रानी दुर्गावती को किया जाता है आज भी वीरता और अदम्य साहस के अलावा उनके किए कए जनकल्याण कार्यों के लिए याद
बचपन से ही घुड़सवारी, तलवारबाजी, तीरंदाजी जैसी युद्ध कलाओं की ली शिक्षा
तलवाड़ा,(एसपी शर्मा): रानी दुर्गावती बलिदान दिवस (24 जून) के अवसर पर सर्वहितकारी विद्या मन्दिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर कार्यालय अधीक्षक कुलदीप सिंह व अंकुश शर्मा ने कहा कि भारत के इतिहास में मुगलों को चुनौती देने वाले शासकों की सूची में महाराणा प्रताप तथा शिवाजी महाराज का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। लेकिन इस सूची में ये दो नाम अकेले नहीं थे। इसमें एक नाम गोंडवाना की रानी दुर्गावती का भी है। जिन्होंने अकबर की सेना में नाक में दम कर दिया था। 24 जून को उनका बलिदान दिवस मनाया जाता है। उन्हें ना केवल आखिरी दम तक मुगल सेना को रोक कर अकबर की उनके राज्य पर कब्जा करने की हसरत को कभी पूरा नहीं होने दिया। आज भी गोंडवाना क्षेत्र में उन्हें उनकी वीरता और अदम्य साहस के अलावा उनके किए कए जनकल्याण कार्यों के लिए याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि 450 साल पहले मुगल शासक अकबर और उनके सेना का मानमर्दन करने वाली रानी दुर्गावती का जन्म सन् 1524 को बांदा जिले में कलिंजर के चंदेला राजपूत राजा कीर्ति सिंह चंदेल के घर में इकलौती संतान के रूप में हुआ था। दुर्गा अष्टमी के दिन उनका जन्म होने के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया जोकि आगे चलकर उनके जीवन चरित में फलीभूत भी होता दिखा। दुर्गा माता जैसे अपने भक्तों की देखभाल करती है, उन्होंने अपनी प्रजा का भी ख्याल रखा। उन्होंने बचपन से ही घुड़सवारी, तलवारबाजी, तीरंदाजी जैसी युद्ध कलाओं की शिक्षा ली थी। अकबरनामा में भी रानी दुर्गावती का जिक्र है। जिसमें कहा गया है कि वो तीर और बंदूक चलाने में माहिर थीं। दुर्गावती के पति दलपत शाह का मध्य प्रदेश के गोंडवाना क्षेत्र में रहने वाले गोंड वंशजों के 4 राज्यों, गढ़मंडला, देवगढ़, चंदा और खेरला, में से गढ़मंडला पर अधिकार था। दुर्भाग्यवश रानी दुर्गावती से विवाह के 7 वर्ष बाद ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया। कुलदीप सिंह तथा अंकुश शर्मा ने कहा कि पति के निधन के समय दुर्गावती के पुत्र नारायण की उम्र मात्र 5 वर्ष की ही थी। इसलिए रानी ने स्वयं ही गढ़मंडला का शासन अपने हाथों में ले लिया। उनके राज्य का केंद्र वर्तमान जबलपुर था। रानी ने 16 साल तक इस क्षेत्र में शासन किया और एक कुशल प्रशासक की अपनी छवि निर्मित की।