चौथे शहीदी दिवस पर नम आंखों से याद किए गए लांस नायक गुरमेल
अमृतसर,(राजदार टाइम्स): जम्मू-कश्मीर के राजौरी सैक्टर की सीमा पर पाक सेना से लोहा लेते हुए शहादत का जाम पीने वाले सेना की 2 सिख रैजीमेंट के लांस नायक गुरमेल सिंह का चौथा श्रद्घांजलि समारोह शहीद लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह की अध्यक्षता में गांव अलकड़े में आयोजित हुआ। जिसमें शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर विक्की बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की माता गुरमीत कौर, पिता तरसेम सिंह, पत्नी कुलजीत कौर, बेटी रिपनदीप, भाई हरप्रीत सिंह, बहन दलजीत कौर, विधायक विक्रमजीत सिंह मजीठिया के राजनीतिक सलाहकार लखबीर सिंह, शहीद लांस नायक संदीप सिंह शौर्य चक्र के पिता जगदेव सिंह, शहीद सिपाही मंदीप कुमार के पिता नानक चंद, शहीद हवलदार पलविंदर सिंह की पत्नी पलविंदर कौर, शहीद की यूनिट के सूबेदार बलविंदर सिंह आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्घासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम श्री अखंड पाठ साहिब का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा बैरागमयी कीर्तन कर शहीद को नमन किया गया। उसके उपरांत आयोजित श्रद्घांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि कुंवर रविंदर विक्की ने कहा कि पंजाब शूरवीरों की धरती है, जिसके डी.एन.ए में कुर्बानी का जज्बा भरा पड़ा है। देश की सुरक्षा को जब भी खतरा पैदा हुआ, जहां के वीर सैनिकों ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मन को धूल चटाई है। उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव जैसे आजादी के परवानों ने फांसी के फंदे चूमते हुए अपने बलिदान देकर देश को जो बहुमूल्य आजादी दिलाई है, उस आजादी की गरिमा को बहाल रखते हुए आज भी शहीद लांसनायक गुरमेल सिंह जैसे रणबांकुरे अपने बलिदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक सैनिक कभी भी रोटी कमाने का सपना लेकर सेना में नहीं जाता, बल्कि देशभक्ति का जज्बा व परिवारिक संस्कार उसे राष्ट्रहित में अपने प्राणों की आहुति देने के लिए प्रेरित करते हैं। इस लिये एक सैनिक के लिये राष्ट्र सर्वोपरि होता है, जिसकी सुरक्षा में वो अपने पारिवारिक सबंधों का परित्याग करते हुए अपना बलिदान देकर अपना सैन्य धर्म निभा जाता है। शहीदों के परिवार सारे राष्ट्र के परिवार होते हैं, जिन्होंने अपने घरों के चिराग सारे देश को रोशन करने के लिए वतन पर कुर्बान कर दिए हैं। इसलिए समस्त देशवासियों एवं सरकारों का यह फर्ज बनता है कि इन परिवारों को उचित मान सम्मान देकर उनका मनोबल बढ़ाते हुए उन्हें यह एहसास करवाएं कि बेशक उनके लाडलों ने राष्ट्रहित में अपने प्राणों की आहुति दे दी है, मगर देश ने उनके जिगर के टुकड़ों की शहादत को जिंदा रखा है। मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित दस अन्य शहीद परिवारों को सिरोपे व शाल भेंट करके सम्मानित किया तथा गांव के युवाओं ने सभी शहीद परिवारों पर पुष्प वर्षा कर उनका पुष्पित अभिनंदन किया। इस मौके पर सरपंच गुरबेल सिंह, बाबा हरजिंदर सिंह, हवलदार गुरप्रीत सिंह, सिपाही प्रभजीत सिंह, नवप्रीत सिंह, हरप्रीत सिंह, जसवंत सिंह, परगट सिंह, जगदीश सिंह बाजवा, गुरदीप सिंह, गुरपाल सिंह आदि उपस्थित थे।
असहनीय होता है शहादत का दर्द : कैप्टन जोगिंदर
शहीद लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह ने कहा कि शहादत का दर्द असहनीय होता है। अपनों को खोने का दुख क्या होता है वो भली भांति जानते हैं क्योंकि उन्होंने खुद अपने जिगर का टुकड़ा देश की बलिवेदी पर कुर्बान किया है। उन्होंने कहा कि शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने शहीदों की याद में जगह-जगह इस तरह के श्रद्धांजलि समारोह आयोजित करने का जो सिलसिला शुरु किया है इसमें शामिल होने से शहीद परिवारों का मनोबल ऊंचा होता है।
गुरमेल के रूप में युनिट ने खोया अनमोल हीरा : सूबेदार बलविंदर
शहीद की युनिट के सूबेदार बलविंदर सिंह ने कहा कि लांस नायक गुरमेल बहुत ही बहादुर व जांबाज सैनिक था तथा हर ऑपरेशन में बालंटियर होकर जाता था, उसके बलिदान से युनिट ने अपना अनमोल हीरा खो दिया है, मगर उसकी शहादत ने उनकी युनिट 2 सिख रैजीमेंट के गौरव को बढ़ाया है। उनकी वीरता से हमारे जवान हमेशा प्रेरणा लेते रहेंगे। उनकी यूनिट 2 सिख का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। हर युद्ध में इसके वीर सैनिकों ने बहादुरी का इतिहास रचा है, इसी वजह से इस यूनिट को ब्रेवस्ट ऑफ ब्रेव का खिताब मिला है।
शहीद बेटे की प्रतिमा को गले लगा रोई मां
कहा, मेरा पुत्त मेरा कद बड्डा कर गया
गांव के सरकारी स्कूल जहां शहीद गुरमेल की प्रतिमा लगी है, मां गुरमीत कौर ने जब शहीद बेटे की प्रतिमा को हार पहना गले लगाया तो वह फूट-फूट कर रोते हुए कहने लगी कि अपना बलिदान देकर मेरा पुत्त मेरा कद बड्डा कर गया है। मुझे बेटे के जाने का दु:ख तो बहुत है, मगर उसकी शहादत पर गर्व भी है। जिसने उसे एक शहीद की मां का दर्जा देकर उसके गौरव को बढ़ाया है।