नम आंखों से किया जतिंदर की शहादत को नमन
गुरदासपुर,(कमल बज्जू):
शहीद सिपाही जतिंदर कुमार का 9वां श्रद्धांजलि समारोह शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की की अध्यक्षता में गांव बरियार के गुरु रविदास मंदिर में आयोजित किया गया। जिसमें डीएसपी महेश सैनी बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की माता संतोष कुमारी, पिता राजेश कुमार, बेटा हरमन, भाई परवेश कुमार व दिनेश कुमार, बहन मधू बाला, भाभी सुखबीर कुमारी, शहीद लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह, पुलवामा हमले के शहीद कांस्टेबल मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्तरी, शहीद लांसनायक संदीप सिंह शौर्य चक्र के पिता जगदेव सिंह, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंसराज, चौंकी इंचार्ज एएसआई हरपाल सिंह आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम मुख्य मेहमान व अन्य मेहमानों ने शहीद के चित्र समक्ष ज्योति प्रज्जवलित व पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का आगाज किया।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि डीएसपी महेश सैनी ने कहा कि शहीद सिपाही जतिंदर कुमार जैसे वीर सैनिक राष्ट्र की अमूल्य धरोहर होते हैं, जिनकी बदौलत देशवासी अमन व चैन की नींद सोते हैं। ऐसे शूरवीरों को शौर्य गाथाएं देश की भावी पीढ़ी में राष्ट्र पर मर मिटने का जज्बा भरती हैं। वीर सैनिकों के बलिदानों व उनके परिजनों के मान-सम्मान की बहाली हेतू जगह- जगह ऐसे श्रद्धांजलि समारोह आयोजित करने का जो सिलसिला शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने शुरु किया है, इससे समाज में देशभक्ति की नई चेतना पैदा होती है और ऐसे समारोहों में शामिल होकर हर इंसान का सिर इन शहीद परिवारों के चरणों में श्रद्धा से झुक जाता है। उन्होंने कहा कि अगर वह किसी शहीद परिवार के काम आ सकें तो खुद को सौभाग्यशाली समझेंगे। इस मौके पर मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित दस अन्य शहीद परिवारों को सिरोपा व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर सरपंच जोगिंदर पाल, पूर्ण चंद काला, प्रदीप कुमार, सूरती लाल, ओम प्रकाश, एएसआई नरेश कुमार, सुखदेव राज, गोल्डी, राज कुमार, प्रभजोत सिंह, रमेश कुमार, रवि कुमार, ज्ञान सिंह, नानक चंद आदि उपस्थित थे।

शहीद परिवारों का सम्मान ही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि : कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि शहीद एक सच्चा संत सिपाही होता है और उनके परिजन सारे राष्ट्र के परिवार होते हैं। इन परिवारों के रिसते जख्मों पर मरहम लगा इन्हें उचित सम्मान देना ही सही मायनों में शहीदों को श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि कोई धर्म के नाम पर तो कोई मजहब के नाम पर लड़ता है, मगर एक सैनिक 137 करोड़ हिंदोस्तानियों की सुरक्षा में प्राणों की आहुति देकर यह संदेश दे जाता है कि उसके लिए देश सर्वोपरी है।