नम आंखों से किया शौर्य चक्र विजेता के बलिदान को नमन
दीनानगर,(राजदार टाइम्स): भारतीय सेना की 39 फील्ड रेजीमेंट के शौर्य चक्र विजेता शहीद लांसनायक जसबीर सिंह का तीसरा बलिदान दिवस उसकी यूनिट के नायब सूबेदार जसकीरत सिंह की अध्यक्षता में गांव वेंई पुईं में शहीद के निवास स्थान पर आयोजित किया गया। जिसमें शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए इनके अलावा शहीद की माता सुखविंदर कौर, पिता गुरभेज सिंह, भाई रंजीत सिंह, बहन राजविंदर कौर, शहीद सूबेदार परमजीत सिंह के पिता उधम सिंह व पत्नी परमजीत कौर, शहीद लांसनायक संदीप सिंह शौर्य चक्र के पिता जगदेव सिंह, शहीद लांसनायक डिप्टी सिंह सेना मेडल के भतीजे वरिंदर सिंह, शहीद इंस्पेक्टर जगजीत सिंह के भाई दलजीत सिंह, कैप्टन लाभ सिंह, किसान विंग भाजपा के जिला प्रधान डा.अवतार सिंह, मंडल प्रधान मेहर सिंह बनिया, रिटायर्ड डी.ई.ओ हरपाल सिंह आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम श्री आखंड पाठ साहब का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा बैरगमय कीर्तन कर शहीद को नमन किया गया।

श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि कुंवर रविंद्र सिंह विक्की ने कहा कि पंजाब वीरों की जन्मभूमि है। जिसने जसबीर जैसे असंख्य लाल इस राष्ट्र की एकता व अखंडता को बरकरार रखने हेतु कुर्बान कर दिए। उन्होंने कहा वह इस गांव की बलिदानी मिट्टी को शत-शत नमन करते हैं। जिसने तीन साल पहले लांसनायक जसबीर सिंह तथा आठ साल पहले सूबेदार परमजीत सिंह जैसे दो-दो योद्धा इस देश की बलिवेदी पर कुर्बान किए हैं। इसलिए सभी गांव वासियों का यह फर्ज बनता है कि इन दोनों वीर सैनिकों की शहादत की गरिमा को बहाल रखते हुए इनके परिजनों के हौंसले को परास्त न होने दें क्योंकि इन शौर्यवीरों ने अपना बलिदान देकर इस गांव का नाम सारे देश में रोशन किया है। कुंवर विक्की ने कहा कि लोग कहते हैं समय बहुत बलवान होता है हर जख्म को भर देता है लेकिन शहादत का जख्म असहनीय होता है। जैसे-जैसे समय गुजरता है। यह जख्म और भी हरा हो जाता है अगर आज आप इन शहीद परिवारों की झोली में सारे जहां की दौलत भी डाल दोगे उसके कोई मायने नहीं है। आज जरूरत हैं, इन परिवारों को उचित मान-सम्मान देने की जिसकी हमारे देश में बहुत कमी है लेकिन हमारी परिषद हमेशा इन परिवारों के साथ चट्टान की तरह खड़ी है।

परिषद ने शहीद परिवारों को दिखाई जीने की राह: वरिंदर
शहीद लांसनायक डिप्टी सिंह के भतीजे वरिंदर सिंह ने कहा कि जिस घर का चिराग वतन पर कुर्बान हो जाता है वो परिवार एक जिंदा लाश बनकर रह जाता है। ऐसे में शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने इन परिवारों के रिसते ज़ख्मों पर मरहम लगा इन्हें जीने की राह दिखाई है। वहीं शहीद की यूनिट के नायब सुबेदार जसकीरत सिंह ने कहा जसबीर सिंह बहुत ही बहादुर सैनिक था, जो वालंटियर होकर 19 राष्ट्रीय राइफल्स में शामिल हो कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र अनंतनाग में तैनात हुआ तथा जाने से पहले मुझे यह कहकर गया कि साहब मैं सेना मेडल लेकर लौटूंगा लेकिन हमें क्या पता था कि वो एक कदम और आगे बढ़कर राष्ट्रपति से मरणोपरांत शौर्य प्राप्त कर लेगा।
मां बोली: बेटा खोने का दुख मगर गर्व है शहादत पर
शहीद लांसनायक जसबीर सिंह की माता सुखविंदर कौर ने नम आंखों से कहा कि वो घर पर अपने बेटे की शादी के सपने संजो रही थी लेकिन उनका बेटा देश पर कुर्बान हो अपना सैन्य धर्म निभा गया उन्हें बेटा खोने का दुख तो बहुत है मगर उसकी शहादत पर गर्व भी है कि अपना बलिदान देकर वो मुझे एक शहीद की मां कहलाने का गौरव प्रदान कर गया। इस अवसर पर परिषद व शहीद की यूनिट के जवानों द्वारा शहीद के स्वजनों सहित 5 अन्य शहीद परिवारों को सिरोपे व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर शहीद की यूनिट से नायक बिक्कर सिंह, 19 राष्ट्रीय राइफल्स के सिपाही हरपिंदर सिंह, डा. सर्वजीत सिंह, तेजिंदर सिंह, शमशेर सिंह, अजीत सिंह, अमरजीत सिंह, पूर्ण सिंह, भूपिंदर सिंह, जसबीर सिंह, सुखदेव सिंह आदि उपस्थित थे।