परिषद ने दोनों बहनों को किया गौरव सम्मान से सम्मानित
कठुआ/पठानकोट,16 दिसम्बर(राजदार टाइम्स): सपने वो नहीं होते, जो आप सोते हुए देखें, सपने वो होते हंै, जोकि आपको सोने न दें। एक ऐसे ही सपने को अपने जनून, हिम्मत व मेहनत से साकार करने वाली दो बहनों रिया सम्याल व डौली सम्याल ने सेना में लेफ्टिनेंट बन अपने माता-पिता के साथ-साथ सारे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। दोनों बहनों की नियुक्ति सेना में जज एडवोकेट जनरल (जैग) ब्रांच में हुई है। बड़ी बहन लेफ्टिनेंट रिया सम्याल जिसने इसी वर्ष 7 मार्च को कमीश्न लिया है तथा इन दिनों वो कश्मीर में तैनात है। जबकि छोटी बहन डौली सम्याल ओ.टी.एस चेन्नई में अभी ट्रेनिंग कर रही है। लेफ्टिनेंट रिया व लेफ्टिनेंट डौली सुजानपुर के रिटा.प्रिंसीपल मोहन सिंह की दोहतियां व हिन्दू सुरक्षा समिति पंजाब के चेयरमैन सुरेन्द्र मन्हास की भांजियां है तथा इनका घर कठुआ में है। इन दोनों बहनों की इस उपलब्धि के लिए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने स्थानीय शहीद सिपाही मक्खन सिंह सरकारी गल्र्ज सीनियर सेकेंडरी स्कूल में एक सम्मान समारोह आयोजित कर इन्हें गौरव सम्मान से सम्मानित किया। कार्यक्रम में मेजर जनरल एसके खजूरिया, कर्नल सागर सिंह सलारिया, शहीद मेजर विवेक भंदराल के पिता कर्नल पीएस भंदराल, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंसराज, शहीद सिपाही मोहन सिंह के भाई ठाकुर जीवन सिंह चिब, डीईओ (स) वरिन्द्र पराशर, डिप्टी डीईओ राजेश्वर सलारिया, लेफ्टिनेंट रिया व डौली सम्याल की माता शैली सम्याल, मामी नीतू मन्हास, बहन शुभांगनी आदि विशेष मेहमान के तौर पर शामिल हुए।

हिम्मत, मेहनत व जनून की सीढ़ी से प्राप्त होती है हर मंजिल : लेफ्टिनेंट रिया
लेफ्टिनेंट रिया सम्याल ने परिषद सदस्यों व स्कूल प्रिंसीपल मीनम शिखा का आभार व्यक्त कर छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि हिम्मत, मेहनत व जनून की सीढ़ी से इंसान हर मंजिल को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि उनके पिता कर्नल पवन सम्याल जो आज भी भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे हैं तथा उनसे व मां शैली सम्याल से प्रेरणा लेकर ही वह दोनों बहनें इस मुकाम पर पहुंची हंै तथा उनके दादा कर्नल प्रताप सिंह भी सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हंै। इसलिए घर में मिले सैन्य माहौल ने भी उनके अंदर सेना में अफसर बनने का जज्बा पैदा किया। लेफ्टिनेंट रिया ने कहा कि वर्दी पहनते ही दिल में देशभक्ति का जोश पैदा हो जाता है। बेशक सेना में लड़कियों की संख्या कम है, मगर फिर भी वह किसी भी क्षेत्र में लडक़ों से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि फौज में लडक़े-लडक़ी में कोई फर्क नही होता, वहां सिर्फ हम एक अफसर के तौर पर जाने जाते हंै। अपनी युनिट के 400 जवानों, अफसरों में वह अकेली महिसा अधिकारी हैं। मगर कभी भी यह एहसास नहीं हुआ कि वह एक लडक़ी हैं। अपनी ड्यूटी को पूरी तनदेही से निभाकर खुद गौरवान्वित महसूस करती हूं कि मैं भारतीय सेना का हिस्सा हूँ। वहीं लेफ्टिनेंट रिया की छोटी बहन लेफ्टिनेंट डौली सम्याल ने छात्राओं को संबोधित करते हुए उन्हें भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर डी.ई.ओ (स)वरिन्द्र पराशर, डिप्टी डी.ई.ओ राजेश्वर सलारिया, प्रिंसीपल मीनम शिखा ने छात्राओं को प्रेरित करने के लिए लेफ्टिनेंट रिया सम्याल व लेफ्टिनेंट डौली सम्याल एवं परिषद सदस्यों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मास्टर विवेक शर्मा, राजीव मेहता, ब्रिजराज, वरिन्द्र सिंह, रोहित कुमार  आदि उपस्थित थे।

छात्राओं के लिए रोल मॉडल है लै.रिया व लै.डौली जैसी बेटियां : मेजर जनरल खजूरिया
मेजर जनरल एसके खजूरिया ने कहा कि लेफ्टिनेंट रिया व उसकी छोटी बहन डौली सम्याल जैसी बेटियां छात्राओं के लिए रोल मॉडल हंै। मैं इस सम्मान समारोह में इन दोनों बेटियों के साथ-साथ इनके माता-पिता को भी दिल से सैल्यूट करता हँू। जिन्होंने ऐसी होनहार बेटियों को जन्म दिया है तथा दिल में कभी ऐसी सोच पैदा नहीं होने दी कि उनके कोई बेटा नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग बेटियों को बोझ समझते हैं, उन्हें जीने का कोई अधिकार नही है।

लेफ्टिनेंट रिया व डौली की उपलब्धि बेटियों को कोख में मारने वालों के मुंह पर कड़ा तमाचा : कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने कहा कि लेफ्टिनेंट रिया व लेफ्टिनेंट डौली ने लड़कियां होते हुए भी सेना में ऐसा ऊंचा मुकाम को हासिल कर उन लोगों के मुंह पर कड़ा तमाचा जड़ा है, जो आज भी बेटियों को कोख में कत्ल करने में परहेज नहीं करते। उन्होंने कहा कि वह इस सम्मान समारोह को तभी सफल मानेंगे, जब इस स्कूल में पढऩे वाली छात्राओं में से भी कोई लेफ्टिनेंट रिया व लैफ्टिनेंट डौली सम्याल से प्रेरणा लेकर भारतीय सेना में अफसर बन कर इस स्कूल का नाम रोशन करें।