गलेशियर में आए एवलांच में 10 दिन पहले प्रगट हुए थे शहीद
अंतिम अरदास व श्रद्धांजलि समारोह आज
दीनानगर,(राजदार टाइम्स):
भारत माता की अस्तिमा व गौरव की रक्षा करते हुए राष्ट्र की बलिवेदी पर देश के अनेक रणबांकुरों ने अपने प्राण न्यौछावर कर शहादत के जाम पिए हैं। पंजाब की धरती को तो वैसे भी शहीदों की जन्मस्थली होने का गौरव प्राप्त है। इसी महान धरती की बलिदानी मिट्टी में रचा पला बांका जवान सिपाही प्रगट सिंह जोकि दस दिन पहले विश्व के सबसे दुर्गम व ऊंचे हिमखंड सियाचिन गलेशियर में आए एवलांच (बर्फीले तूफान) में अपनी डयूटी को तनदेही से निभाता हुआ शहादत का जाम पीकर अपना नाम शहीदों की श्रृंख्ला में स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवा गया।
इस बहादुर सैनिक के जीवन वृत्तांतो संबंधी जानकारी देते हुए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने बताया कि सिपाही प्रगट सिंह का जन्म 28 अप्रैल 1997 को माता सुखविंदर कौर व पिता प्रीतम सिंह के घर गांव दबुर्जी में हुआ। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल देहर फत्तूपुर में बाहरवीं पास करने के बाद गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी कैंपस काला अफगाना में बीए भाग-1 में दाखिला लिया। प्रगट को बचपन से ही भारतीय सेना भर्ती होने का जनून था तथा इसी जनून के चलते यह बीए की पढ़ाई बीच में ही छोडकऱ 2018 को सेना की 21 पंजाब रेजीमेंट में भर्ती होकर देश सेवा में जुट गए। 25 अप्रैल को जब सिपाही प्रगट सिंह अपने साथियों सहित सियाचिन गलेशियर के माइनस 46 डिग्री तापमान में पूरी तनदेही से अपनी डयूटी दे रहे थे कि वहां आए बर्फीले तूफान की चपेट में आकर गंभीर रुप से जख्मी हो गए, जबकि इनके दो साथी मौके पर ही शहीद हो गए। सिपाही प्रगट सिंह को एयरलिफ्ट कर चंडीगढ़ में सेना के कमांड अस्पताल में लाया गया, जहां 15 दिन जिंदगी और मौत से लड़ते हुए यह जिंदगी की जंग हारते हुए शहादत का जाम पी गए। ज्ञात रहें कि प्रगट सिंह अपने माता पिता इकलौटे बेटे थे। घर पर मां बेटे के लिए दुल्हन लाने के सपने संजते हुए सेहरे की लडिय़ां बुन रही थी, मगर प्रगट वीरगति को दुल्हन के रुप में गले लगा अपना सैन्य धर्म निभा गया।
कुंवर विक्की ने बताया कि इस वीर योद्धा की शहादत को नमन करने के लिए 17 मई को गांव दबुर्जी के गुरुद्वारा साहिब में इनकी अंतिम अरदास व श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें कई गणमान्य लोग शामिल होकर इस रणबाकुंरे को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

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