कहा, आवश्यक उपाय जरूरी, नहीं तो तरसेंगे साफ हवा के लिए
कृषि उद्योग भी देता है वायु प्रदूषण में बहुत बड़ा योगदान
वायु प्रदूषण के कारण लोगों के लिए ठीक से सांस लेना भी बहुत मुश्किल
दातारपुर,(राजदार टाइम्स/एसपी शर्मा): वायु प्रदूषण का मतलब है रसायनों, हानिकारक गैसों व अन्य खतरनाक तत्वों की मौजूदगी के कारण हवा का दूषित होना। इन दिनों स्माग के कारण हवा में प्रदूषण पर परिचर्चा में शामिल होते हुए पूर्व नगर कौंसिल अध्यक्ष दसूहा डॉ.हरसिमरत साही, पूर्व सरपंच एवं समाज सेवी पवन कुमार पम्मी, युवा नेता सनत महाजन, पीएडीबी के चेयरमैन रजनीश पठानियां तथा पैरा मिलिट्री एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष दिलदार सिंह ने कहा कि प्रदूषण के हवा में प्रदूषण बीमारियों को न्योता, आवश्यक उपाय जरूरी, नहीं तो तरसेंगे साफ हवा के लिए। सभी बुद्धिजीवियों ने कहा कि प्रदूषण के दो प्रकार के स्रोत हैं। ये प्राकृतिक स्रोत तथा मानव निर्मित स्रोत हैं। प्रदूषकों के प्राकृतिक स्रोतों में प्राकृतिक आपदाएँ शामिल हैं। जैसे ज्वालामुखी गतिविधियाँ, जो पर्यावरण में बहुत सारी हानिकारक गैसें छोड़ती हैं। दूसरी तरफ प्रदूषकों के मानव निर्मित स्रोतों में जीवाश्म ईंधन, वाहन, उद्योग व अन्य प्रदूषक शामिल हैं जोकि मनुष्यों द्वारा बनाए जाते हैं। उद्योगों में बड़ी मशीनरी होती है। जिसके लिए ईंधन के रूप में कोयले की आवश्यकता होती है। कोयले के जलने से पर्यावरण में कई हानिकारक गैसें निकलती हैं। ये हवा में मिलकर वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं। उन्होंने कहा कि जंगल में गलती से सिगरेट फेंकने या सूरज की अत्यधिक गर्मी के कारण आग लग सकती है। इससे पूरा ईलाका जल सकता है और हानिकारक गैसों का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता हैं। खनन गतिविधियों में लगी हुई मशीनें पर्यावरण में बहुत सारी हानिकारक गैसें छोड़ती हैं। कार, ट्रक, बस तथा अन्य वाहन पेट्रोल या डीज़ल का उपयोग करते हैं। इनके दहन से वाहन को चलने में मदद मिलती है। हालाँकि यह अवशिष्ट कार्बन मोनोऑक्साईड छोड़ता है, जो पर्यावरण और मनुष्यों के लिए बेहद हानिकारक है। त्यौहारों और विशेष अवसरों जैसे दिवाली, शादी या नए साल की पूर्व संध्या पर पटाखे जलाते हैं। इससे वायु प्रदूषण बढ़ सकता है। बुद्धिजीवियों ने कहा कि कृषि उद्योग भी वायु प्रदूषण में बहुत बड़ा योगदान देता है। किसान कई तरह के कीटनाशकों व कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं। कीटनाशकों एवं कीटनाशकों में मौजूद रसायन पर्यावरण में हानिकारक प्रदूषक छोड़ते हैं। इनका मुख्य घटक अमोनिया है, जो हवा को अत्यधिक प्रदूषित करता है। जब हवा में अत्यधिक प्रदूषक मौजूद होते हैं, तो वे हवा में मौजूद जल वाष्प के साथ मिलकर धुआँ पैदा करते हैं। धुआँ कोहरे के साथ मिल जाने को धुआँ कहते हैं। यह मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। वायु प्रदूषण के कारण शहरी क्षेत्रों में लोगों के लिए ठीक से सांस लेना बहुत मुश्किल हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्यावरण में मौजूद हानिकारक प्रदूषक फेफड़ों की कार्यप्रणाली को खराब कर सकते हैं और संक्रमण, साईनसाईटिस, फेफड़ों का कैंसर, वातस्फीति, एलर्जी आदि का कारण बन सकते हैं। वायु मंडल में प्रदूषण की मात्रा बढऩे से ओजोन परत का क्षरण हो रहा है। परिणामस्वरूप सूर्य की हानिकारक यू.वी किरणें पृथ्वी की सतह पर प्रवेश कर रही हैं। वे त्वचा कैंसर का कारण बन सकती हैं। लगातार बढ़ते यातायात औद्योगिक उत्सर्जन के कारण वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आवश्यक उपाय करना ज़रूरी है। अगर वायु प्रदूषण की समस्या पर अभी नियंत्रण नहीं रखा गया तो भविष्य में स्थिति से निपटना मुश्किल हो जाएगा। स्वच्छ हवा की उपलब्धता सीमित हो जाएगी। इसलिए सभी को प्रदूषण की रोकथाम के विभिन्न पहलुओं पर काम करने की ज़रूरत है।

अगर ऐसा नहीं किया गया तो स्वच्छ हवा भी मुफ़्त में नहीं मिल पाएगी। दो प्रकार के स्रोत हैं। ये प्राकृतिक स्रोत और मानव निर्मित स्रोत हैं। प्रदूषकों के प्राकृतिक स्रोतों में प्राकृतिक आपदाएँ शामिल हैं। जैसे ज्वालामुखी गतिविधियाँ, जो पर्यावरण में बहुत सारी हानिकारक गैसें छोड़ती हैं। दूसरी ओर प्रदूषकों के मानव निर्मित स्रोतों में जीवाश्म ईंधन, वाहन, उद्योग और अन्य प्रदूषक शामिल हैं जो मनुष्यों द्वारा बनाए जाते हैं। उद्योगों में बड़ी मशीनरी होती है। जिसके लिए ईंधन के रूप में कोयले की आवश्यकता होती है। कोयले के जलने से पर्यावरण में कई हानिकारक गैसें निकलती हैं। ये हवा में मिलकर वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं। जंगल में गलती से सिगरेट फेंकने या सूरज की अत्यधिक गर्मी के कारण आग लग सकती है। इससे पूरा ईलाका जल सकता है और हानिकारक गैसों का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता हैं। खनन गतिविधियों में लगी हुई मशीनें पर्यावरण में बहुत सारी हानिकारक गैसें छोड़ती हैं। कार, ट्रक, बस और अन्य वाहन पेट्रोल या डीज़ल का उपयोग करते हैं। इनके दहन से वाहन को चलने में मदद मिलती है। हालाँकि यह अवशिष्ट कार्बन मोनोऑक्साईड छोड़ता है, जो पर्यावरण और मनुष्यों के लिए बेहद हानिकारक है। त्यौहारों व विशेष अवसरों जैसे दिवाली, शादी या नए साल की पूर्व संध्या पर पटाखे जलाते हैं। इससे वायु प्रदूषण बढ़ सकता है। कृषि उद्योग भी वायु प्रदूषण में बहुत बड़ा योगदान देता है। किसान कई तरह के कीटनाशकों और कीटनाशकों का ईस्तेमाल करते हैं। कीटनाशकों एवं कीटनाशकों में मौजूद रसायन पर्यावरण में हानिकारक प्रदूषक छोड़ते हैं। इनका मुख्य घटक अमोनिया है, जो हवा को अत्यधिक प्रदूषित करता है। जब हवा में अत्यधिक प्रदूषक मौजूद होते हैं, तो वे हवा में मौजूद जल वाष्प के साथ मिलकर धुआँ पैदा करते हैं। धुआँ कोहरे के साथ मिल जाने को धुआँ कहते हैं। यह मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। वायु प्रदूषण के कारण शहरी क्षेत्रों में लोगों के लिए ठीक से सांस लेना बहुत मुश्किल हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्यावरण में मौजूद हानिकारक प्रदूषक फेफड़ों की कार्यप्रणाली को खराब कर सकते हैं और संक्रमण, साईनसाईटिस, फेफड़ों का कैंसर, वातस्फीति, एलर्जी आदि का कारण बन सकते हैं। वायु मंडल में प्रदूषण की मात्रा बढऩे से ओजोन परत का क्षरण हो रहा है। परिणामस्वरूप सूर्य की हानिकारक यू.वी किरणें पृथ्वी की सतह पर प्रवेश कर रही हैं। वे त्वचा कैंसर का कारण बन सकती हैं। लगातार बढ़ते यातायात औद्योगिक उत्सर्जन के कारण वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आवश्यक उपाय करना ज़रूरी है। अगर वायु प्रदूषण की समस्या पर अभी नियंत्रण नहीं रखा गया तो भविष्य में स्थिति से निपटना मुश्किल हो जाएगा। स्वच्छ हवा की उपलब्धता सीमित हो जाएगी। इसलिए सभी को प्रदूषण की रोकथाम के विभिन्न पहलुओं पर काम करने की ज़रूरत है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो स्वच्छ हवा भी मुफ़्त में नहीं मिल पाएगी।






