कपूरथला,28 दिसंबर(राजेश तलवाड़, राजदार टाइम्स): भारतीय राजनीति में स्व:अरुण जेटली का एक अलग ही स्थान था। जिन्हें भाजपा का संकट मोचक भी कहा जाता था। भले ही वह भारतीय जनता पार्टी के नेता थे परंतु उनकी पकड़ सभी पार्टियों में उतनी ही थी जितनी भाजपा में थी। उनका अंदाज सबसे अलग था, सबसे जुदा था और सबसे अद्भुत भी था। उनके जितने दोस्त अपनी पार्टी में थे, उतने ही दूसरी पार्टियों और मीडिया में भी हुआ करते थे। यही तो उन्हें बाकियों से बिल्कुल अलग करता था। अद्भुत बौद्धिक क्षमता और दूरदर्शिता पूर्ण व्यक्तित्व के कारण उनके सभी कायल थे। भाजपा में अटल-आडवाणी युग में भी उतने ही फिट थे, जितने वर्तमान समय में रहे। भाजपा के संकटमोचक होने के साथ-साथ वह नरेंद्र मोदी और अमित शाह के भी संकटमोचक रहे। विरोधियों को अपने तर्क से चित करते तो पार्टी और गठबंधन सहयोगियों को भरोसे में लेते थे। भले ही अरुण जेटली हम सबके बीच नहीं हैं लेकिन आज भी उनके कमी खलती है। भाजपा नेता आज भी मानते है कि पार्टी को जेटली की कमी हमेशा महसूस होती है। आज पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें याद करते हुए भाजपा प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य एवं भाजपा प्रदेश प्रशिक्षण विभाग के सह संयोजक यगदत्त ऐरी ने कहा कि उनका ओजस्वी व्यक्तित्व, बुद्धिमता, कानूनी समझ और हाजिर जवाबी को वे आज भी याद करते हैं। कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लिए अरुण जेटली किसी भी आकस्मिकता से निपटने में सक्षम शख्सियत थे और उनका व्यवहार स्थिति के अनुरूप होता था। वह एक ऐसे रणनीतिकार थे। जिसने कई राज्यों में पार्टी के उद्भव की गाथा लिखी। लगभग डेढ़ दशक तक खासकर वर्ष 2006 में प्रमोद महाजन के निधन के बाद वह पार्टी को किसी भी संकट से निकालने वाले सबसे अहम व्यक्ति थे। उनकी कुशलता नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पूरी तरह नजर आई। जब उन्होंने भ्रष्टाचार खासकर राफेल सौदे और घोर पूंजीवादी होने के विपक्ष के आरोपों को लेकर भाजपा का जवाब तैयार किया था तथा आम चुनाव के लिए प्रचार के दौरान सोशल मीडिया के अपने नियमित पोस्ट के जरिए कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर निशाना साधा। देश में आपातकाल घोषित होने के बाद 26 जून 1975 की सुबह अरुण जेटली ने लोगों के एक समूह को इक_ा किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पुतला जलाया। उनके शब्दों में आपातकाल के खिलाफ वह पहले सत्याग्रही थे।

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