होशियारपुर,(राजदार टाइम्स): डिप्टी कमिश्नर कोमल मित्तल ने बताया कि जिले में 0 से 18 वर्ष तक के अनाथ, बेसहारा और असहाय बच्चों के लिए संचालित सभी बाल घरों को जुवेनाईल जस्टिस एक्ट 2015 की धारा 41(1) के तहत रजिस्टर करवाना अनिवार्य है। इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर बाल घर संचालकों के खिलाफ धारा 42 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें एक वर्ष तक की सजा, एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों दंड दिए जा सकते हैं। डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि जुवेनाईल जस्टिस एक्ट 2015 के तहत, ऐसे बाल घर, जो सरकारी या गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित होते हैं और 0 से 18 वर्ष तक के अनाथ, बेसहारा या असहाय बच्चों को आश्रय, भोजन और देखभाल की सुविधा प्रदान करते हैं। उन्हें इस अधिनियम की धारा 41(1) के तहत पंजीकरण कराना आवश्यक है। यह प्रावधान उन बाल घरों पर भी लागू होता है, जो सरकारी अनुदान प्राप्त कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं। डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के लिए संस्थाओं को जुवेनाइल जस्टिस (मॉडल) रूल्स, 2016 के तहत फॉर्म 27 [रूल 21(2) और 22(2)] भरकर आवेदन प्रस्तुत करना होगा। जिला स्तरीय निरीक्षण समिति द्वारा संबंधित बाल घर का निरीक्षण करने के बाद रजिस्ट्रेशन हेतु प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि आवेदन के बाद, राज्य सरकार 6 माह की अवधि के लिए प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन जारी करती है। दस्तावेजों की पूरी जांच-पड़ताल के उपरांत, बाल घर को 3 वर्षों के लिए स्थायी रूप से रजिस्टर किया जाएगा। कोमल मित्तल ने बताया कि यदि किसी गैर-सरकारी संस्था द्वारा बिना रजिस्ट्रेशन बाल घर संचालित किया जा रहा है, तो उसकी सूचना तुरंत डिप्टी कमिश्नर कार्यालय या जिला बाल सुरक्षा इकाई, होशियारपुर (फोन नंबर 01882-291839) पर दी जाए।