गर्व के आंसुओं के साथ स्मरण किए गए डिप्टी कमांडेंट सुभाष शर्मा
पठानकोट,(बिट्टा काटल): बमियाल सेक्टर में भारत-पाक सीमा की जीरो लाइन पर बनी सीमा सुरक्षा बल की ढींडा फॉरवर्ड पोस्ट जिसका नाम बदल कर 7 बटालियन के शहीद डिप्टी कमांडेंट सुभाष शर्मा के नाम पर रखा गया है तथा जहां उनकी प्रतिमा भी लगी है। इस अमर बलिदानी की स्मृति में इस पोस्ट पर बने शहीदी स्मारक पर एक श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन 121 बटालियन के कमांडेंट सुनील मिश्रा की अध्यक्षता में करवाया गया। जिसमें शहीद डिप्टी कमांडेंट सुभाष शर्मा के बैचमेट रहे जम्मू फ्रंटियर के डी.आई.जी प्रभाकर जोशी व शहीद की पत्नी बबिता शर्मा बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुईं। इनके अलावा डी.आई.जी विजय थपियाल, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की, बी.एस.एफ सेक्टर हैडक्वार्टर गुरदासपुर से कमांडेंट एच.एस सिंह, 58 बटालियन के कमांडेंट कमल यादव, टू.आई.सी विनय डोगरा, डिप्टी कमांडेंट तारा दत्त, डिप्टी कमांडेंट मोहम्मद राजी आलम, सहायक कमांडेंट विवेक कुमार, सहायक कमांडेंट अजय कुमार, सहायक कमांडेंट एबीनजीर, समाज सेवक सुरिंदर महाजन शिंदा, एस.डी.ओ नरेश त्रिपाठी, शहीद कर्नल के.एल गुप्ता के भाई सुरिंदर गुप्त आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर इस शौर्यवीर को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सर्वप्रथम शहीद की पत्नी बबिता शर्मा ने ज्योति प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का आगाज किया तथा सीमा सुरक्षा बल के जवानों के शस्त्र उल्टे कर बिगुल की गौरवशाली धुन के साथ शहीद को सलामी दी। इसके अलावा डी.आई.जी प्रभाकर जोशी, शहीद की पत्नी बबिता शर्मा व बी.एस.एफ के अन्य अधिकारियों ने शहीदी स्मारक पर रीथ चढ़ा डिप्टी शहीद को नमन किया। इसके उपरांत आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए डी.आई.जी प्रभाकर जोशी ने कहा कि डिप्टी कमांडेंट शहीद सुभाष शर्मा जैसे जांबाज सैनिक देश व सीमा सुरक्षा बल के गौरव हैं। इनके बलिदान से हमारे जवान प्रेरणा लेकर राष्ट्र की सुरक्षा को सर्वोपरी मानते हुए अपने अंदर हमेशा देश पर मर मिटने का जज्बा भरते रहेंगे। उन्होंने कहा कि वह मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले हमारे वीर सीमा प्रहरियों को शत-शत नमन करते हैं, जिन्होंने एक ओर शांति बहाल करने में अनुकरणीय क्षमताओं का प्रदर्शन किया है तो दूसरी ओर उन्होंने दुश्मन को उसी भाषा में जबाव दिया है जो भाषा वो समझते हैं। सुभाष शर्मा जैसे वीरों की शहादत हमारे संकल्प को और मजबूत करती है और हमें आतंक को जड़ से नष्ट करने के लिए प्रेरित करती है। इस अमर वीर योद्धा के सर्वोच्च बलिदान के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक यह शहीदी स्मारक हमारे जवानों में उच्च नैतिक मूल्यों, बलिदान और राष्ट्रीय गौरव की भावना को मजबूत करने में मदद करेगा। डी.आई.जी जोशी ने कहा डिप्टी कमांडेंट सुभाष शर्मा जो आतंकियों के लिए काल का रूप थे। उन्होंने कई आतंकियों को मौत की नींद सुलाया था और यह आतंकियों की हिट लिस्ट में थे, क्योंकि उनमें सुभाष की बहादुरी का इतना खौफ था कि वह उन्हें पीटर के नाम से जानते थे। उन्होंने कहा कि सुभाष शर्मा जिन्होंने कमर्शियल पायलट का प्रशिक्षण भी लिया था जोकि बहुत ही कठिन होता है। वह शहीद की पत्नी बबिता शर्मा के त्याग व संघर्ष को भी दिल से सैल्यूट करते हैं जो अपना पति देश पर कुर्बान करने के बाद टूटी नहीं बल्कि अपने बेटे को भी सेना में अफसर बना कर उन्होंने अपने शहीद पति के सपने को साकार किया। डी.आई.जी ने कहा कि हमारे सीमा सुरक्षा बल के जवान कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी देते हुए सर्दी, गर्मी को अपने सीने पर झेलते हैं मगर उनके कदम कभी भी डगमगाते नहीं।
पत्नी बोली, पति खोने का दु:ख मगर शहादत पर गर्व
बलिदानी डिप्टी कमांडेंट सुभाष शर्मा की पत्नी बबिता शर्मा ने कहा कि उन्हें अपने पति को खोने का दुख तो बहुत है, मगर उनके बलिदान पर गर्व भी है। जिनकी कुर्बानी उन्हें एक शहीद की पत्नी कहलाने का गौरव प्रदान कर गई है। उन्होंने कहा कि जब उनके पति शहीद हुए तो उस वक्त उनके बेटे की उम्र मात्र 9 महीने की थी, एक साल तक वो घर में बंद होकर रह गई। शहीद की पत्नी ने कहा कि उनके जीवन में तब एक नया मोड़ आया, जब उनके पड़ोस ने रहने वाली एक औरत ने उनके घर आकर उनकी मां से कहा कि ‘बेचारी बबिता विधवा हो गई’ और बेचारी व विधवा शब्द उन्हें शूल की तरह चुभा कि एक बलिदानी सैनिक की पत्नी जिसे 21 तोपों की सलामी दी गई हो वो कैसे बेचारी हो सकती है। फिर उन्होंने अपने दु:ख को अपने सीने में दबा लिया और अपने पति की शहादत को अपनी ताकत बना कर अपने बेटे क्षितिज शर्मा को सेना में अफसर बनाया। जिसका सपना उनके इकलौते बेटे ने कक्षा छठी में पढ़ते हुए देखा था और उन्हें इस बात का गर्व है कि आज उनका बेटा कैप्टन क्षितिज शर्मा सेना प्रमुख मनोज पांडे का ए.डी.सी बन चुका है। जिसके लिए पांच हजार अफसरों की हुई इंटरव्यू में वह अकेला इस महत्वपूर्ण पोस्ट के लिए नियुक्त हुआ। उन्होंने 121 बटालियन का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि बेशक उनके पति को शहीद हुए 24 वर्ष हो चुके हैं, मगर सीमा सुरक्षा बल आज भी उन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानती है।
खुशकिस्मत है वो सैनिक जिसका जीवन काम आता देश के : कमांडेंट मिश्रा
कमांडेंट सुनील मिश्रा ने आए मेहमानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शहादत का गौरव हर किसी की किस्मत में नहीं होता, वो सैनिक धन्य है। जिनका जीवन देश के काम आता है। उन्होंने कहा डिप्टी कमांडेंट सुभाष शर्मा ने अपना अमूल्य बलिदान देकर सीमा सुरक्षा बल का नाम सारे विश्व में रोशन किया है तथा आज भी हमारे जवान उनके बलिदान से प्रेरणा लेकर अपने अंदर राष्ट्र पर मर मिटने का जज्बा पाले हुए हैं।
तीर्थ स्थान तुल्य हो गया इस पोस्ट का रुतबा : कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की ने कहा कि इस पोस्ट का नामकरण एक बलिदानी सैनिक के नाम पर होने तथा उनकी याद में बने शहीदी स्मारक पर उनकी प्रतिमा लगने से इसका रुतबा तीर्थ स्थान तुल्य हो गया है। हमारे शास्त्र कहते हैं कि जो इंसान शहीदों की याद में बने स्मारक पर नतमस्तक होते हैं व एक शहीद परिवार के चरणों की धूली से तिलक करते हैं। उन्हें चार धामों की यात्रा व सौ कुंभ नहाने का फल मिलता है। कुंवर विक्की ने कहा कि शौर्य, त्याग व बलिदान की मूर्त शहीद की पत्नी बबिता शर्मा के चरणों में वह शीश झुकाते हैं। जिन्होंने अपने पति के बलिदान के हिम्मत नहीं हारी, बल्कि अपने पति की शहादत को कमजोरी नहीं अपनी ताकत बनाते हुए समाज में सिर उठा कर जी रही है। आए दिन यह खूनदान कैंप लगा जहां मानवता की सेवा कर रही हैं। वहीं खुद वह 24 बार खूनदान कर कई इंसानी जिंदगियों को बचा चुकी हैं और पर्यावरण को बचाने हेतु अपने शहीद पति की याद में हजारों पौधे रोपित कर चुकी हैं। कुंवर विक्की ने कहा कि डिप्टी कमांडेंट सुभाष शर्मा के बलिदान के 24 वर्षों बाद भी सीमा सुरक्षा बल ने उनकी शहादत को जिस तरह जिंदा रखा है। उससे पता चलता है कि हमारे सीमा प्रहरी ही सही मायनों में अपने बलिदानी वीरों व उनके परिजनों का दिल से सम्मान करते हैं। कार्यक्रम में सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों व परिषद के सदस्यों ने शहीद डिप्टी कमांडेंट सुभाष शर्मा की पत्नी को शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इसके अलावा बी.एस.एफ द्वारा शहीद डिप्टी कमांडेंट सुभाष शर्मा के शौर्य को दर्शाती डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई वहीं आर.एस पब्लिक स्कूल बमियाल के छात्रों ने देशभक्ति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सब में जोश भर दिया। मंच संचालन का दायित्व इंस्पेक्टर सुप्यार ने बाखूबी निभाया। इस अवसर पुलवामा हमले के शहीद कांस्टेबल मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्री, शहीद सिपाही दीवान चंद की पत्नी सुमित्री देवी, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही अश्वनी कुमार शौर्य चक्र के भाई बूई लाल, शहीद कांस्टेबल मनदीप कुमार के पिता नानक चंद, सरपंच सुरजीत सिंह आदि उपस्थित थे।

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