उच्चतम न्यायालय ने आम्रपाली मामले में फ्लैट खरीदारों को राहत प्रदान करते हुए बुधवार को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से बकाए ऋण राशि का भुगतान करने को कहा। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की खंडपीठ ने यह आदेश मौजूदा स्थितियों को ध्यान में रखकर सुनाया क्योंकि फंड की कमी के कारण हाउसिंग परियोजनाएं बंद पड़ी हैं। न्यायालय ने नोएडा प्राधिकरण को यह भी निर्देश दिया कि बिल्डरों द्वारा देर से ब्याज चुकाए जाने पर वह अत्यधिक ब्याज दर न लगाएं। यह ब्याज दर आठ प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है।

खंडपीठ ने फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) को लेकर भी निर्देश जारी किए। न्यायालय ने रिसीवर के माध्यम से शेष एफएआर की बिक्री की अनुमति दी। न्यायालय ने कहा कि अभी तक इस्तेमाल नहीं हुआ एफएआर 2.75 पर होगा न कि 3.5 पर। यदि एफएआर में कोई वृद्धि होती है, तो यह नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों द्वारा तय किया जाएगा। खंडपीठ ने फैसले में यह भी कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा के घर खरीदारों की स्थिति जस की तस है, क्योंकि परियोजना के अधूरे कामों में प्रगति नहीं हुई है। न्यायालय ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से कहा कि वे बैंकों और वित्तीय सहायता देने को राजी अन्य संस्थानों को यह तो बता दे कि उन्हें काम पूरा करने के लिए एक बार में कितनी धनराशि की जरूरत होगी? खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जून की तारीख मुकर्रर की है। उस दिन रिसीवर की अतिरिक्त सलाह पर कुछ और दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।

जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने ये निर्देश जारी किए।  बिल्डरों और रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ी राहत देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण बिल्डर से भुगतान में ब्याज के लिए ज्यादा ब्याज नहीं ले सकता। ये ब्याज दर आठ फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती है।

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