होशियारपुर,(राजदार टाइम्स): पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना ने धान की पराली के प्रबंधन के लिए विभिन्न कृषि मशीनें विकसित और अनुशंसित की हैं।जिनसे धान की पराली को खेत में ही प्रबंधित किया जा सकता है। धान की पराली को खेत में सतह पर मल्च की तरह रखकर या मिट्टी में मिलाकर प्रबंधित किया जा सकता है। पी.ए.यू कृषि विज्ञान केंद्र,होशियारपुर ने वर्ष 2024-25 के दौरान धान की पराली के उचित प्रबंधन की तकनीकों का प्रदर्शन करने और इसके प्रसार हेतु माहिलपुर ब्लॉक के गांव बुगरा को अपनाया है।

इसी कड़ी में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा गांव बुगरा के सम्मानित और प्रगतिशील किसान तरनजीत सिंह मान के खेतों में धान की फसल कटाई के बाद आलू की बुआई से पहले धान की पराली के प्रबंधन हेतु कृषि मशीनरी सुपर एस.एम.एस. कंबाइन से धान की कटाई, पराली काटने के लिए पैडी स्ट्रॉ चॉपर, और पराली को खेत में मिलाने के लिए रिवर्सिबल हल का प्रदर्शन किया गया।

कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि मशीनरी विशेषज्ञ डॉ.अजायब सिंह, सहायक प्रोफेसर (कृषि इंजीनियरिंग) ने किसानों को बताया कि पी.ए.यू, लुधियाना ने कंबाइन के पीछे लगने वाला पराली प्रबंधन यंत्र सुपर एस.एम.एस(स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम) विकसित किया है।जिससे धान की पराली को काटकर खेत में समान रूप से फैलाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि चॉपर पराली को काटकर खेत में बिखेर देता है, और कटी हुई पराली को रिवर्सिबल हल की मदद से उपयुक्त नमी पर खेत में मिलाया जा सकता है। रिवर्सिबल हल से खेत की सतह खराब नहीं होती। यह हल लगभग 15-30 सेंटीमीटर की गहराई तक मिट्टी पलटकर पराली को दबा देता है। इसके बाद रोटावेटर या तवियां चलाकर खेत को आलू की बुआई के लिए तैयार कर लिया जाता है।
तरनजीत सिंह मान ने अपने विचार साझा किए और बताया कि वे हमेशा अपने खेतों में पी.ए.यू, लुधियाना द्वारा अनुशंसित धान की कम समय लेने वाली और कम पराल वाली किस्म पी.आर 126 की खेती करते हैं। वे धान की कटाई सुपर एस.एम.एस कंबाइन से करने के बाद चॉपर और रिवर्सिबल हल का उपयोग कर 55 एकड़ क्षेत्र में आलू की बुआई करते हैं। उनका मानना है कि धान की पराली को खेत में मिलाने से खेत की मिट्टी की सेहत में सुधार होता है। इस मौके पर उपस्थित किसानों ने विभिन्न कृषि मशीनों के प्रदर्शन पर संतोष जताया।