नम आंखों से किया गया सेना मेडल विजेता मंदीप की शहादत को नमन
गुरदासपुर,23 नवम्बर(राजदार टाइम्स): जम्मू-कश्मीर के केरण सेक्टर में आतंकियों से लड़ते हुए शहादत का जाम पीने वाले भारतीय सेना की 9 सिख एलआई के सेना मेडल विजेता शहीद सिपाही मंदीप सिंह का तीसरा श्रद्घांजलि समारोह गांव चाहल खुर्द में शहीद लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। जिसमें शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। उनके अलावा शहीद की माता भजन कौर, पिता प्रेम सिंह, पत्नी राजविंदर कौर, बेटे अमरदीप सिंह व गुरकीरत सिंह, शहीद की यूनिट के सूबेदार मेजर सविंदर सिंह आदि ने विशेष मेहमान के रुप में शामिल होकर शहीद को श्रद्घासुमन अर्पित किए।
सर्वप्रथम श्री अखंड साहिब पाठ का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा वैरागमयी कीर्तन कर शहीद को नमन किया। उपरांत आयोजित श्रद्घांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य तिथि कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि शहीद सिपाही मंदीप सिंह जैसे जांबांजो की शहादत देश की बहुमूल्य विरासत है तथा जब तक ऐसे शूरवीर हमारी सरहदों के रखवाले हैं, कोई भी दुश्मन हमारे देश की एकता व अखंडता को भंग करने की जुर्रत नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि आतंक के पोषक पाकिस्तान ने कश्मीर में जो मिनी युद्घ छेड़ा हुआ है, उससे आए दिन हमारे सैनिक शहादतें दे रहे हैं। अगर पाक ने आतंक को शह देना बंद न किया तो सिपाही मंदीप सिंह जैसे रणबांकुरे एक दिन उसका नाम विश्व के नक्शे से मिटा देंगे। जिस घर का चिराग राष्ट्र की बलिवेदी पर कुर्बान हो जाता है। उसका परिवार एक जिंदा लाश बनकर रह जाता है। ऐसे में सरकारों व समाज के अन्य लोगों का यह फर्ज बनता है कि इन परिवारों को उचित मान सम्मान देकर इनके हौंसलों को बुलंद रखें। उन्होंने कहा कि शौर्य,त्याग व बलिदान का दूसरा नाम है देश का वीर सैनिक। जिसके लिए सबसे पहले उसका देश, उसकी यूनिट के जवान व आखिर में उसका अपना परिवार आता है तथा राष्ट्रहित में अपने प्राणों की आहूति देकर वह देश की भावी पीढ़ी में राष्ट्र पर मर मिटने का जज्बा पैदा कर जाता है।

श्रद्घांजलि समारोह में शामिल होने से बढ़ता है शहीद परिवारों का मनोबल : कैप्टन जोगिंदर
शहीद लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह ने कहा कि शहाद का दर्द क्या होता है, वह भलीभांति महसूस करते हैं। क्योंकि उन्होंने खुद अपना 25 वर्षीय बेटा देश की सुरक्षा में कुर्बान किया है। बेटे के जाने के बाद वह पूरी तरह टूट चुके थे। मगर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने उनका मनोबल बढ़ाते हुए उन्हें फिर से पैरों पर खड़ा किया। उन्होंने कहा कि शहीदों की याद में आयोजित ऐसे समारोहों में शामिल होने से शहीद परिवारों का मनोबल बढ़ता है तथा बाकी शहीद परिवार एक दूसरे से मिलते हैं तो उनका दुख कुछ हलका होता है।

गर्व है बेटा देश के काम आया
 इस अवसर पर शहीद की मां भजन  कौर ने नम आंखों से बताया कि उन्हें बेटे के जाने का दुख तो बहुत है,उनके बुढ़ापे की लाठी टूट गई। मगर उसकी शहादत पर गर्व भी है कि उसने अपना बलिदान देकर उसे एक शहीद की मां का दर्जा देकर मां के गौरव को बढ़ाया है। शहीद के यूनिट के सूबेदार मेजर सविंदर सिंह ने कहा कि सिपाही मंदीप सिंह एक बहादुर सैनिक था। उसके बलिदान व शौर्य से हमारी यूनिट के जवान हमेशा प्रेरणा लेते रहेंगे। इस अवसर पर मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित 15 अन्य शहीद परिवारों को शाल भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर पुलवामा हमले के शहीद कांस्टेबल मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्री, वीर चक्र विजेता सूबेदार निर्मल सिंह का बेटा मलकीत सिंह, संतोख सिंह,सुखविंदर सिंह, सूबेदार बचित्र सिंह,नरेंद्र सिंह, कुलबीर सिंह ,जगदेव सिंह आदि उपस्थित थे।