चंडीगढ़,20 नवंबर(राजदार टाइम्स): यहां इक्ट्ठे हुई देश की लगभग 472 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों और बिजली एक्ट के खिलाफ 26-27 को दिल्ली चलो का आह्वान किया है। गत लगभग डेढ़ माह से पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे धरनों को अब देश के अन्य राज्यों के किसान संगठनों ने भी समर्थन देने की घोषणा की है। नई बनी संयुक्त किसान मोर्चा तालमेल कमेटी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि इस आंदोलन को दो हिस्सों में बांटा गया हैै। पहले हिस्से में 26 और 27 को दिल्ली चलो में केवल दिल्ली की पेरीफेरी वाले राज्य ही हिस्सा लेंगे। जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसान आएंगे। देश के दूसरे राज्यों के किसान उसी दिन अपने-अपने राज्य, जिला स्तर और ग्राम स्तर पर प्रदर्शन करेंगे। योगेंद्र यादव, बलबीर सिंह राजेवाल, जगजीत सिंह डल्लेवाल और हनान मुल्ला आदि ने लगभग चार घंटे तक चली बैठक उपरांत घोषणा की कि तीन कृषि कानूनों व बिजली एक्ट को वापस लेने तक ये आंदोलन खत्म नहीं किया जाएगा। दिल्ली में कोरोना के चलते प्रदर्शन और धरने पर रोक लगाने के सवाल पर कहा कि पहले केंद्र सरकार ने कोरोना की आड़ में उन्हें घरों में बंद करके यह कानून पारित कर दिए। अब जब हम इसका विरोध कर रहे हैं तो उन पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं। यह लड़ाई अकेले पंजाब की नहीं है, बल्कि पूरा देश उनके साथ है। इन कानूनों के खिलाफ कुछ राज्य सरकारें हमारे साथ हैं, लेकिन उन्होंने भी उतना नहीं किया है, जितनी उन्हें आशा थी। यदि उन्हें कहीं रोका गया तो वह लोग वहीं पर पक्के धरने लगा कर राष्ट्रय मार्ग बंद कर देंगे। उन्होंने दावा किया कि इस दिल्ली चलो आंदोलन में पंजाब से सबसे ज्यादा किसान आएंगे। किसान इस आंदोलन में तीन-तीन महीने का राशन लेकर जा रहे हैं। इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। 21 नवंबर को किसान भवन में एक बैठक कर इस आंदोलन को अंतिम रूप दिया जाएगा।
भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के गुरनाम सिंह चूडनी ने कहा कि हरियाणा के किसान किसी भी तरह से पीछे नहीं रहेंगे। दस सितंबर को ही उन्होंने इस बारे में आंदोलन करके अपनी ताकत बता दी है। उन्होंने कहा कि वह सभी खाप पंचायतों को इस बारे में पत्र भी लिख रहे हैं।
कहा, आंदोलन करेंगे, मगर केंद्र से बातचीत को तैयार
भाकियू के बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार से बातचीत का अभी और कोई न्यौता नहीं आया है। किसान बातचीत से पीछे नहीं हटे हैं, अगर 26-27 के आंदोलन से पहले भी बातचीत के लिए बुलाया जाएगा तो हम जाएंगे लेकिन आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे।

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