कठिन परिस्थितियों में देते हैं ड्यूटी, देश के जांबाज ताकि देशवासी सोएं नींद चैन की : डीएसपी मान
सेना मैडल विजेता के बलिदान को किया नमन
पठानकोट,(बिट्टा काटल): वर्ष 1971 के दिसंबर महीने में हुए भारत-पाक युद्ध में भारत मां के असंख्य वीर सपूतों ने अपने बलिदान देकर पाकिस्तान पर फतेह हासिल की। बलिदानी वीरों की इसी फेरहिस्त में एक नाम आता है सेना की फ़र्स्ट डोगरा यूनिट के सिपाही मोहन सिंह चिब सेना मैडल का जिन्होंने उस युद्ध में अपना बलिदान देकर अपना नाम शहीदों की श्रृंखला में स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवा जिले के पहले शहीद कहलाने का गौरव प्राप्त किया। इस वीर सैनिक का 53वां बलिदान दिवस शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष कर्नल सागर सिंह सलारिया की अध्यक्षता में मोहल्ला आनंदपुर टंकी के पास शहीद की याद में बने पार्क में आयोजित किया गया।जिसमें डी.एस.पी सिटी सुमीर सिंह मान बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद के छोटे भाई सब इंस्पेक्टर अर्जुन सिंह चिब, ठाकुर जीवन सिंह चिब, भाभी शोभा रानी व सुषमा रानी, भतीजे सुचिंद्र सिंह, सचिन ठाकुर, अक्षय ठाकुर व सुनील ठाकुर, भतीजी कनिका राजपूत, परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की, पठानकोट विकास मंच के चेयरमैन कार्पोरेटर नरेंद्र काला, लायंस क्लब पठानकोट प्राइड के अध्यक्ष अतुल नैयर, सचिव एस.डी भल्ला, कोषाध्यक्ष मुनीश चौहान, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के कार्यकारिणी सदस्य ठाकुर शमशेर सिंह बिट्टू, शहीद लांसनायक डिप्टी सिंह सेना मेडल के भतीजे वरिंदर सिंह, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज, विक्की रामपाल, पारस कश्यप, उपेश चौहान, राजपूत सभा अबरोल नगर के महासचिव जंगवीर सिंह पठानिया आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम मुख्य मेहमान व अन्य मेहमानों ने शहीद की प्रतिमा समक्ष ज्योति प्रज्जवलित व प्रतिमा को हार पहना कर समारोह का आगाज किया। श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करे हुए मुख्य अतिथी डी.एस.पी सुमीर सिंह मान ने कहा कि सिपाही मोहन सिंह चिब जैसे जांबाजों का बलिदान राष्ट्र की बहुमूल्य विरासत है। जिन्होंने राष्ट्रहित में प्राणों की आहुति देकर जिले के गौरव को बढ़ाया। वह इस अमर वीर व इनके परिजनों के समक्ष अपना शीश झुकाते हैं। उन्होंने कहा देश के वीर सैनिक कठिन परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी देते हैं, तभी देशवासी सुरक्षित रहते हुए चैन की नींद सो पाते हैं।डी.एस.पी मान ने कहा अपनों को खोने का दर्द क्या होता है यह सिर्फ शहीद परिवार ही जानते हैं। आम लोगों को इस दर्द का एहसास नहीं है, धन्य हैं यह परिवार जो इस दर्द को झेलते हुए भी समाज में सिर उठा कर जीते हैं। इसलिए समाज को चाहिए कि इन वीरों की कुर्बानी को न भूलें और इनके परिजनों को उचित मान-सम्मान देकर इनके जिगर के टुकड़ों की शहादत की गरिमा को बहाल रखें। उन्होंने कहा कि शहीद सैनिक व उनके परिजन ईश्वर के बहुत करीब होते हैं। इस लिए धार्मिक स्थानों में दान करने की बजाए उस राशि को शहीद परिवारों के भले के लिए खर्च करें, इससे भगवान भी आप पर प्रसन्न होंगे, अगर आप इन परिवारों का सम्मान करेंगे, इससे उस सैनिक की इज्जत भी बढ़ेगी। जिसने हमारी सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति दे दी। उन्होंने कहा कि शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद जो लंबे समय से इन शहीद परिवारों की आवाज बन उन्हें लोगों के दिलों में जिंदा रखे हुए हैं। उनके इस जज्बे को भी वह दिल से सैल्यूट करते हैं। खासकर परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र विक्की जिन्होंने अपना सारा जीवन देश के अमर बलिदानियों व उनके परिजनों के मान-सम्मान तथा उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए समर्पित कर दिया। हम सब को भी इनका सहयोग करना चाहिए।

रोटी कमाने का सपना लिए फौज में नहीं जाता देश का वीर सैनिक : कर्नल सलारिया
कर्नल सागर सिंह सलारिया ने कहा कि देश का वीर सैनिक रोटी कमाने का सपना लिए फौज में नहीं जाता बल्कि पारिवारिक संस्कार और दिल में देशभक्ति का जज्बा लिए वो देश के सम्मान के लिए लड़ता है और अपना सैन्य धर्म निभा कर समाज को यह संदेश दे जाता है कि एक सैनिक के लिये परिवार नहीं राष्ट्र सर्वोपरि होता है। उन्होंने कहा कि अगर देश को बचाना है तो हर देशवासी को सिपाही बनकर ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना होगा।
भारत-पाक युद्ध की जीत में मोहन सिंह जैसे शौर्यवीरों की अहम भूमिका : कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की ने कहा कि 1971 के भारत-पाक युद्ध की जीत में सिपाही मोहन सिंह जैसे शौर्यवीरों की भूमिका अहम है। जिन्होंने पाक सेना को हर क्षेत्र में धूल चटाते हुए अपना बलिदान देकर स्वर्णिम विजय की नींव रखी। उन्होंनें कहा कि सिपाही मोहन सिंह चिब जिले के पहले ऐसे वीर सैनिक हैं। जिन्होंने भारत-पाक के इस युद्ध में 22 वर्ष की अल्पायु में सब से पहले अपना बलिदान देकर जिले का नाम रोशन किया मगर अफसोस शहर के लोगों व समय की सरकारों ने इस अमर वीर के बलिदान को भुला दिया। आज जिस स्मारक पर हम यह समारोह मना रहे हैं। उसमें लगी प्रतिमा भी शहीद परिवार ने अपने खर्चे पर बनवाई है और इस शूरवीर के बलिदान के 53 वर्षों बाद भी अभी तक उनकी याद में शहर में कोई यादगिरी गेट भी नहीं बन पाया है जो कि एक सैनिक की शहादत का अपमान है।
भतीजा बोला : गर्व है शहीद परिवार का अंश हूं
शहीद सिपाही मोहन सिंह चिब के भतीजे सुचिंद्र सिंह ने आए मेहमानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपने ताया जी को देखा तो नहीं मगर अपनी दादी से उनकी वीरता की कहानियां सुनकर ही वो बड़े हुए हैं और आज उन्हें इस बात का गर्व है कि वो एक शहीद परिवार का अंश है। उन्होंने कहा कि बेशक वो विदेश में रहते हैं लेकिन शहीद ताया जी का स्नेह उन्हें बार-बार इस स्मारक में वंदन करने के लिए खींच लाता है और वे अपनी बेटी को भी अपने ताया जी की बहादुरी की कहानियां सुनाते हैं। सुचिंद्र ने कहा लोगों के लिए यह एक पार्क है लेकिन हमारे परिवार के लिए यह स्मारक एक मंदिर समान है और यहां नतमस्तक होकर उन्हें अपने बलिदानी ताया जी की मौजूदगी का एहसास होता है।

लायंस क्लब करेगी शहीदी पार्क की देखभाल : नैयर
लायंस क्लब प्राइड के प्रधान अतुल नैयर ने कहा कि वह इस वीर भूमि को नमन करते हैं। जहां आज भारत मां के वीर सपूत सिपाही मोहन सिंह चिब के बलिदान दिवस को हम मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह शहीद परिवार और परिषद को यह भरोसा दिलाते हैं कि उनकी लायंस क्लब प्राइड अपनी तरफ से इस पार्क की देखभाल करेगी और हमारे लिए गर्व की बात है कि हमें यह सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
मेले के रूप में मनाया जायेगा सिपाही मोहन सिंह का बलिदान दिवस: नरेंद्र काला
विकास मंच के चेयरमैन कारपोरेटर नरेंद्र काला ने कहा कि सिपाही मोहन सिंह चिब हमारे जिले व शहर की शान है। इसलिए वह परिषद तथा शहीद के परिजनों को यह भरोसा दिलाते हैं कि अगले वर्ष हम सभी शहर वासियों को साथ लेकर एक मेले के रूप में इस वीर सैनिक का बलिदान दिवस मनाएंगे। उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार के दिन शहीद के घर मेला लगता है उसके बाद कोई भी शासन प्रशासन इन परिवारों की कोई सुध नहीं लेता केवल शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के सदस्य ही उन्हें फिर से पैरों पर खड़ा कर इन शहीद परिवारों को जीने की राह दिखाते हैं। इस अवसर पर मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित तीन अन्य शहीद परिवारों को शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर सूबेदार मेजर अवतार सैनी, सुबेदार अमृत लाल, सुरिंदर सलवान, दीपक सलवान, करनैल सिंह जग्गी, धर्मेंद्र पठानिया, महेश सिंह, विशाल शर्मा, विक्की सिंह, राजन गुप्ता, पमेश्वर राणा, निपुण महाजन, राकेश खन्ना, विशाल गुप्ता, आदित्य सूदन, रितेश महाजन, शैरी महाजन, अभिषेक शर्मा आदि भी उपस्थित थे।