सीएए के तहत मोदी सरकार सभी पात्र शरणार्थियों को नागरिकता देगी: अमित शाह
भाजपा के लिए संवेदना का मुद्दा है, Political Gain का नहीं
CAA लागू कर मोदी सरकार ने शरणार्थियों की 75 साल की वेदना का किया अंतवो
टबैंक की राजनीति के लिए शरणार्थियों के खिलाफ भ्रम फैला रहे हैं अरविंद केजरीवाल
केजरीवाल क्यों बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों का विरोध नहीं करते?
ममता बनर्जी को सीएए का विरोध करने की जगह घुसपैठ को रोकना चाहिए
हिंदू और मुसलमानों के बीच द्वेष पैदा कर अपने वोट बैंक को साधना चाहती हैं ममता बनर्जी
ना इंडी गठबंधन सत्ता में आने वाला है और ना ही CAA जाने वाला है
नागरिकता कानून केंद्र का विषय है, राज्यों के विरोध का कोई बुनियाद नहीं
चंडीगढ़,(राजदार टाइम्स): केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भारत सरकार द्वारा हाल ही लागू किए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में विपक्षी दलों द्वारा फैलाए जा रहे झूठ के तथ्यों को सामने रखा और इस अधिनियम के असली उद्देश्य को देश की जनता के साथ साझा किया तथा कई अन्य विषयों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। अमित शाह ने चुनाव से पहले सीएए लागू करने पर कहा कि राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी, अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी सहित सभी विपक्षी दलों के नेता झूठ की राजनीति कर रहे हैं। इस बिल के लागू होने के समय के बारे में बात करने का महत्व इसलिए नहीं है, क्योंकि भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में ही सीएए लागू करने की बात कही थी। भाजपा का एजेंडा बहुत स्पष्ट है और इसी एजेंडे के आधार पर जनता भाजपा को बहुमत दे रही है। 2019 में ये बिल संसद के दोनों सदनों में पारित हो गया था और लागू होना तो महज औपचारिकता रह गई थी। विपक्ष इस अधिनियम के समय के बारे में बात कर तुष्टिकरण की राजनीति और वोट बैंक को साधना चाहता है। परन्तु सत्य है कि विपक्ष बेनकाब हो गया है और जनता समझ चुकी है कि सीएए इस देश का अहम कानून है। वहीं चुनाव से पहले इस अधिनियम को लागू करने की तो पिछले 4 वर्षों में ये 41 बार कहा जा चुका है कि ये बिल चुनाव से पहले ही लागू होगा तो अब इसके लागू होने के समय पर प्रश्न खड़े करना अप्रासंगिक है। विधायिका की इच्छा बिल से प्रकट होती है न कि नियमावली से। भाजपा सरकार ने 2019 में ही ये बिल पारित कर दिया था और अब तो नियमावली लागू हुई है। शाह ने स्पष्टता से कहा कि भाजपा के लिए ये राजनीतिक लाभ का मुद्दा नहीं है। नागरिकता संशोधन अधिनियम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के लिए अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले आए करोड़ों शरणार्थियों को उनके अधिकार देना, उनकी वेदना से उन्हें मुक्ति दिलाना और उनकी तीन पीढ़ियों को न्याय देने का मुद्दा है, जो कांग्रेस ने कभी नहीं दिया। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने विपक्ष द्वारा भाजपा पर इस मुद्दे के राजनीतिकरण और वोटों के ध्रुवीकरण के आरोपों पर कहा कि विपक्ष ने तो सर्जिकल, एयर स्ट्राइक और धारा 370 हटाने को राजनीतिक कदम बताया लेकिन इसका अर्थ ये तो नहीं है, भाजपा आतंकवाद के विरुद्ध कदम न उठाए। विपक्ष का इतिहास है कि ये दल सिर्फ कहते हैं, करते कुछ नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा ने जो कहा वो किया है। मोदी की गारंटी, गारंटी पूरी होने की भी गारंटी है। अमित शाह ने इस बिल के बारे में फैल रही भ्रामक जानकारी को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने पिछले 4 वर्षों में 41 बार अलग अलग मंचों से स्पष्ट रूप से कहा है कि इस देश के अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि सीएए में किसी की नागरिकता का हनन करने का प्रावधान नहीं है। सीएए सिर्फ और सिर्फ अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन शरणार्थियों को नागरिकता और उनके अधिकार देने का कानून है। जिससे इनके जीवन की वेदनाएं कम हो पाएं। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने इस नियम को एंटी–मुस्लिम कहे जाने की विसंगति के बारे में कहा कि सीएए को एंटी मुस्लिम कहना पूरी तरह से गलत है। 15 अगस्त 1947 को देश का विभाजन हुआ और देश तीन हिस्सों में बंट गया, भारतीय जनसंघ (अब भाजपा) शुरू से ही धर्म आधारित विभाजन के विरोध में था। जब धर्म के आधार पर विभाजन किया गया तो पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होने लगे, उन पर धर्मपरिवर्तन का दवाब बनाया गया और जब अपनी जान और सम्मान बचाने के लिए वे भारत के शरण में आए तो क्या उन्हें यहां नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए। आजादी के वक्त स्वयं कांग्रेस के नेताओं ने अपने सैकड़ों भाषणों में कहा था कि हिंसा के कारण जो लोग जहां है, वहीं रुक जाएं। बाद में जब भी ये लोग भारत आएंगे तो उन्हें स्वीकारा जाएगा। परन्तु उसके बाद वोटबैंक और तुष्टिकरण की राजनीति के चलते कांग्रेस ने कभी अपना वादा पूरा नहीं किया।अमित शाह ने सिर्फ मुसलमानों को इस अधिनियम के तहत नागरिकता नहीं दिए जाने के प्रश्न पर कहा कि पाकिस्तान पूरी तरह से मुसलमानों के लिए दिया गया था। देश का बंटवारा हुआ और मुस्लिम आबादी लिए अखंड भारत का एक हिस्सा दिया गया जो पाकिस्तान है। अगर मुसलमानों को भी नागरिकता दी जाए तो फिर तो किसी भी देश का कोई भी व्यक्ति आकर नागरिकता मांग सकता है। अखंड भारत के जिन लोगों के साथ धार्मिक प्रताड़ना हुई है, उनको शरण देना हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है। आंकड़े देखने पर पता चलता है कि विभाजन के समय पाकिस्तान में 23 प्रतिशत हिंदू और सिख तो जो आज महज 3 प्रतिशत बचे हैं, 1951 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हिंदू आबादी 22 प्रतिशत थी और 2011 में मात्र 10 प्रतिशत रह गए, अफगानिस्तान में 1992 में लगभग 2 लाख हिंदू और सिख थे लेकिन आज मात्र 500 बचे हैं। आंकड़ों में ये बदलाव साफ दिखाता है कि उन लोगों का धर्म परिवर्तन हुआ और इन्हें दोयम दर्जे के नागरिक की तरह रखा गया। जब भारत एक था तब वो हमारे ही भाई–बहन थे।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने अहमदिया और बलोच प्रताड़ना पर कहा कि पाकिस्तान में शिया, अहमदिया और बलोच के साथ होने वाली प्रताड़ना आंकड़ों से सिद्ध नहीं होती है और पूरे विश्व में सभी प्रकार के मुस्लिमों को एक मुस्लिम माना जाता है। ध्यान देने लायक बात ये है कि किसी भी मुस्लिम के लिए भारत की नागरिकता लेने का रास्ता बंद नहीं किया गया है। कोई भी मुस्लिम नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है और जो संवैधानिक नियम और पात्रता है उनके पूरे होने पर उसे नागरिकता मिल जाएगी। सीएए केवल एक विशेष नियम है जिसके तहत आवेदन करने के लिए एक पोर्टल बनाया गया है और जिन शरणार्थियों के पास दस्तावेज नहीं है उनके लिए रास्ता ढूंढा जाएगा। लेकिन लगभग 85 प्रतिशत से अधिक शरणार्थियों के पास दस्तावेज हैं। जिनके आधार पर वे आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने की कोई समय सीमा नहीं रखी गई है। देश की सभी भाषाओं में ये आवेदन किया जा सकता है। अमित शाह ने दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा जताई गई अपराध बढ़ने आशंका पर कहा कि अरविंद केजरीवाल अपने भ्रष्टाचार के उजागर होने से अपना आपा खो बैठे हैं। वो शायद भूल गए हैं ये सभी लोग भारत में ही रहे हैं और इस नियम से सिर्फ अधिकार और औपचारिक नागरिकता दी जा रही है। 2014 तक जो लोग आ गए सिर्फ उन्हें नागरिकता दी जाएगी। अगर उन्हें देश की इतनी चिंता है तो वो क्यों बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात नहीं करते और क्यों रोहिंग्या घुसपैठियों का विरोध नहीं करते। अरविंद केजरीवाल वोटबैंक की राजनीति करते हैं। दिल्ली का चुनाव उनके लिए लोहे के चने चबाने जैसा हो गया है। नौकरी का हक तो बंगाल में आए रोहिंग्या घुसपैठिए मारते हैं लेकिन उनका केजरीवाल ने कभी विरोध नहीं किया। अपने वोटबैंक और तुष्टिकरण की ओछी राजनीति के कारण ये सिर्फ हिंदू, बौद्ध और सिख शरणार्थियों का विरोध करते हैं। अरविंद केजरीवाल विभाजन की पृष्ठभूमि को भूल चुके हैं। शाह ने केजरीवाल को सलाह दी कि उन्हें उन निराश्रित शरणार्थियों के साथ कुछ समय गुजारना चाहिए जो अरबों की संपत्ति छोड़कर भारत में आए थे और यहां दिल्ली में सब्जी की दुकान लगाने लगे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विभाजन विभीषिका दिवस मनाकर एक ऐतिहासिक काम किया है। केजरीवाल को समझ नहीं आता कि जब धर्म के आधार पर अलग कर महिलाओं की इज्जत लूटी जाती है तो वे किस वेदना से गुजरते हैं। इन लोगों की क्या गलती है कि इन लोगों के बच्चों को अस्पताल में एडमिट नहीं किया जाता है, अच्छी नौकरी नहीं मिलती है, अपने नाम से संपत्ति नहीं खरीद सकते, मतदान नहीं कर सकते। विभाजन का फैसला इन शरणार्थियों ने नहीं कांग्रेस ने लिया था। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इनकी वेदना को समझते हैं और इसीलिए उनकी 75 वर्ष लंबी इस वेदना को चुनाव से पहले समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने ममता बनर्जी द्वारा लगाए गए नागरिकता छीनने के आरोपों पर कहा कि राजनीति करने के अनेक मंच हैं, ममता बनर्जी को अपनी राजनीति के लिए बांग्लादेश से आए बंगाली हिंदुओं का अहित नहीं करना चाहिए। शाह ने ममता बनर्जी को नागरिकता संशोधन अधिनियम में नागरिकता हनन करने का प्रावधान दिखाने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी खौफ पैदा कर रही हैं। ममता बनर्जी हिंदू और मुसलमानों के बीच द्वेष पैदा कर अपने वोट बैंक को साधना चाहती हैं। ममता बनर्जी को सीएए का विरोध करने की बजाय घुसपैठ को रोकना चाहिए। ममता न तो घुसपैठ रोक रही हैं और न ही केन्द्र का सहयोग कर रहीं हैं। राज्य सरकार के सहयोग के बिना घुसपैठ के सही आंकड़े पता लगाना थोड़ा मुश्किल है और वो दिन दूर नहीं है जब पश्चिम बंगाल में भी भाजपा की सरकार होगी और घुसपैठ पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अगर ममता बनर्जी इसी प्रकार से राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर तुष्टिकरण की राजनीति करेंगी तो जनता उनके साथ नहीं रहेगी। कई लोग नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर फैलाई जा रही भ्रामक जानकारी के कारण शायद आवेदन करने से भी डरेंगे परन्तु उन्होंने सभी शरणार्थियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सभी शरणार्थी अपना आवेदन करें, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पूर्वव्यापी प्रभाव से सबको नागरिकता देगी। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम के लागू होने या नहीं होने के संशय पर कहा कि असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए हैं इसका नागरिकता संशोधन अधिनियम से कोई लेना देना नहीं है। सिर्फ असम ही ही नहीं देश के हर हिस्से में यह कानून लागू होगा। सिर्फ उत्तरपूर्वी राज्य जिन्हें 2 प्रकार के विशेषाधिकार दिए गए हैं उसके तहत सिर्फ उन्ही राज्यों में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू नहीं होगा। इन 2 विशेषाधिकारों में इनर लाइन पर्मिट का प्रावधान है और दूसरा संविधान की अनुसूची 6 में शामिल जनजातीय क्षेत्र है। शाह ने कहा कि जनजातीय क्षेत्र में उनकी रचना और उनके अधिकार को बिल्कुल भी बदला नहीं जाएगा। अधिनियम के तहत ही प्रावधान किया गया है कि जहां पर भी इनर लाइन पर्मिट है और संविधान की अनुसूची 6 में जो क्षेत्र शामिल किये गए हैं, वहाँ नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू नहीं होगा एवं वहाँ का पता वाला भाग भी मोबाईल ऐप्लकैशन में अपलोड नहीं होगा। केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू नहीं किए जाने के मुद्दे पर अमित शाह ने कहा कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 11 में संसद ने नागरिकता के बारे में कानून बनाने का अधिकार केवल भारत की संसद को दिया गया है। यह केवल केंद्र का विषय है, केंद्र और राज्यों का साझा विषय नहीं है। इसलिए नागरिकता के बारे में कानून और उसे लागू करना दोनों ही भारतीय संविधान के 246/1 अनुच्छेद के माध्यम से इसे अनुसूची 7 में डाला गया है और इसकी तमाम शक्तियां भी केंद्र को दी गई हैं। कोई भी नागरिक छूटेगा नहीं।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सीएए भारतीय जनता पार्टी द्वारा लाया और लागू किया गया है। इंडी गठबंधन के नेता जो सरकार बनने पर कानून रद्द करने की बात कर रहे थे, वे आगामी लोकसभा चुनावों में जीत हासिल नहीं कर पाएंगे। जो नेता अनुच्छेद 14 का हवाला देते हैं वे इसके दो अपवादों को नजरअंदाज कर देते हैं जिसमें उचित वर्गीकरण और प्रावधानों और उद्देश्यों के बीच एक तार्किक संबंध शामिल हैं। सीएए अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है क्योंकि इसमें विभाजन से प्रभावित व्यक्तियों और अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले लोगों के बीच स्पष्ट अंतर के साथ उचित वर्गीकरण शामिल है। यह कानून भारत में शरण चाहने वालों से संबंधित है और पूरी तरह से संवैधानिक है। अमित शाह ने सीएए पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए जम्मू–कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती की आलोचना की और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून पर रोक नहीं लगाई है। सुप्रीम कोर्ट में न्याय मांगने जाना और सुप्रीम कोर्ट का न्याय देना दोनों अलग विषय हैं। शाह ने अनुच्छेद 370 को लेकर भी उन पर निशाना साधा और कहा कि इसे 1951 में भी अदालत में चुनौती दी गई थी, लेकिन इसका इस्तेमाल तब तक जारी रहा जब तक कि इसे भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने रद्द नहीं कर दिया। शाह ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को भी चुनौती दी कि वह अपना रुख स्पष्ट करें कि सीएए लागू किया जाना चाहिए या नहीं। वह अल्पसंख्यक वोट चाहते हैं और इसलिए वे तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी द्वारा सीएए को “मुस्लिम विरोधी” बताए जाने पर इसके पीछे के तर्क पर सवाल उठाते हुए जवाब दिया। उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश इस्लामिक देश घोषित हैं, इसलिए उन देशों में मुस्लिमों के साथ धार्मिक उत्पीड़न नहीं हो सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीएए में एनआरसी का कोई प्रावधान नहीं है, किसी की नागरिकता रद्द करने जैसे प्रावधान शामिल नहीं हैं और अगर विपक्ष इस कानून पर चर्चा चाहता है तो सरकार किसी भी कानून को लागू करने से पहले और बाद में संसद में चर्चा की जाती है। वहीं इस कानून के विरोध में अगर कृषि कानून की तरह कोई दंगे होते हैं तो श्री शाह ने स्पष्ट किया कि सीएए कानून कभी वापस नहीं लिया जायेगा। हमारे देश में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करना हमारा संप्रभु अधिकार है, हम इससे कभी समझौता नहीं करेंगे। शाह ने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर–पूर्व का विकास किया है और कहा कि केंद्र सरकार ने उत्तर–पूर्व को जोड़ने के लिए हवाई अड्डे, रेलवे और राजमार्ग बनाए हैं। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया कि उत्तर–पूर्व में बिजली, पानी कनेक्शन, एलपीजी कनेक्शन, शौचालय सुविधाएं, स्वास्थ्य सुविधाएं और शैक्षणिक संस्थान खोले जा रहे हैं।अमित शाह ने स्पष्ट किया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के माध्यम से नागरिकता प्राप्त करने वाले लोगों की कोई अलग पहचान नहीं होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें भारत के हर आम नागरिक की तरह नागरिकता सूची में जोड़ा जाएगा और समान अधिकार होंगे। वे चुनाव लड़ सकते हैं और सांसद, विधायक, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री बन सकते हैं। शाह ने सीएए पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयान का जवाब देते हुए सुझाव दिया कि राहुल गांधी को जनता को यह बताना चाहिए कि वह क्यों मानते हैं कि सीएए देश के खिलाफ है। यह भी कहा कि सीएए कोई राजनीतिक कदम नहीं है, बल्कि इसे राष्ट्रहित में लागू किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि अगर विपक्ष को लगता है कि इसका राजनीतिकरण हो गया है तो उन्होंने अपने शासन के दौरान इसे लागू क्यों नहीं किया। शाह ने उल्लेख किया कि भारतीय जनता पार्टी ने कभी भी जनादेश का दुरुपयोग नहीं किया है और कहा कि सरकार ने हमेशा देश के विकास के लिए काम किया है।तीन तलाक, सीएए और धारा 370 को लेकर विदेशी मीडिया द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए पूछा कि क्या विदेशों में तीन तलाक, मुस्लिम पर्सनल लॉ जैसे कानून हैं या धारा 370 के समान प्रावधान हैं क्या? शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले 10 साल का रिकॉर्ड ए ग्रेड रहा है और उनके पास 15 अगस्त 2047 तक भारत को पूर्ण विकसित भारत बनाने और अगले 25 साल की योजना का भी सपना है।