उन्नति में धूमधाम से मनाई गई धन्वंतरि जयंती
आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से हुए प्रकट : सतपाल शास्त्री
दातारपुर,(राजदार टाइम्स): आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रहा से ही मानी जाती है। वैदिक काल के ग्रंथों में रामायण, महाभारत तथा विविध पुराणों की रचना हुई है। जिसमें सभी ग्रंथों ने आयुर्वेद का अवतरण के प्रसंग में ऋषि धन्वंतरि का उल्लेख मिलता है। ऋषि धनवंतरी को भारतीय सनातन परंपरा की दृष्टि से स्वास्थ्य के देवता माना जाता है। भगवान धन्वंतरि जयंती पर द उन्नति को आप्रेटिव एवं मार्केटिंग कंपनी में आरोग्य भारती पंजाब के तत्वावधान में आयोजित समारोह में शिक्षाविद सतपाल शास्त्री ने कहा कि आयुर्वेद के जनक ऋषि धन्वंतरि के प्राकट्य समय से ही सृष्टि में आयुर्वेद के माध्यम से ही चिकित्सा पद्धति प्रसिद्ध थी। देवता एवं दैत्यों के सम्मिलित प्रयास के शांत हो जाने पर समुद्र मंथन स्वयं क्षीर-सागरशायी कर रहे थे।
अमृतपूर्ण स्वर्ण कलश लिए श्याम वर्ण, चतुर्भुज भगवान धन्वंतरि का अवतरण हुआ था। ऋषि धन्वंतरि के माध्यम से पूरे विश्व को आयुर्वेद एक अमूल्य धरोहर के रूप में प्राप्त हुआ। एमडी ज्योति स्वरूप ने कहा कि धनवंतरी, आरोग्य, स्वास्थ्य, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं। ऋषि धनवंतरी आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता हैं। धन्वंतरि सभी रोगों के निवारण में निष्णात थे। ऋषि धन्वंतरि भारत के गौरव हैं। आयुर्वेद अथर्ववेद का विस्तार है। यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। यह संपूर्ण जीवन का ज्ञान है। ज्योति स्वरूप ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अपनाकर पूरा विश्व संपूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकता है। आरोग्य भारती के डॉ.के.के भार्गव तथा संजीव भारद्वाज ने कहा कि संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद है, जिसमें आयुर्वेद का पर्याप्त वर्णन है। आज विश्व में आयुर्वेद पुन: एक श्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित हो रहा है। इस अवसर पर योगाचार्य राज कुमार डोगरा ने योग का महत्व विस्तार से बताया। सबसे पहले वैदिक मंत्रों द्वारा हवन यज्ञ किया गया। प्रीति भोज के बाद द उन्नति को आप्रेटिव द्वारा सभी को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर रवि शर्मा, रजनी शर्मा, अनुराधा शर्मा, जयदेव शर्मा, डॉक्टर केवल कृष्ण भार्गव, संजीव भारद्वाज कोषाध्यक्ष प्रान्त पंजाब, कुलजीत सिंह, कुलवंत सिंह, सुखदेव सिंह, वैद्य मदन गोपाल, किरण वाला, राजन शर्मा, स्वामी कमल नेत्र तथा अन्य उपस्थित थे।