करते हैं हमारे शास्त्र ग्रंथ सत्संग की महिमा का वर्णन, मानव के अंदर दिव्य गुणों को रोपित करने हेतु
होशियारपुर,(राजदार टाइम्स): दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा संस्थान के स्थानीय आश्रम गौतम नगर में सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। करवाए गए कार्यक्रम मे सर्वश्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी रुक्मणी भारती ने अपने प्रवचनों में बताया कि विद्युत-लेपन की प्रक्रिया किसे कहते हैं। ऊर्जा की मदद से एक धातु पर दूसरी धातु का लेप करना ही विद्युत-लेपन प्रक्रिया है। उन्होंने कहा के जगद्गुरु भगवान श्री कृष्ण गीता में उद्घोष करते हैं कि सभी जीव मेरे ही अनंत अंश हैं इसी भूले हुए तथ्य को स्मरण करवाने एवं मानव के अंदर दिव्य गुणों को रोपित करने हेतु हमारे शास्त्र ग्रंथ सत्संग की महिमा का वर्णन करते हैं। सत्संग मन को दिव्य एवं सकारात्मक विचार जो प्रेरणादायक तो होता ही है साथ ही जीवन रक्षक भी होता है। इन दिव्य विचारों से मन का माया के प्रति प्रभावों से संरक्षण होता है। इस प्रक्रिया को हम विद्युत लेपन प्रक्रिया को समझ सकते हैं। जिस प्रकार विद्युत लेपन प्रक्रिया द्वारा एक धातु को दूसरी धातु पर लेपित किया जाता है। जिससे मूल धातु के गुण दिखने लगते हैं, ठीक उसी प्रकार सत्संग श्रवण करने से मन भी विशेष अलंकृत हो जाता है। प्रभु श्री राम भी कहते हैं बिन सत्संग विवेक न होई भाव सत्संग के द्वारा विवेक की प्राप्ति होती है और तो और अनासक्ति मोह-भंग मन की दृढ़ता और स्तिरथा भी सत्संग बिना असंभव है। श्री आदिगुरु शंकर भी कहते हैं कि सत्संग द्वारा मानव मन पर दिव्य विचारों की ऐसी परत चढ़ती है कि फिर वह माया के प्रभावों से मुक्त होने लगता है। ये दोनों प्रक्रियाएँ बहुत सहजता व सूक्ष्मता से हमारे दीक्षित अंत:करण में घटित होती है। मन में व्याप्त आशुद्धिओं का हनन एवं उच्च विचारों का रोपण सरलता से होता है। यही था विद्युत लेपन।