होता है। शेखवां ने कहा कि मेरे लिए यह गर्व की बात है कि मुझे इस कार्यक्रम में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तथा शहीद परिवारों के दु:ख में उनके साथ खड़े होकर उनका दर्द बांटने के संस्कार उन्हें अपने स्वर्गीय पिता पूर्व मंत्री जत्थेदार सेवा सिंह शेखवां से विरासत में मिले हैं। उन्होंने शहीद सिपाही गुरप्रीत सिंह की याद में गांव में एक स्टेडियम व यादगिरी गेट बनाने की घोषणा की। मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित दस अन्य शहीद परिवारों को सिरोपे व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर शहीद के मामा दलजिंदर सिंह व बलविंदर सिंह, मौसा रत्न सिंह व नवजीत सिंह, नायब सूबेदार राकेश कुमार, सरपंच परमजीत कौर, मार्किट कमेटी के पूर्व चेयरमैन चंचल सिंह, सरपंच गुरमीत सिंह, सरपंच गुलविंदर सिंह बल्ल, पी.एस.ओ सुरजीत सिंह, सरपंच सलामत दारा पुर, नंबरदार निशान सिंह, नंबरदार गज्जन सिंह, जसबीर सिंह, फकीर सिंह सिंह आदि उपस्थित थे।

किस्मत वालों को नसीब होता है तिरंगा रूपी कफ़न: कुंवर विक्की
कुंवर रविंद्र विक्की ने कहा शहीद देश की अमूल्य धरोहर होते हैं जो सरहद पर आतंक व बर्फीले तूफानों को अपने सीने पर झेलते हैं ताकि देशवासी अमन व चैन की नींद सो सके। उन्होंने कहा कि देश की आजादी का प्रतीक तिरंगा रुपी कफन किस्मत वालों को नसीब होता है तथा वो सैनिक धन्य है, जो राष्ट्र को सर्वोपरि मानकर इस तिरंगे की शान को बरकरार रखते हुए अपना बलिदान दे जाता है। कुंवर विक्की ने कहा कि वह शहीद गुरप्रीत सिंह के परिजनों को दिल से सैल्यूट करते हैं। जिन्होंने अपने बेटे की शहादत को अपनी विरासत मानते हुए अपने घर में उनके नाम का एक स्मारक रूपी कमरा तैयार कर उसमें अपने खर्चे पर बनाई बेटे की प्रतिमा, उसकी यूनिफॉर्म, मेडल्स व वो तिरंगा जिसमें लिपट कर गुरप्रीत घर पहुंचे थे को श्रद्धा के साथ सजा कर रखा है और शहीद बेटे की यही यादें उनके जीने का सहारा हैं। उन्होंने शहीद परिवार को ढांढस बंधाते हुए कहा कि अभी इस परिवार का जख्म ताजा है। इससे उभरने के लिए समय लगेगा मगर उनकी परिषद इनके होंसले को परास्त नहीं होने देगी हमेशा चट्टान की तरह इनके साथ खड़ी रहेगी। उन्होंने कहा कि वह इस गांव की वीर भूमि को नमन करते हैं जिसने दो बलिदानी सैनिक व एक स्वतंत्रता सेनानी देश को दिया है, जिसके हर घर से एक जवान आज भी सेना में भर्ती होकर सरहदों की रखवाली कर रहा है।

सीमा पर जांबाजों की शहादत आखिर कब तक: कर्नल सैनी
कर्नल गुरमुख सिंह सैनी ने भावुक होते हुए कहा कि सीमा पर हमारे जांबाज सैनिकों की शहादत आखिर कब तक होती रहेगी, सरकार को इस बारे में आतंक के खिलाफ कोई ठोस नीति बनानी चाहिए ताकि भविष्य में किसी मां की गोद सूनी न हो।