कपूरथला,21 नवंबर(राजेश तलवाड़, राजदार टाइम्स): कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा के सात दिन बाद आने वाले इस त्योहार को लेकर मान्यता है कि इस दिन नंद महाराज ने गायों और भगवान श्रीकृष्ण के लिए एक समारोह आयोजित किया। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और बलराम गायों को पहली बार चराने को ले गए थे। गोचरण करने के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण को गोपाल नाम से भी जाना जाता है। इस त्योहार को लेकर यह भी मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन ही इंद्र देव ने अपनी हार स्वीकारी थी, जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली से उतार कर नीचे रखा था। गोसेवा के कारण ही भगवान इंद्र ने उनका नाम गोविंद रखा। इस त्योहार पर गोमाता की पूजा की जाती है। इस दिन ग्वालों को भी दान दिया जाता है। गाय को हरा चारा एवं गुड़ खिलाया जाता है। गोपाष्टमी का त्योहार हमें बताता है कि हम सभी अपने पालन पोषण के लिए गाय पर निर्भर हैं। इसलिए गाय हमारे लिए पूज्यनीय है। कहा जाता है कि सांप-बिच्छू जैसे जीव भी उस जगह पर नहीं देखे जाते जहां गाय रहती है। गाय की पूजा से सभी देवी-देवताओं की पूजा का फल प्राप्त किया जा सकता है। गाय को रोटी देने से पितृदोष समाप्त हो जाता है। गोपाष्टमी को गायों को स्नान कराएं, उनका पूजन करें। गायों को गोग्रास देकर उनकी परिक्रमा करें। माना जाता है कि अगर आप किसी तीर्थ पर जाने से असमर्थ हैं तो गाय की सेवा करें, आपको सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त हो जाएगा। शनिवार को गोबिंद गौधाम गौशाला कमेटी के सदस्यों की एक बैठक गोबिंद गौधाम गौशाला में हुई। जिसमें गोपाष्टमी पर्व मनाने की तैयारियों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। कमेटी के अध्यक्ष नरेश पंडित ने बताया कि रविवार को शहर वाली गोशाला प्रांगण में गोपाष्टमी पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। सुबह से ही श्रीगौमाता की पूजा शुरू हो जाएगी, सुबह 5 बजे से 7 बजे तक सुंदरकांड का पाठ होगा और सुबह 8 बजे हवन किया जाएगा। उपरंत श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाएगा। नरेश पंडित ने लोगों को अपील करते हुए कहा कि गोपाष्टमी पूजन अवश्य करनी चाहिए। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में गाय और उसके बछड़े को नहलाकर उन्हें सुन्दर आभूषण से सजाते हैं। यदि आभूषण संभव न हो तो उनके सींगों को रंग अथवा पीले पुष्पों की माला से सजाएं। गोपाष्टमी की शाम जब गाय घर लौटती हैं, तब फिर उनकी पूजा की जाती है। खासतौर पर इस दिन गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता है। जिन श्रद्धालुओं के घरों में गाय नहीं हैं, वे लोग गौशाला जाकर गाय की पूजा करते हैं। मान्यता है कि गौ सेवा करने वाले का जीवन धन-धान्य और खुशियों से भर जाता है। इसलिए गौमाता की पूजा व सेवा करनी ही चाहिए। इस अवसर पर अंकित पंडित बाबा बिट्टा भगत सहित अनेक लोग उपस्थित थे।