शहादत रूपी दुल्हन गुरचरण जैसे जांबाजों को ही चुनती है अपना वर: कुंवर विक्की
चौथे बलिदान दिवस पर स्मरण किए गए गुरचरण
गुरदासपुर,(राजदार टाइम्स): भारतीय सेना की 14 पंजाब रैजीमेंट के शहीद नायक गुरचरण सिंह का चौथा बलिदान दिवस शहीद के पिता रिटायर्ड नायक सलविंदर सिंह की अध्यक्षता में गांव हरचोवाल के गुरुद्वारा साहिब में आयोजित किया गया। जिसमें शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की माता पलविंदर कौर, पत्नी रणजीत कौर, बेटा अगमजोत व बेटी जपमनजोत, बहन जसबीर कौर व गुरशरण कौर, बहनोई हरमन सिंह व जरनैल सिंह, पुलवामा हमले के शहीद कांस्टेबल मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्री, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, वेटरन वेलफेयर सोसाइटी के जिला प्रधान कैप्टन धर्मेंद्र सिंह आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्घासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम श्री अखंड पाठ साहिब का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा बैरागमयी कीर्तन कर शहीद को नमन किया गया। श्रद्घांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि शहीद एक सच्चा संत सिपाही होता है। जिसका एक ही लक्ष्य होता है, विजय या वीरगति तथा उसी सैन्य धर्म का पालन करते हुए वो वीर सैनिक अपना बलिदान देकर देशवासियों में देशभक्ति की अलख जगा कर यह संदेश दे जाता है कि एक सैनिक के लिए सबसे पहले उसका देश, उसकी यूनिट व अंत में उसका अपना परिवार आता है तथा अपने पारिवारिक संबंधों का परित्याग करते हुए वो राष्ट्रहित में अपने प्राणों की आहुति दे जाता है। इसलिए हर देशवासी यह महसूस करे कि हमारे अंदर चलने वाली सांसें इन अमर बलिदानियों की अमानत है। कुंवर विक्की ने कहा देश पर कुर्बान होने का सौभाग्य हर किसी की किस्मत में नहीं होता क्योंकि शहादत रूपी दुल्हन गुरचरण जैसे योद्धाओं को ही अपना वर चुनती है और वो सैनिक धन्य है जो वीरगति को दुल्हन के रूप में गले लगाता है। उन्होंने कहा लोग कहते हैं, समय बहुत बलवान होता है हर जख्म को भर देता है, मगर अपने जिगर के टुकड़े को खोने का दर्द असहनीय होता है। जैसे-जैसे समय गुजरता है यह जख्म और भी हरा हो जाता है। ऐसे में देशवासियों का यह फर्ज बनता है कि इन परिवारों के रिसते जख्मों पर सुहानुभूति का मरहम लगा इनके हौसलों को बुलंद रखें यही आज के दिन नायक गुरचरण को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर सूबेदार हरभजन सिंह, सुबेदार बलजिंदर सिंह, सुबेदार हरदीप सिंह, एस.आई सुखजीत सिंह, हवलदार सुखदेव सिंह, हवलदार सतविंदर सिंह, हवलदार तरलोक सिंह, बाबा कुलविंदर सिंह, सर्वजीत सिंह, नंबरदार जैमल सिंह, जागीर सिंह, जतिंदर सिंह आदि उपस्थित थे।
पिता बोला: इकलौता बेटा खोने का दुख मगर गर्व है शहादत पर
शहीद के पिता सलविंदर सिंह ने कहा कि गुरचरण उनका इकलौता बेटा था जो हमारे बुढ़ापे का सहारा था मगर 29 वर्ष की अल्पायु में वो सहारा देश पर कुर्बान हो गया। उन्होंने कहा इकलौता बेटा खोने का तो उन्हें दुख तो बहुत है मगर उसके बलिदान पर गर्व भी है, विरली माएं ही ऐसे शेर पुत्रों को जन्म देती हैं।
बेटी बोली: मैं भी बनूंगी पापा की तरह फौजी
शहीद की छह साल की बेटी जपमनजोत ने बलिदानी पापा की तस्वीर को चूमते हुए कि वह भी अपने पापा की तरह बहादुर फौजी बनकर देश सेवा करेगी। इसके अलावा बलिदानी के साढ़े चार साल के बेटे आगमजोत ने जब अपने बलिदानी पिता को सैल्यूट किया तो समारोह में शामिल हर आंख नम हो उठी तथा हर कोई इन मासूम बच्चों के जज्बे को दिल से सैल्यूट कर रहा था। इस मौके पर परिषद की ओर से शहीद के परिजनों सहित पांच अन्य शहीद परिवारों को सिरोपे व स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया गया।