पुण्यतिथि पर नई दिल्ली के इंडिय़ा इस्लामिक कल्चरल सेन्टर में किया गया आयोजित कार्यक्रम
जफर के वंशजो, स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों सहित देश की जानी-मानी हस्तियों ने की कार्यक्रम में शिरकत
नई दिल्ली,(विवेक जैन): भारतीय इतिहास के महान बादशाहों में शुमार बहादुर शाह जफर की 159वीं पुण्यतिथि पर इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में विभिन्न धर्मों-सम्प्रदायों के लोगों सहित देश की सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों से जुड़ी जानी-मानी हस्तियों ने शिरकत की। सभी ने शहंशाह-ए-हिन्द अबु जफर सिराजुद्दीन मौहम्मद बहादुर शाह जफर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके महान व्यक्तित्व की प्रशंसा की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व देश के पूर्व केन्द्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने शिरकत की। उन्होंने बहादुर शाह जफर को देश का महान सम्राट बताते हुए मुगल साम्राज्य के शानदार इतिहास पर प्रकाश डाला।
बताया कि मुगल साम्राज्य का विस्तार आधुनिक अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, बांगलादेश आदि देशों सहित काफी बड़े क्षेत्रों तक फैला हुआ था। मुगल साम्राज्य के लोकप्रिय व जनहित के कार्यों ने ही इस साम्राज्य को शक्तिशाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। मुगल सल्तनत के महान बादशाह अकबर ने हिन्दू-मुस्लिमों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। बताया कि बहादुर शाह जफर की महानता को सिद्ध करने के लिये यह बताना पर्याप्त है कि 1857 की क्रांति में अखण्ड़ भारत के सभी राजाओं, महाराजाओं और विद्रोहीं सैनिकों ने सर्वसम्मति से महान सम्राट बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में अंग्रेजों से टक्कर ली और अंग्रेजी सम्राज्य को हिलाकर रख दिया। अंग्रेजों ने षडय़ंत्र रचकर लोभ-लालच देकर बहादुर शाह जफर के कई विश्वास पात्रों को अपनी और मिला लिया। अंग्रेजों के खिलाफ जंग में बहादुर शाह जफर हार गये। बहादुर शाह जफर को इस जंग की भारी कीमत चुकानी पड़ी।
उनके कई पोत्रों, पड़पोत्रों को सरेआम गोलियों से भून दिया गया। बहादुर शाह जफर सहित उनके परिवार के कई लोगों को जेलों में डालकर यातनायें दी गयी। कहा कि अगर बहादुर शाह जफर के विश्वास पात्रों ने गद्दारी नही की होती तो देश 1857 में ही आजाद हो गया होता। कहा कि वो इतने महान व्यक्ति थे, उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बताना सूरज को दीपक दिखाने के समान होगा। लगभग 82 वर्ष की उम्र में 1857 की क्रांति का नेतृत्व करने वाले इस बादशाह के आगे उम्र की बेबसी कभी नजर नही आयी।
उनमें 82 वर्ष की उम्र में भी उतना ही उत्साह था, जितना एक युवा व्यक्ति में होता है। सभी आगुन्तकों ने शानदार कार्यक्रम आयोजित करने के लिये मुगल शहंशाह बहादुर शाह जफर दरगाह की चांसलर व बहादुर शाह जफर की पड़पोत्र वधु समीना खान पत्नी स्वर्गीय नवाब शाह मौहम्मद शुएब खान की प्रशंसा की। समीना खान ने कार्यक्रम में आये सभी आगुन्तकों का मुगल शहंशाह बहादुर शाह जफर दरगाह की और से आभार व्यक्त किया।