कहा, सूबा सरकार को केंद्र की ओर से चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं की ही जानकारी नहीं
होशियारपुर,(राकेश राणा): पंजाब में दलित छात्रों की पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप जानबूझ कर रोकने के राज्य के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा के आरोपों पर भाजपा ने तीखा पलटवार किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला ने कहा कि चीमा सरासर झूठ बोल रहे हैं। वह सिर्फ भाजपा को बदनाम करने के लिए ऐसे तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं। वित्त मंत्री के ओहदे पर बैठे जिम्मेदार व्यक्ति को ऐसी ओछी राजनीति शोभा नहीं देती। सांपला बोले कि चीमा का यह कहना कि केंद्र की भाजपा सरकार ने राज्य के दलित छात्रों की छात्रवृत्ति रोकी है, बेहद बचकाना बयान है। सांपला बोले कि चीमा का कहना है कि राज्य की आम आदमी पार्टी की सरकार ने लगभग एक लाख 17 हजार दलित छात्रों को स्कालरशिप के तौर पर लगभग 91 करोड़ रुपये दिए हैं और यह भी कह रहे हैं कि स्कालरशिप के लिए लगभग ढाई लाख छात्रों ने आवेदन किया है। अगर यह बात सही है तो चीमा बताएं कि राज्य सरकार ने सिर्फ एक लाख 17 हजार छात्रों को ही स्कालरशिप क्यों बांटी। बाकी बचे छात्रों को इस लाभ से वंचित क्यों किया? उन बच्चों के भविष्य के साथ राज्य सरकार खिलवाड़ क्यों कर रही है? पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चीमा आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार ने 2017 से 23 तक स्कालरशिप के लिए कोई एक रुपया भी नहीं दिया। लेकिन इसमें भी कोई सच्चाई नहीं है। केंद्र सरकार ने समय-समय पर बजट जारी किया है। लेकिन सच्चाई यह है कि राज्य सरकार जब देखती है कि उसे भी 40 प्रतिशत बजट देना पड़ता है और रजिस्ट्रेशन के लिए छात्रों की संख्या बढ़ने लगती है तो राज्य सरकार खुद पोर्टल बंद कर देती है जिससे छात्र रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवा पाते। बोले, कई बार मैंने अफसरों से खुद इस बारे में बात की है। शुरू में अफसर बहाना लगाते थे कि केंद्र सरकार के आदेश पर वे पोर्टल बंद करते हैं। उन्हें बताया गया कि केंद्र सरकार एक अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक पूरा साल पोर्टल खुला रखती है। राज्य सरकार बार-बार पोर्टल बंद करके दलित छात्रों के साथ धोखा कर रही है। सांपला ने कहा कि जहां तक 2017 से 23 तक पैसा जारी न करने की बात है तो यह राज्य सरकार ने अपने स्तर पर नहीं दिया है। केंद्र ने अपनी तरफ से पूरा पैसा जारी किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सोशल जस्टिस विभाग ने बताया है कि 20-21 में इस योजना के तहत केंद्र सरकार को 60 फीसद के हिसाब से 219.20 करोड़ देना था। उस समय तत्कालीन सूबा सरकार ने लिखित में बताया था कि उसके पास इस योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से जारी लगभग 140.36 करोड़ रुपये फालतू पड़ा है। उसे मिलाकर केंद्र पर 88.84 करोड़ रुपये बकाया था जो केंद्र ने समय पर जारी किया था। इसी तरह 21-22 में लगभग 1 लाख 92 हजार 471 बच्चे रजिस्टर हुए थे। उनके लिए केंद्र सरकार ने अपने हिस्से के 272.73 करोड़ रुपये समय पर जारी किए थे। 22-23 में 1 लाख 98 हजार छात्रों के लिए केंद्र ने 248.99 करोड़ रुपये जारी किए थे। 23-24 में अब तक 172.55 करोड़ रुपये केंद्र की तरफ से जारी किए जा चुके हैं और आगे भी जारी करती रहेगी। ऐसे में हरपाल चीमा सिर्फ जनता को गुमराह करने के लिए झूठी बयानबाजी कर रहे हैं। जबकि राज्य सरकार की नाकामी के कारण आज कई शिक्षण संस्थानों में गरीब दलित छात्रों को दाखिला नहीं मिल रहा है। क्योंकि शिक्षण संस्थानों का कहना है कि राज्य सरकार की तरफ से पैसा जारी नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि यह बड़ी दु:खद बात है कि राज्य की भगवंत मान सरकार को दो साल सत्ता में आए हुए हो चुके हैं, लेकिन उसे केंद्र सरकार की ओर से छात्रों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं की ही जानकारी नहीं है। इन्सें पोस्ट मैट्रिक योजना का भी सिर्फ इसलिए पता है कि क्योंकि राज्य में इसके लाभार्थियों की संख्या काफी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने विद्यार्थियों चाहे लड़कियां हों या लड़के, के लिए होस्टल बनाने के लिए योजना शुरू की हुई है। लेकिन राज्य सरकार को शायद इस बारे में भी नहीं पता। अगर पता है तो वह बताए कि दो साल में कितने होस्टल केंद्र से मांगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र की सभी योजनाओं की पूर्ण जानकारी नहीं है, इनको तो सिर्फ सच के नाम पर झूठ बोलने की महारत है।