लोहारू. उपमंडल के गांव दमकौरा, झांझड़ा श्योराण, झांझड़ा टोडा, बरालू, कुशलपुरा, गोठड़ा, ढाणी अहमद के खेतों में टिडि्डयों ने अपना रंग दिखाना शुरू किया हुआ है। बुधवार को राजस्थान में वापस चले जाने के बाद रात को तेज अंधड़ में से टिडि्डयां अपने दल को छोड़कर हजारों की संख्या में इन गांवों के खेतों में पहुंच गई। रात को ही किसानों ने इनको भगाने के लिए लगभग 11 बजे तक थालियां, पीपे व पटाखे बजाए।
खेतों में कपास की फसलों को इन्होंने अपना भोजन बनाना शुरू कर दिया। सुबह किसानों ने देखा कि उनके खेतों में हजारों टिडि्डयां फसलों पर बैठी हैं तो उन्होंने ट्रैक्टर खेतों चलाए परन्तु इनको नहीं भगाया जा सका। ये सभी टिडि्डयां अपने बड़े दल से निकलकर यहां पर आई हैं तथा फसलों को नुकसान हो रहा है। कृषि विभाग के कर्मचारी किसानों को यही कह रहे हैं कि इनसे कोई ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
बुधवार को करीबन तीन किलोमीटर चौड़े और दो किलोमीटर लंबे टिड्डी दल ने राजस्थान से हरियाणा में प्रवेश कर लिया था। किसानों ने डीजे, पीपे ओर ट्रैक्टरों से इनका सामना किया तो वहीं पूर्वी हवा के वेग से ये राजस्थान में चला गया था। देर रात को पश्चिमी हवाओं के साथ अंधड़ में इनमें से हजारों टिडि्डयां दमकौरा, झांझड़ा, बरालू व अन्य गांवों के खेतों में पहुंच गई। गुरुवार सुबह को किसानों के अधिकतर खेतों में हजारों की संख्या में टिडि्डयां उड़ती दिखाई दीं तो सोशल मीडिया के माध्यम से यह सूचना हर गांव में किसानों के पास पहुंच गई।
इसके उपरांत ही किसान ट्रैक्टर लेकर खेतों में पहुंचे। क्षेत्र के गांवों में सबसे अधिक टिडि्डयों का झुंड झांझड़ा, बरालू व दमकौरा की सीमाओं पर देखा गया। किसान ट्रैक्टर लेकर खेतों में पहुंचे और टिडि्डयों को भगाने का प्रयास किया। परन्तु टिडि्डयां एक बार तो उड़कर खाली खेतों में जा रही थी वहीं कुछ मिनट उपरांत ही वे कपास के खेतों में आ बैठीं। कृषि विभाग के तकनीकी सहायक चन्द्रभान श्योराण भी किसानों के बीच खेतों में पहुंचे तथा उन्होंने इनको भगाने की सलाह दी।
एक-एक खेत में चले पांच-पांच ट्रैक्टर
झांझड़ा, बरालू, दमकौरा के काकड़ पर खेतों में टिडि्डयों की संख्या हजारों में थी इनको भगाने के लिए किसानों ने पांच ट्रैक्टर दो एकड़ की कपास की फसल में दौड़ाए परन्तु परन्तु टिडि्डयों को भगाने में सफलता नहीं मिली। कुछ पल आसमान में उड़कर ये वापस फसलों पर आ रही थी। किसानों ने अपने ट्रैक्टरों के साइलेंसर निकाले हुए थे ताकि अधिक से अधिक आवाजें कराकर इनको भगाया जा सके परन्तु कामयाबी नहीं मिली। किसानों ने अपनी फसलों को ट्रैक्टरों से कुचल दिया है।
खतरा टला नहीं, रखी जा रही है नजर
कृषि उपनिदेशक प्रतापसिंह सभ्रवाल ने बताया कि लोहारू क्षेत्र के किसानों का टिड्डी से खतरा अभी टला नहीं है। डीसी भिवानी से इस मामले में बात हुई है तथा लोहारू के एडीओज को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने सर्कल में किसानों के साथ मिलकर क्लोरोपाइरीफॉस दवा का छिड़काव कराकर टिडि्डयों को मरवाने का काम करें। इस मामले में जो भी सरकार ओर विभाग से मदद होगी वह किसानों की करवाई जाएगी।
कुड़ल व आसपास के गांवों में भी पहुंचीं टिड्डियां
ढिगावा| क्षेत्र में टिड्डी का बड़ा दल तो नहीं आ सका लेकिन खेतों में दर्जनों की संख्या में टिड्डी देखी गई हैं। कुड़ल सहित अनेक गांवों के अनेकों किसानों ने बताया कि उनके खेतों में टिड्डी उड़ती देखी गई हैं। गाव कुड़ल के किसान अरविंद शर्मा, परवीन जांगड़ा, देवेंद्र बेडवाल ने बताया कि उनके खेतों में वे परिजनों के साथ नलाई करने गए हुए थे। किसान को देखकर ये टिड्डी घास या हरे पौधों में छुप जाती है। किसी प्रकार की आवाज होती है तो ये 10 से 20 फीट उड़ कर फिर बैठ जाती है। लगभग सभी खेतों में इस प्रकार फैल गई हैं। अनेकों खेतों में टिड्डियों को उड़ते हुए देखा गया।