शहीद लै.गुुरदीप सलारिया के घर की चौखट पर नतमस्तक हो बढ़ाया परिवार का मनोबल
20 राज्यों के 112 शहीद परिवारों से कर चुके है भेंट
पठानकोट,(राजदार टाइम्स):
राष्ट्र की बलिवेदी पर प्राणों की आहुति देने वाले देश के वीर सैनिकों की शहादत व उनके बनते मान सम्मान को बेशक सरकारें भुला दें, मगर देशभक्ति के जज्बें से भरपूर कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो इन शहीदों व उनके परिजनों के मान सम्मान की बहाली हेतु व देश की भावी पीढ़ी में देशभक्ति की अलख जगाने के लिए वीर यात्रा पर निकले हैं। इस वीर यात्रा में 7 सदस्य शामिल हैं, जो देश के अलग-अलग राज्यों से संबंधित हैं। यात्रा के संयोजक जम्मू-कश्मीर से विकास मन्हास व महाराष्ट्र के पुणे से ज्योति हंै, इनके साथ कर्नाटक के मैंगलोर से सिंधू, गुजरात के बड़ोदरा से दीप्ति, मुम्बई से प्रतिभा, मैंगलोर कर्नाटक से प्रशांत, जम्मू से जे.डी इस वीर यात्रा में सदस्य के रूप में शामिल हैं। यह टीम एक लक्ष्य लेकर चली है कि वे देश के हर शहीद के घर जाएंगे तथा उनके परिवारों का हाल जानते हुए उनका सम्मान भी करेंगे। यह टीम अब तक लगभग 20 राज्यों के 112 शहीद परिवारों से मिल चुके हैं और यह सफर आगे भी जारी है। इसी कड़ी में वीर यात्रा की यह टीम शहीद लैफ्टिनेंट त्रिवेणी सिंह अशोक चक्र, शहीद लैफ्टिनेंट गुरदीप सलारिया शौर्य चक्र व शहीद सिपाही मक्खन सिंह के घर पहुंची व उनके परिजनों से भेंट कर उनका मनोबल बढ़ाते हुए उन्हें यह एहसास करवाया कि बेशक उन्होंने अपने जिगर के टुकड़े देश की बलिवेदी पर कुर्बान कर दिये हैं, मगर देशवासियों ने उनके लाडलों की शहादत की लौ व गरिमा को कम नहीं होने दिया है। हमारी पूरी टीम इस दु:ख की घड़ी में उनके साथ खड़ी है। वीर यात्रा की यह टीम जब शहीद लैफ्टिनेंट गुरदीप सलारिया के घर पहुंची तो शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद व इंडियन एक्स सर्विसमैन लीग के सदस्यों ने पूरी टीम का स्वागत किया। यात्रा में शामिल सभी सदस्यों ने सर्वप्रथम शहीद लैफ्टिनेंट गुरदीप सलारिया के घर की चौखट पर नतमस्तक होते हुए नमन किया व उनके घर के आंगन की मिट्टी से तिलक करते हुए शहीद के माता-पिता के चरणों में शीश झुकाकर प्रणाम किया व कैंसर से जंग लड़ रही शहीद लैफ्टिनेंट गुरदीप सलारिया की माता तृप्ता सलारिया का हाल जानते हुए उनसे आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर इंडियन एक्स सर्विसमैन लीग पंजाब व चंडीगढ़ के सीनियर उपाध्यक्ष कैप्टन फकीर सिंह, सूबेदार मेजर अवतार सैनी, शहीद मक्खन सिंह के पिता हंसराज, महिन्द्र सिंह आदि उपस्थित थे।

चारधाम की यात्रा के सम्मान है शहीद के घर की चौखट पर शीश झुकाना : विकास/ज्योति
परिषद की ओर से आयोजित सादे समारोह को संबोधित करते हुए वीर यात्रा के कनवीनर विकास व ज्योति ने संयुक्त तौर पर कहा कि शहीद राष्ट्र के सिरमौर हैं तथा इनके घर की चौखट पर सिर झुकाने व इनके आंगन की मिट्टी से तिलक करने पर चारधाम की यात्रा का फल मिलता है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों शहीद कर्नल वसंथ की याद में बनी वसंथ रत्ना फाऊंडेशन, शहीद कैप्टन तुषार महाजन ट्रस्ट व शहीद मेजर अक्षय गिरीश मैमोरियल ट्रस्ट के सदस्यों की दिल्ली में बैठक हुई। जिसमें यह फैसला लिया गया कि भारतीय सेना द्वारा शुरू किये एन.ओ.के (नेक्स्ट ऑफ किन)अभियान जिसके तहत सेना अपने वीर शहीदों व युद्घ में घायल हुए सैनिकों के घर पहुंच उनके परिजनों का हाल जानते हुए उनका मनोबल बढ़ा रही है तो सेना से ही प्रेरित होकर हमारे कुछ सदस्य वालंटियर होकर देश के शहीदों के घर पहुंच उनके परिजनों का मनोबल बढ़ाने के मिशन पर निकले हैं।

समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत है वीर यात्रा के सदस्यों की देशभक्ति : कुंवर विक्की
परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने वीर यात्रा में शामिल सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आज के इस बदलते परिवेश व पैसे की अंधी दौड़ में किसी के पास भी ऐसे नेक कामों के लिए समय नही है, मगर विकास मन्हास, ज्योति व उनकी पूरी टीम दिल में देशभक्ति का जज्बा लिये शहीद परिवारों का हाल जानने पूरे देश भ्रमण पर निकली है, जो समाज के अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा तो हमारे वीर सैनिक अपने बलिदान देकर कर रहे है, मगर उनकी शहादत के बाद उनके परिजनों को संभालना व उन्हें उचित मान सम्मान देना सरकारों व आम नागरिक का कर्तव्य है। परिषद के अध्यक्ष व शहीद लैफ्टिनेंट गुरदीप सलारिया के पिता कर्नल सागर सिंह सलारिया ने भावुक होते हुए नम आंखों से बताया कि इकलौता बेटा खोने के बाद वो जिंदा लाश बन चुके हैं। उनकी पत्नी दो बार कैंसर को हरा चुकी है। अब तीसरी बार फिर वो इस नामुराद बीमारी से लड़ रही है तथा उन्हें पूरा विश्वास है कि आप लोगों की दुआओं से वो फिर इस बीमारी को हरा देगी। इस वीर यात्रा की टीम ने उनकी कुटिया में आकर जिस तरह हमारा मनोबल बढ़ाया है। इससे हमारा सर गर्व से ऊंचा हो उठा है और आज वो यह महसूस कर रहे है कि बेशक उन्होंने अपना इकलौता बेटा देश पर कुर्बान कर दिया, मगर आज भी देश में कुछ ऐसे लोग है, जोकि शहीदों के घर जाकर उनका मनोबल बढ़ा रहे हैं।

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