सैनिक ऐसा योद्धा जो देश की एक इंच जमीन के लिए दे जाता अपना बलिदान: सहायक कमांडेंट
नम आंखों से लांसनायक विक्रम दत्त के बलिदान को किया गया नमन
दीनानगर,(राजदार टाइम्स): भारतीय सेना की 235 बंगाल इंजीनियर रैजीमेंट के शहीद लांसनायक विक्रम दत्त का 17वां बलिदान दिवस शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की की अध्यक्षता में सीमावर्ती गांव मराड़ा में उनके निवास स्थान पर आयोजित किया गया जिसमें बीएसएफ की 58 बटालियन के सहायक कमांडेंट संजीव कुमार बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की माता सोमा देवी, भाई युद्धवीर, बहन मीना देवी व रानी देवी, भाभी कमलेश कुमारी, भतीजा विशाल कुमार, रिटायर्ड डीएसपी ठाकुर कमल सिंह, ग्राम सुधार सभा बहरामपुर के प्रधान ठाकुर विजय सिंह सलारिया, शहीद कांस्टेबल मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्री, शहीद नायक मुख्तयार सिंह वीर चक्र के बेटे सूबेदार मेजर सुरजीत सिंह, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही संदीप सिंह के पिता शाम लाल, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज, शहीद सिपाही कुलदीप कुमार के भाई राजीव कुमार, इंडियन एक्स सर्विसमैन लीग के ब्लॉक प्रधान सूबेदार मेजर मदन लाल शर्मा, एसआई प्रह्लाद सिंह, एसआई शाम लाल आदि ने विशेष मेहमान के रुप में शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम शहीद की माता सोमा देवी व अन्य मेहमानों ने शहीद के चित्र के समक्ष ज्योति प्रज्जवलित व पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का आगाज किया। श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि सहायक कमांडेंट संजीव कुमार ने कहा मैं शहीद लांसनायक विक्रम दत्त की वीर मां के चरणों में शीश झुकाता हूं जिसने 18 साल तक पाल पोस कर अपने बेटे विक्रम को सेना में भर्ती करवा देश को समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा त्याग व बलिदान की मूर्त वीर सैनिक देश की एक इंच जमीन के लिए अपना बलिदान दे जाता है मगर दुश्मन को अपनी सीमा में दाखिल नहीं होने देता क्योंकि जो सैनिक वर्दी पहन लेता है उसके लिए देश ही उसका परिवार होता है और जब वो घर छुट्टी जाता है तब भी वह देश की सुरक्षा के बारे में ही सोचता है। सहायक कमांडेंट ने कहा शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद जिस श्रद्धा के साथ ऐसे शौर्य वीरों के बलिदान दिवस आयोजित करती है उससे सरहद पर खड़े सैनिक का मनोबल बढ़ता है और वो यह महसूस करता है कि बेशक वो देश की सुरक्षा करते हुए कुर्बान हो जाए मगर उन्हें इस बात की तसल्ली है कि उनके जाने के बाद परिषद जैसी संस्था उसके परिवार की देखभाल करती रहेगी।
शादी के दस दिन पहले अपना बलिदान देकर विक्रम ने निभाया सैन्य धर्म: कुंवर विक्की
कुंवर रविंदर विक्की ने कहा शहीद लांसनायक विक्रम दत्त त्याग व बलिदान की एक ऐसी मूर्त थे जिसकी मिसाल बहुत कम देखने को मिलती है, क्योंकि इस बहादुर सैनिक की दस दिनों के बाद शादी थी, घर पर मां शगुनों के गीत गा सेहरे की लड़ियां बुन रही थी, मगर सरहद पर खड़ा बेटा अपना सैन्य धर्म निभाते हुए अपना बलिदान देकर वीरगति को दुल्हन के रुप में गले लगा देशवासियों को कश्मीर की वादियों से अंतिम सैल्यूट करते हुए यह संदेश दे गया कि खुश रहो एहले वतन अब हम तो सफर करते हैं। ऐसे जांबाजों का बलिदान देश की भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने गांव के युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि इस सीमावर्ती गांव मराड़ा का नाम एक शहीद के नाम के साथ जुड़ा है इसलिए वह कोई भी ऐसा काम न करें जिससे विक्रम दत्त की शहादत की गरिमा को ठेस पहुंचे तथा आज के दिन वे सब संकल्प लें कि शहीद विक्रम की तरह सेना में भर्ती होकर इस गांव का नाम रोशन करेंगे तथा इस बलिदानी परिवार के मनोबल को हमेशा ऊंचा रखेंगे। कुंवर विक्की ने कहा कि इस अमर वीर की बहादुर माता सोमा देवी अभी शहीद बेटे के गम से उभरी भी नहीं थी कि दो साल पहले उसका दूसरा बेटा भी हार्ट अटैक से चल बसा जिससे यह अभागी मां पूरी तरह टूट गई है ऐसे में हम सब का यह फर्ज बनता है इस परिवार का दुख सभी मिलकर बांटे ताकि यह अपने आप को अकेला महसूस न करे। कुंवर विक्की ने कहा उन्हें इस बात का गहरा रोष है कि लांस नायक विक्रम दत्त की शहादत के 17 वर्षों बाद भी सरकार ने शहीद परिवार से किए वायदे वफा नहीं किए। इससे बड़ा देश का दुर्भाग्य और क्या होगा कि अभी तक इस बहादुर सैनिक की याद में न तो कोई यादगिरी गेट बना और न ही गांव के सरकारी स्कूल का नाम इस शहीद के नाम पर रखा गया जिससे इस परिवार की ही नहीं सारे क्षेत्र के लोगों में गहरा रोष है और समय-समय की सरकारों के लिए भी शर्म की बात है जो इस परिवार के जख्मों पर मरहम की जगह झूठी घोषणाओं का नमक छिड़कती रही। इस मौके पर मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित सात अन्य शहीद परिवारों को सिरोपे,शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सरपंच बोध राज, पूर्व सरपंच संजीव शर्मा, बलविंदर सिंह, सूबेदार मेजर ओंकार सिंह, सूबेदार मेजर ओमप्रकाश, सूबेदार मंजीत सिंह, नायक राधेशाम सैनी, धर्मपाल, नारायण सैनी, हेम राज, संदीप सिंह, ऋषभ कुमार, मनदीप कुमार, माणिक कुमार, सतविंदर सिंह, गुरदीप सिंह, अभिषेक सैनी, सुमित कुमार, अमित कुमार, योगेश सिंह आदि उपस्थित थे।