कहा, शिरोमणी अकाली दल ने राजपूतों को बांटा हिन्दू सिक्ख में, लिया राजनीतिक लाभ
बड़े बाजुर्गो की गलती थी कि पंथ के नाम पर गुमराह हो पंजाब का किया बटवारा करवाया
राजपूत समाज की प्रतिनिधता कोई दूसरा करे यह सविकार्य नहीं
होशियारपुर,(राजदार टाइम्स): राजपूत समाज यह कदापि बर्दाशत नहीं करेगा कि कोई दूसरा हमारी बिरादरी का प्रतिनिधित्व करने का सोचे। हमारा इतिहास सदियों पुराणा है और हमारे समाज में बहुत ही प्रतिभाशाली, शिक्षित व राजनीति की समझ रखने वाले विद्धवान है जोकि समुचे समाज को दिशा निर्देश देने में सक्षम है। यह शब्द राजपुत समाज के विभिन्न प्रतिनिधियिों की हुए एक विशेष बैठक उपरांत अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष फतेह सिंह, पंजाब प्रदेश के महासचिव राकेश राणा, तरलोचन सिंह परमार, नछत्तर सिंह भट्टी, वरिन्द्र सिंह परिहार, बलबीर सिंह फगुलाना, युवा नेता मनंदीप सिंह कटोच, डाकटर जसबीर सिंह परमार, ठाकुर गुरबख्श राय, ओंकार सिंह मिन्हास, बूटा राम जयसवाल, कुलविन्द्र सिंह भट्टी, रविन्द्र ठाकुर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि गत दिनों शिरोमणी अकाली दल बादल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने राजपूत समाज के प्रतिनिधि नीयुक्त किए थे, उनमें अन्य बिरादरी के व्यक्तियों को लगा कर राजपूत समाज को गुमराह कने का प्रयास किया। जिसकी राजपूत समाज कड़ी आलोचना करता है। उन्होंने कहा कि अकाली दल ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए पहले ही राजपूत समाज को दो हिस्सों में बांट दिया है क्योंकि अकाली दल की सरकार ने सिक्ख राजपूतों को बिना मांगे रिर्जवेशन दे कर बीसी वर्ग में डाल दिया है। जबकि हिन्दू राजपूतों को इसमें नहीं रखा। जिसका उस समय सिक्ख राजपूतों ने कड़ा विरोध भी किया था। राजपूत समाज के लोग समानय वर्ग में आते हैं और यह एक मार्शल कौम है। शिरोमणी अकाली दल ने हमेशा ही समाज को बांट कर अपनी राजनीति की है, लेकिन कभी किसी भी किसी राजपूत बिरादरी संबंधित नेता को आगे नहीं आने दिया।
फतेह सिंह, तरलोचन सिंह परमार, नछत्तर सिंह भट्टी, वरिन्द्र सिंह परिहार, बलबीर सिंह फगुलाना, डाकटर जसबीर सिंह परमार, ओंकार सिंह मिन्हास, बूटा राम जयसवाल, कुलविन्द्र सिंह भट्टी ने कहा कि उनके बड़े बाजुर्गो की गलती थी कि जिन्होंने पंथ के नाम पर गुमराह हो कर पंजाब का बटवारा करवाया। यदि पंजाब का उस समय बंटवारा नहीं होता तो आज पंजाब की राजनीतिक व इतिहास और ही कुछ होना था मगर अब राजपूत समाज जाग उठा है, और समाज के सभी लोग अपने हक्कों के लिए इक्टठे हो कर लड़ेंगे। एक प्रशन के उत्तर में राजपूत समाज के नेताओं ने कहा कि पंजाब की शायद ही कोई ऐसी विधान सभा क्षेत्र हो जहां पर राजपूत समाज के लोग ना हो। बहुसंख्या वाली विधान सभा की सीटों को राजनीतिक पार्टियों ने एक योजना के तहत अरक्षित कर रखा है जोकि लम्मे समय से वैसे ही चली आ रही हैं। जबिक चाहिए तो यह की जहां पर राजपूत समाज बहुस्ख्यक है, वहां पर समाज के लोगों को सत्ताधारी पार्टी द्वारा विभिन्न उच्च पदों पर बोडऱ्/कार्पोरेशों या फिर अन्य पदों पर नियुक्त करना चाहिए। राजपूत नेताओं ने कहा कि उनका किसी भी पार्टी से कोई विरोध नहीं है, यदि कोई भी पार्टी राजपूत समाज की भावनाओं से खिलवाड़ करेगा तो उसका मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि राजपूतों को हिन्दू, सिक्ख के नाम पर बांटने का प्रयास ना करें नहीं तो उन्हें इसका खामिआजा भूगतना पड़ेगा। राजपूत समाज एक था, एक है और एक हो कर भविष्य में भी कार्य करेंगा।