ज्ञान महाकुंभ 2081: भारतीय शिक्षा और संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा भारतीय शिक्षा और संस्कृति का उत्थान, ज्ञान परंपरा की पुनः स्थापना और विश्व मंच पर भारतीय संस्कृति का पुनर्जागरण

मुकेरियां,(राजदार टाइम्स): शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास होशियारपुर-गुरदासपुर शिक्षा केंद्र संयोजक डॉ.प्रदीप सेंगर और पंजाब प्रांत संयोजक डॉ.समीर महाजन ने जानकारी देते हुए बताया कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा ज्ञान महाकुंभ 2081 का आयोजन प्रयागराज में किया जाएगा। इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्देश्य भारतीय शिक्षा और ज्ञान परंपरा को पुनः स्थापित करना और देश के चारों कोनों में ज्ञान के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना है। प्रयागराज में होने जा रहे ज्ञान महाकुंभ को लेकर फरीदाबाद हरियाणा में मानव रचना अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान एवं अध्ययन संस्थान में बैठक के माध्यम से शिक्षा, अनुसंधान, संगठनात्मक प्रबंधन और मीडिया प्रबंधन पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

बैठक में उद्घाटन सत्र की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इस सत्र के मुख्य अतिथि अतुल कोठारी (राष्ट्रीय सचिव) और विशिष्ट अतिथि सुरेश गुप्ता (राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष) थे। सत्र की प्रस्तावना डॉ.आयुष गुप्ता ने की, जिसमें उन्होंने भारतीय शिक्षा के महत्व और ज्ञान महाकुंभ के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इसके बाद संजय स्वामी ने आयोजन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भारतीय शिक्षा व संस्कृति में इसके योगदान का विवरण दिया। सत्र के दौरान डॉ.सरिता सचदेवा ने मानव रचना अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान एवं अध्ययन संस्थान की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए भारतीय शिक्षा प्रणाली में अनुसंधान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। सत्र का संचालन और प्रतिवेदन डॉ.पार्थ रश्मिकांत भट्ट द्वारा किया गया। द्वितीय सत्र संगठनात्मक प्रबंधन पर केंद्रित था। अतुल कोठारी के मार्गदर्शन में इस सत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा के आधार पर संगठनात्मक प्रबंधन पर चर्चा हुई। इस सत्र में भारतीय शिक्षा को नई दिशा देने और भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। तीसरे सत्र में प्रतिभागियों को तीन समूहों में विभाजित किया गया, जो निम्नलिखित विषयों पर चर्चा करने के लिए संगठित किए गए:

1. प्रेस विज्ञप्ति: डॉ.आयुष गुप्ता के नेतृत्व में प्रतिभागियों ने इस आयोजन की प्रेस विज्ञप्ति तैयार की।

2. मीडिया प्रबंधन: इंद्रजीत ने मीडिया प्रबंधन की चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श किया और आयोजन को अधिक प्रभावी बनाने के उपाय सुझाए।

3. सोशल मीडिया प्रबंधन: डॉ. पार्थ रश्मिकांत भट्ट ने सोशल मीडिया के महत्व और आयोजन को ऑनलाइन माध्यमों के जरिए अधिक प्रभावी बनाने के तरीकों पर चर्चा की।

चतुर्थ और समापन सत्र में दिनभर की चर्चाओं का सारांश प्रस्तुत किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता श्री अतुल कोठारी ने की। उन्होंने सभी प्रतिभागियों के विचारों और सुझावों को संकलित करते हुए भविष्य में होने वाले आयोजनों को और प्रभावी बनाने के सुझाव दिए। इस सत्र के अंत में डॉ.आयुष गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों, अतिथियों और आयोजन समिति के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस महाकुंभ के माध्यम से शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने भारतीय शिक्षा और संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। इस आयोजन में प्राप्त सुझाव और विचार भविष्य के शैक्षिक सुधारों और सांस्कृतिक पुनर्जीवन के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।