कहा, गेहूं की नाड़ का भूसा बनाने के बाद जमीन में ही गलने दी जाएं गांठ
होशियारपुर,(राजदार टाइम्स): डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस ने किसानों को अपील करते हुए कहा कि गेहूं के अवशेषों को आग लगाए बिना ही धान व गर्मी की ऋतु की (सट्ठी) मूंगी काश्त की जा सकती है, इस लिए किसान गेहूूं के नाड़/गांठों को आग न लगाएं। आग लगाने से जहां जमीन की उपजाऊ शक्ति घटती है, वहीं जमीन के मित्र कीड़े भी मर जाते हैं। संदीप हंस ने कहा कि जो किसान सट्ठी मूंगी की काश्त करना चाहते हैं, वे गेहूं के नाड़ की रीपर से भूसा बनाने के बाद जीरो ड्रिल के माध्यम से बिना गांठों को आग लगाए सीधी बिजाई कर सकते हैं। यह जीरो ड्रिल मशीन अपने नजदीकी कस्टम हायरिंग सैंटर, किसानों के स्व सहायता ग्रुप व को-आप्रेटिव सोसायटी से कम रेट पर किराए पर प्राप्त की जा सकती है। इस संबंधी अधिक जानकारी के लिए कृषि विभाग के नजदीकी कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि जो किसान धान की बिजाई करना चाहते हैं, उनके पास गेहूं की कटाई व धान की पनीरी की खेतों में लगवाई के दौरान करीब सवा से डेढ़ महीने का समय होता है। उन्होंने किसानों को यह भी अपील की कि इस समय के दौरान गेहूं के नाड़ का भूसा बनाकर जमीन में पानी छोड़ कर गांठों को जमीन में ही गलने दिया जाए। इससे जहां खुराकी तत्व जमीन में ही अवशोषित हो सकते हैं, वहीं सूक्ष्म जीवाणुओं की मात्रा भी बरकरार रखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि रीपर के माध्यम से एक एकड़ में गेहूं के नाड़ की करीब 80 प्रतिशत भूसा बनाया जा सकता है व करीब 20 प्रतिशत गेहूं के अवशेष/गांठों को जमीन में ही दबाया जा सकता है। किसानों की ओर से भूसे को सूखे चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। संदीप हंस ने सुचारु ढंग से गेहूं की खरीद करने की वचनबद्धता दोहराते हुए कहा कि किसानों को मंडियों में किसी किस्म की मुश्किल नहीं आने दी जाएगी। जिला प्रशासन की ओर से जहां किसानों की सुविधा के लिए हैल्पलाइन नंबर (90410- 72304) जारी किया गया है, वहीं अधिकारियों को लगातार चैकिंग करने के लिए मंडियां भी अलाट की गई हैं। उन्होंने कहा कि मंडियों की चैकिंग संबंधी ओवर आल इंचार्ज एस.डी.एम्ज को बनाया गया है और रोजाना अधिकारियों की ओर से की जा रही चैकिंग का जायजा भी लिया जा रहा है।