कोरोना काल में स्कूल नहीं लग रहे हैं। निजी स्कूल संचालक स्टाफ को वेतन देने के नाम पर नियमित फीस ले रहे हैं। शिक्षा विभाग जब फीस का लेखा-जोखा मांग रहा है तो निजी स्कूल ब्योरा देने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। बार-बार आदेश देने के बाद भी निजी स्कूल संचालक यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि मार्च से जून तक उन्होंने स्टाफ के किस शिक्षक को कितना मानदेय दिया है। शिक्षा विभाग ने निजी स्कूल संचालकों को इस बाबत दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। जानकारी न देने वालों स्कूलों की रिपोर्ट निदेशालय भेज दी जाएगी और उनके अनापत्ति प्रमाणपत्र रद कर दिए जाएंगे।

कांगड़ा जिले में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड और उच्च शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त कुल 380 निजी स्कूल हैं। इनमें से स्कूल शिक्षा बोर्ड से संबद्धता प्राप्त 315 और सीबीएसई से संबद्धता प्राप्त 59 और इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (आइसीएसई) से संबद्धता प्राप्त छह स्कूल हैं। शिक्षा विभाग ने मई में सभी निजी वरिष्ठ माध्यमिक/उच्च पाठशालाओं के प्रधानाचार्यों व मुख्याध्यापकों को निर्देश दिए थे कि वे अपने-अपने विद्यालय की निधियों तथा वेतन से संबंधित सूचना कार्यालय में जमा करवाएं। तीन बार रिमाइंडर देने के बाद भी अभी तक 40 विद्यालयों ने ही यह सूचना उपलब्ध करवाई है। हैरानी की बात है कि इसमें सिर्फ 19 स्कूलों की सूचना ठीक है। अब शिक्षा विभाग ने उक्त स्कूलों को अंतिम निर्देश दिए हैं कि वे सूचना दो दिन के भीतर दिए गए प्रपत्र पर ही भरकर कार्यालय में जमा करवाएं। अगर सूचना समय पर उपलब्ध नहीं करवाई तो दोषी स्कूलों की सूची निदेशालय भेजी जाएगी और अनापत्ति प्रमाणपत्र रद करने की सिफारिश की जाएगी। उधर, उपनिदेशक उच्च शिक्षा कांगड़ा कुलदीप कुमार ने कहा कि निजी स्कूल फीस व फंड की जानकारी नहीं दे रहे हैं। विभाग आकलन कर रहा है कि निजी स्कूलों ने कोरोना काल में शिक्षकों को वेतन दिया है या नहीं। अगर दिया है तो कितनी कटौती की है।

ब्लॉक फतेहपुर के निजी स्कूल प्रबंधकों की बैठक रविवार को हंसराज मेमोरियल स्कूल रैहन में कार्यवाहक प्रधान नरेंद्र मनकोटिया की उपस्थिति में हुई। इस दौरान कोविड 19 के कारण निजी स्कूलों को आ रही समस्याओं पर मंथन किया गया। बैठक में नरेंद्र मनकोटिया ने कहा कि एक ओर अभिभावक फीस नहीं दे रहे हैं तो दूसरी ओर आबकारी एवं कराधान विभाग स्कूलों की गाड़ियों के कर जमा करवाने का आदेश जारी कर रहा है। तर्क दिया कि गाड़ियां खड़ी हैं और उन्हें आय नहीं हो रही है तो टैक्स जमा करवाने के लिए विभाग की ओर से पत्र भेजे जा रहे हैं। उन्होंने गुहार लगाई है कि सरकार निजी स्कूलों की गाड़ियों के सभी प्रकार के टैक्स माफ करे। निजी स्कूल संचालकों ने सरकार से गुहार लगाई है कि संकट की इस घड़ी में उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।