होशियारपुर, : कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल की ओर से धान की पराली के प्रबंधन संबंधी सहकारी विभाग में काम कर रहे कोआप्रेटिव सचिवों के लिए प्रशिक्षण कोर्स का आयोजन किया गया। जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के डिप्टी डायरेक्टर डा.मनिंदर सिंह बौंस ने बताया कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, भारतीय कृषि खोज परिषद और कृषि व किसान कल्याण विभाग पंजाब की ओर से इस विषय पर बहुत जोर दिया जा रहा है कि किसान धान की पराली को न जलाएं व उपलब्ध मशीने व तकनीक के माध्यम से इसका योग्य प्रबंधन कर वातावरण को प्रदूषित होने से बचाएं। डिप्टी डायरेक्टर ने इस दौरान पहुंचे स्टाफ को कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से दी जाने वाली किसानी के प्रति सेवाओं के बारे में प्रकाश डाला व बताया कि धान की पराली संभालना आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण जरुरत है। उन्होंने धान की पराली को आग लगाने से होने वाले नुकसान संबंधी बताया व पराली में मौजूद अलग-अलग तत्वों की महत्ता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने पराली की बायो गैस प्लांट, मशरुम उत्पादन, चारे के तौर पर, मलच व ऊर्जा के लिए प्रयोग के बारे में बताया। उन्होंने सहकारी सभाओं, सोसायटियों के द्वारा उपलब्ध मशीनरी का सुचारु प्रयोग कर धान की पराली को संभालने पर भी जोर दिया।

फसल विज्ञान के माहिर डा.गुरप्रताप सिंह ने किसानों को उनकी धान की पराली को संभालने संबंधी अलग-अलग तकनीकों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने रबी की मुख्य फसलों की काश्त के बारे में प्रकाश डाला। शिक्षार्थियों को धान की पराली प्रबंधन के लिए हैप्पी सीडर,  सुपर सीडर, जीरो ड्रिल, कटर, उलटावां हल व मलचर मशीनों की कारगुजारी के बारे में दर्शाया गया। शिक्षार्थियों ने इस कोर्स के बारे में बहुत रुचि दिखाई व माहिरों के साथ अपने संदेहों संंबंधी विचार चर्चा की। अंत में डा. गुरप्रताप ने सहकारी विभाग के स्टाफ का रस्मी तौर पर धन्यवाद किया व पराली प्रबंधन के संदेश को अन्य किसानों तक पहुंचाने पर जोर दिया।