पठानकोट,(बिट्टा काटल राजदार टाइम्स ब्यूरो): शहादत का दर्द असहनीय होता है तथा जिस घर का चिराग राष्ट्र की बलिवेदी पर कुर्बान हो जाता है, वो परिवार जिंदा लाश बनकर रह जाता है। कहते हैं कि समय बहुत बलवान होता है तथा वह हर घाव को भर देता है, मगर अपने जिगर के टुकड़े की शहादत के जख्म को समय भी नहीं भर पाता, बल्कि जैसे-जैसे समय बीतता है, वो जख्म और भी नासूर बन जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ शौर्य चक्र विजेता शहीद लेफ्टिनेट गुरदीप सलारिया की माता तृप्ता सलारिया के साथ। जिनका इकलौता बेटा लेफ्टिनेंट गुरदीप सलारिया 10 जनवरी 1993 को जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लड़ते हुए शहादत का जाम पी गया था तथा बेटे के गम में मां टूट सी गई और उन्हें कैंसर जैसी घातक बीमारी ने अपनी गिरफ्त में ले लिया, मगर इस बहादुर मां में इतनी विल पावर थी कि उन्होंने 6 वर्ष बाद ही कैंसर को हरा दिया। मगर इकलौते बेटे की शहादत का गम उन्हें अंदर से खोखला करता जा रहा था। इसी बीच 2015 को उन्हें फिर इस लाइलाज बीमारी कैंसर ने फिर से जकड़ लिया, मगर एक शूरवीर बेटे की बहादुर मां की हिम्मत के सामने कैंसर ने फिर घुटने टेक दिये और इस मां ने दूसरी बार कैंसर पर विजय हासिल कर ली, लेकिन कुछ महीने पहले इस घातक बीमारी ने फिर से शहीद लेफ्टिनेंट गुरदीप सलारिया की मां को अपनी गिरफ्त में ले लिया, लेकिन इस बार वह इससे उभर नहीं पाई और गत दिवस उनका देहांत हो गया। इस तरह एक बहादुर मां 27 वर्ष कैंसर से लडकर और दो बार कैंसर को परास्त करते हुए आखिर जिंदगी की जंग हार गई। इस अवसर पर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की, राजपूत कल्याण बोर्ड पंजाब के चेयरमैन ठाकुर दविन्द्र सिंह दर्शी, शहीद लेफ्टिनेंट त्रिवेणी सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जनमेज सिंह, शहीद सिपाही मोहन सिंह चिब के भाई ठाकुर जीवन सिंह चिब, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज, ब्रिगेडियर संजय कांडपाल, कार्पोरेटर चरणजीत सिंह हैप्पी, इंडियन एक्स सर्विसमैन लीग पंजाब चंडीगढ़ के उपाध्यक्ष कैप्टन फकीर सिंह, सूबेदार मेजर अवतार सैनी, सूबेदार मेजर अंग्रेज सिंह, हवलदार शांति शर्मा आदि ने शहीद लेफ्टिनेंट गुरदीप सलारिया की माता तृप्ता सलारिया को भावभीनी श्रद्घांजलि अर्पित की।
आखिर टूट गया वर्दी में शहीद बेटे की अर्थी को कंधा देने वाला पिता
जब लेफ्टिनेंट गुरदीप सलारिया शहीद हुए तो उस वक्त उनके पिता कर्नल सागर सिंह सलारिया शहीद बेटे की युनिट 23 पंजाब रैजीमेंट में बतौर कर्नल डयूटी निभा रहे थे, बेटे की शहादत पर उन्होंने वर्दी में ही अपने शहीद बेटे की अर्थी को कंधा देकर अपना सैन्य धर्म निभाया था तथा आंखों में आंसू नहीं आने दिये, मगर आज पत्नी के निधन पर वो बहादुर पिता टूट गया। कर्नल सागर सिंह सलारिया ने नम आंखों से कहा कि बेटे की शहादत के बाद उनकी पत्नी ने उन्हें टूटने नहीं दिया और हमेशा मेरी ताकत बनकर मेरे साथ खड़ी रही। आज उसके जाने से मैं पूरी तरह बिखर गया हूं, मगर फिर भी मैं अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोडंूगा तथा शहीद परिवारों के अधिकारों की लड़ाई शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के साथ मिलकर लड़ता रहूंगा।

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