कहा, जम्मू-कश्मीर सरकार दूसरे राज्य में शहीद होने वाले सैनिक को शहीद ही नहीं मानती
कठुआ,(बिट्टा काटल): भारतीय सेना की 7/11 जीआर यूनिट के कीर्ति चक्र व सेना मैडल विजेता शहीद कैप्टन सुनील चौधरी का 14वां श्रद्धांजलि समारोह कठुआ में शहीद की याद में बने स्मारक पर एसएसपी आरसी कोतवाल की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। जिसमें शहीद के पिता कर्नल पीएल चौधरी बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की माता सत्या चौधरी, भाई विंग कमांडर अंकुर चौधरी व इंजीनियर राहुल चौधरी, भाभी स्क्वार्डन लीडर दीप्ति चौधरी व ज्योती चौधरी, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की, प्रेस सचिव रणधीर सिंह काटल, कर्नल अभिषेक प्रकाश, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज, विकास मन्हास, जम्मू-कश्मीर एक्स सर्विसमैन एसोशिएशन के अध्यक्ष कैप्टन सूरज सिंह, ऐके चौधरी,आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किये। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। शहीद की यूनिट के जवानों ने शस्त्र उल्टे कर बिगुल की गौरवशाली धुन के साथ शहीद को सलामी दी। उसके उपरांत शहीद परिवार,सैन्य अधिकारियों व अन्य मेहमानों ने शहीद कैप्टन सुनील चौधरी की प्रतिमा के समक्ष रीथ चढ़ा उनकी शहादत को नमन किया। श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि शहीद के पिता कर्नल पीएल चौधरी ने कहा कि उन्हें अपने बेटे को खोने का दुख तो बहुत है मगर उसकी शहादत पर गर्व भी है। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं समय बहुत बलवान होता है, हर जख्म को भर देता है मगर शहादत का जख्म कभी नहीं भरता बल्कि समय के साथ-साथ और भी नासूर बन जाता है। जब भी बेटे की शहादत का दिन आता है, उनके परिवार के जख्म और भी हरे हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि उनका बेटा 14 वर्ष पहले आज ही के दिन असम में उल्फा आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गया था। उनकी वीरता को देखते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया, मगर जम्मू-कश्मीर सरकार ने उन्हें किसी भी तरह की आर्थिक सहायता व मान सम्मान नहीं दिया क्योंकि यहां की सरकार दूसरे राज्य में शहीद होने वाले सैनिक को शहीद ही नहीं मानती, जबकि दूसरे राज्यों में ऐसा नहीं है। हमारा पड़ोसी राज्य पंजाब जिसका एक सैनिक चाहे वो किसी भी राज्य में शहीद हो जाए उसकी शहादत पर 50 लाख रुपए की एक्सग्रेशिया ग्रांट देता है, मगर यहां की सरकार शहीद परिवार की कोई मदद नहीं करती जोकि देश के वीर सैनिकों की शहादत का अपमान है। उन्होंने कहा कि वो पिछ्ले कई सालों से सरकार को इस बारे में पत्र लिख रहे हैं, मगर उनकी तरफ से कोई जबाव नहीं दिया जाता। जिससे हमारे अलावा सभी शहीद परिवारों की भावनाएं आहत हैं, क्योंकि बात पैसे की नहीं मान-सम्मान की है। इस अवसर पर शहीद परिवार को सम्मानित भी किया गया। इस मौके पर संजीव ठाकुर,सूबेदार मेजर नित्यानंद सिंह, कैप्टन प्रेम कुमार, कैप्टन देव राज, कैप्टन सांझी राम आदि उपस्थित थे।
तो भविष्य में कोई भी मां बेटे को सेना में नहीं भेजेगी : कुंवर विक्की
शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा जब भी एक सैनिक जिस्म पर वर्दी धारण करता है वो तिरंगे को हाथ में लेकर समूह देशवासियों की सुरक्षा का बचन लेते हुए कहता है कि उसके लिये परिवार से पहले राष्ट्र सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि अक्सर राजनेता हर मंच पर दुहाई देते हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और अगर इस राज्य का सैनिक किसी दूसरे राज्य की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति दे जाता है तो यहां की सरकार उसे शहीद ही नहीं मानती जो कि इन जांबाज सैनिकों की शहादत के अपमान के साथ-साथ देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। उन्होंने कहा कि अगर शहीदों के परिवार इसी तरह उपेक्षित होते रहे तो भविष्य में कोई भी मां अपने बच्चों को सेना में भेजने से पहले कई बार सोचेगी जिसका सीधा असर सरहदों पर तैनात हमारे जवानों के मनोबल पर पड़ेगा जो देश की सुरक्षा के लिये ठीक नहीं होगा। इस लिये इस सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए इन शहीद परिवारों को बनता मान-सम्मान देना चाहिये।
मिट जाते हैं वो देश जो नहीं रखते अपने शहीदों को याद : एसएसपी
एसएसपी आरसी कोतवाल ने कहा कि को समाज व देश अपने वीर सैनिकों के बलिदानों को भूल जाते हैं वो शीघ्र मिट जाते हैं। उन्होंने कहा कि कैप्टन सुनील चौधरी एक बहादुर योद्धा थे, जिस दिन उन्हें उनकी वीरता के लिये सेना मैडल मिला उसी दिन उल्फा आतंकियों से लड़ते हुए वो देश की बलिवेदी पर कुर्बान हो गये। उनके इस अदम्य साहस को वो दिल से सैल्यूट करते हैं। उन्होंने कहा कि शहीद परिवारों का त्याग भी बंदनीय जो अपने जिगर के टुकड़े देश पर कुर्बान करने के बावजूद भी समाज में देशभक्ति की अलख प्रज्जवलित किये हुए हैं।